“छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का सफाया: केंद्र की ताकत, राज्य की इच्छाशक्ति का तालमेल”, न्यूज़ 18, सितंबर 24, 2025
“घने जंगलों की सघनता, जहां कभी गोलियों की गूंज और खून की नदियां बहा करती थीं, आज विकास की रोशनी बिखर रही हैं. छत्तीसगढ़ के जगदलपुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर जैसे इलाकों से नक्सलवाद का काला साया धीरे-धीरे मिट रहा है. पिछले एक साल में 300 से अधिक नक्सलियों का सफाया, 1,100 से ज्यादा गिरफ्तारियां और 1,000 के करीब आत्मसमर्पण-ये आंकड़े न सिर्फ एक अभियान की सफलता की कहानी कहते हैं, बल्कि एक ऐसी क्रांति की गवाही देते हैं जो केंद्र की रणनीतिक ताकत और राज्य की अटल इच्छाशक्ति का अनोखा संगम है. लेकिन इस विजय के पीछे की कहानी में एक अनकही सच्चाई छिपी है-राज्य सरकार की भूमिका को मीडिया ने उतना ही महत्व दिया जितना जंगल की छांव में छिपे एक पत्ते को. केंद्र की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन प्रदेश की दृढ़ता ने ही इस सफाए को इतना बड़ा और निर्णायक बनाया है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता.
नक्सलवाद, जो 1967 के नक्सलबाड़ी आंदोलन से जन्मा था, छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग के छह जिलों को अपनी सबसे बड़ी चुनौती के रूप में जकड़ चुका था. 2000 में राज्य के गठन के बाद से यह ‘रेड कॉरिडोर’ का केंद्र बन गया. 2010 में नक्सली हिंसा के 47 प्रतिशत घटनाएं यहीं दर्ज की गईं. अबूझमाड़ के जंगलों में छिपे ये उग्रवादी न सिर्फ विकास को रोकते थे, बल्कि आदिवासी समुदायों को भी अपने जाल में फंसा लेते थे. लेकिन 2023 के अंत में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद सीन बदल गया. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में राज्य ने नक्सलियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन कागर’ और ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ जैसे अभियानों को नई गति दी. मई 2025 में कर्रेगुट्टा हिल्स में चले 21 दिवसीय ऑपरेशन में 31 नक्सलियों का सफाया हुआ, जो अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन था.
केंद्र सरकार की भूमिका यहां नकारना असंभव है. गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 से ही ‘नक्सल-मुक्त भारत’ का संकल्प लिया है. उन्होंने 11 समीक्षा बैठकें आयोजित कीं, जिसमें केंद्रीय सुरक्षा बलों की 60 बटालियनें छत्तीसगढ़ में तैनात की गईं. 2024 से 2025 के बीच 237 नक्सलियों को निष्प्रभावी किया गया, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों की खुफिया जानकारी और हथियारों की आपूर्ति महत्वपूर्ण रही. शाह का बार-बार दौरा-रायपुर से बस्तर तक-ने न सिर्फ सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि विकास परियोजनाओं को भी गति दी. स्वच्छ भारत अभियान, आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों आदिवासियों को लाभ पहुंचा. मार्च 2026 तक नक्सलवाद उखाड़ फेंकने का लक्ष्य केंद्र की रणनीति का हिस्सा है, और छत्तीसगढ़ इसमें अग्रणी है. बिना केंद्रीय सहायता के राज्य अकेला यह लड़ाई नहीं लड़ सकता था……”
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