“कानपुर में 120 मंदिर बंद मिले: जिन्होंने देवस्थल को बिरयानी की दुकान से लेकर बना दिया कूड़ाघर… वे अब कह रहे हमने कब्जा नहीं किया, हम हैं ‘रखवाले’ ”, ऑपइंडिया, दिसम्बर 22, 2024
“मुस्लिम बहुल इलाकों में मौजूद बंद पड़े हिन्दू मंदिरों को कब्ज़ा मुक्त करवाने की मुहिम अब कानपुर भी पहुँच गई है। यहाँ की मेयर कल पुलिस फ़ोर्स के साथ शहर के 5 अलग-अलग मंदिरों पर गईं। इन मंदिरों की दुर्दशा पर मेयर ने नाराजगी जताई जिसमें एक के पीछे तो बिरयानी बेची जा रही थी। अब यहाँ की साफ़-सफाई शुरू की जा चुकी है। यहाँ रोज पूजा-अर्चना का ऐलान हुआ है। ऐसे कुल कब्ज़ा प्रभावित मंदिरों की तादाद 100 से अधिक बताई जा रही है। हालाँकि प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद मुस्लिम पक्ष खुद को कब्जेदार नहीं बल्कि मंदिरों का रखवाला बताने में जुट गया है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, बेकनगंज के राम जानकी मंदिर के पीछे रहने वाले नफीस कहते हैं- “मंदिर को जैसे खोलना है, वैसे खोलें। हमको क्या लेना-देना है। मंदिर अलग है, घर अलग है। ये क्षेत्र पहले पुराना सर्राफा था। सारे हिंदू भाई यही रहते थे। फिर वो हिंदू बहुल क्षेत्रों में चले गए। मंदिर चारों तरफ से पैक है। हम लोग मंदिरों की देखभाल करते हैं। 92 के दंगों में हर जगह मंदिरों में तोड़फोड़ हुई। इसको हम लोगों ने बचाया।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शनिवार (21 दिसंबर 2024) को कानपुर की मेयर प्रमिला पांडेय 7 थानों की पुलिस फ़ोर्स के साथ मुस्लिम बहुल इलाके बेकनगंज पहुँची। बेकनगंज वही इलाका है जहाँ जून 2022 में मुस्लिम भीड़ ने भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा के बयान के विरोध में पुलिस पर हमला कर दिया था। प्रमिला पांडेय को यहाँ कई मंदिरों पर अवैध कब्ज़े की सूचना मिली थी। इसी सूचना पर लगभग आधे घंटे तक वो बेकनगंज में रहीं…..”
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