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Wednesday, June 25, 2025

नहीं सुधर रहा बॉलीवुड: हिन्दू धर्म और सांस्कृतिक प्रतीकों पर हमले अब भी जारी

बॉलीवुड कभी भी हिंदू भावनाओं का मज़ाक उड़ाने और हिंदू देवताओं का उपहास उड़ाने का कोई भी अवसर नहीं चूकता। यह कोई विशेष बैनर या प्रोडक्शन हाउस तक सीमित नहीं है, बॉलीवुड में लगभग फिल्म निर्माता ने कभी ना कभी हिंदू मान्यताओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है। हालांकि आमिर खान जैसे लोग ब्रेक ले रहे हैं, फिर भी उद्योग सुधर नहीं रहा है।

ऐसा ही ताज़ा मामला देखने में आया है नई फिल्म भेड़िया में, जिसमे ‘ठुमकेश्वरी’ गीत है। मैडॉक फिल्म्स ने भेड़िया फिल्म का निर्माण किया है, जिसमे वरुण धवन और कृति सनोन केंद्रीय भूमिका में हैं, और श्रद्धा कपूर ने इस गीत में एक नर्तकी का अभिनय किया है। जैसा कि बॉलीवुड के आइटम गानों में होता है, इस गीत में दोनों अभिनेत्रियों को कम कपड़े पहने और कामुक रूप से नाचते हुए दिखाया गया है। पुरुष पात्र और कोरस इन महिलाओं को “ठुमकेश्वरी” के रूप में संबोधित करते हैं, और समस्या यहीं है।

इस आइटम गीत के लिए “ठुमकेश्वरी” शब्द बनाने के लिए दो हिंदी शब्दों ठुमका और ईश्वरी को जोड़कर अनुकूलित किया गया है। ईश्वरी शब्द का एक संस्कृत मूल है, जो सर्वोच्च देवी के लिए उपयोग किया जाता है, और मुख्य रूप से देवी सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की त्रिमूर्ति को संपूर्ण या व्यक्तिगत रूप से संदर्भित करता है।

वहीं ईश्वरी शब्द को एक प्रत्यय के रूप में उपयोग किया गया है। ईश्वरी शब्द देवी मां के विभिन्न रूपों जैसे भुवनेश्वरी, दक्षिणेश्वरी, परमेश्वरी, त्रिपुरेश्वरी आदि को मूर्तिमान करने के लिए किया जाता है। इस पवित्र शब्द का उपयोग करना जो हिंदुओं के लिए कामुक नृत्य में संलग्न महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है, कई स्तरों पर अत्यधिक अपमानजनक और अपमानजनक है।

पिछले ही दिनों एक नई फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा का ट्रेलर आया है, इसमें विक्की कौशल, कियारा आडवाणी और भूमि पेडनेकर मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म में भूमि और विक्की पति-पत्नी की भूमिका में हैं, लेकिन विक्की अपनी पत्नी से खुश नहीं हैं और उन्हें तलाक देना चाहते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि भूमि के विवाहेतर सम्बन्ध हैं, वहीं विक्की के सम्बन्ध भी कियारा आडवाणी के साथ हैं। इसके अतिरिक्त फिल्म में एक हत्या के बारे में भी बताया गया है, और इसे एक मसालेदार फिल्म के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है।

हमे इससे कोई समस्या नहीं कि यह लोग अपनी फिल्मों में क्या दिखा रहे हैं, लेकिन समस्या तब होती है जब यह हिंदुत्व के प्रतीकों का दुरूपयोग करते हैं। इस फिल्म का शीर्षक गोविंदा के नाम पर है, जो भगवान् श्रीकृष्ण का ही एक नाम होता है। इस प्रकार की फिल्म ,जिसमे विवाहेतर सम्बन्ध और हत्या आदि दिखाई जाए, उसमे शीर्ष अभिनेता का नाम गोविंदा हो, तो समझिये कि उसका कितना बड़ा दुष्प्रभाव हमारे समाज पर पड़ सकता है। क्या यह निर्माता ऐसे शीर्षक किसी मजहब या रिलिजन के प्रवर्तक या पैगम्बर पर रख सकते हैं?

पिछले ही दिनों आई ‘थैंक गॉड’ फिल्म में भी हिंदुत्व का उपहास उड़ाया गया था। उस फिल्म में अजय देवगन ने चित्रगुप्त का अभिनय किया था, और उन्होंने इतने महत्वपूर्ण प्रतीक का ना सिर्फ गलत चित्रण किया, बल्कि मृत्योपरांत होने वाली सभी क्रियाओं का भी उपहास उड़ाया। उनका किरदार अशोभनीय वस्त्र पहने हुई स्त्रियों से घिरा रहता है, और फिल्म के मुख्य अभिनेता सिद्धार्थ को वासना, काम, क्रोध आदि पर प्रवचन देता दिखता है।

कुछ वर्षों पहले आमिर खान की एक फिल्म आयी थी ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान‘ । उसमे एक गीत है जिसका शीर्षक है ‘सुरैय्या’, जिसके बोल हैं : हाय घर सुरैय्या जान के, सर झुका के आये हो, दे चुकी है दर्शन, अब प्रसाद देगी क्या।

आमिर खान इस गीत में एक वेश्यालय में नृत्य कर रहे हैं, और शब्दों पर अगर आप ध्यान देंगे, तो इसमें वैश्यालय को ‘मंदिर’ बताया गया है जहां नर्तकी ‘दर्शन’ और ‘प्रसाद’ देती है। इससे अधिक और क्या लिखना, लेकिन यह साफ़ है कि फिल्म निर्माता क्या बताना चाह रहे हैं।

कुछ वर्षों पहले शाहरुख़ खान और अनुष्का शर्मा की एक फिल्म आई थी, रब ने बना दी जोड़ी । इसमें एक गीत है, “तुझमे रब दिखता है”, इसमें दिखाया गया है कि शाहरुख़ खान एक मनचले की भूमिका में मंदिर में अजीब हरकतें कर रहे हैं। वहीं एक मजार और गिरजाघर में उनका आचरण सही दिखाया गया है। मंदिर से उन्हें कोई समस्या थी क्या? या मंदिर को अन्य धार्मिक स्थलों से नीचे दिखाने का प्रयत्न था ?

यह कोई आज कल का मामला नहीं है, बॉलीवुड में दशकों से इसी प्रकार हिन्दुओं और उनके देवी देवताओं का भी अपमान किया जाता रहा है। दीवार, बदले की आग, दाग, आराधना, जैसे असंख्य फिल्में हैं जिनमे हिन्दुओं के देवी देवताओं को अक्षम बता कर अभिनेता और अभिनेत्री उस पर अपना क्रोध दिखाते हैं । उन्हें ना मानने की बात करते हैं, अपने जीवन में आये दुखों के लिए उन्हें दोषी ठहराते हैं, और उनकी पूजा करने से मना कर देते हैं।

इन फिल्मों में यह दर्शाने का प्रयत्न किया गया था कि जैसे हिन्दू देवी देवता हमेशा ही क्रुद्ध रहते हैं। वह अपने भक्तों को आशीर्वाद नहीं देते, उनका बुरा करते हैं, उनके जीवन में समस्या उत्पन्न करते रहते हैं। बॉलीवुड ने इन कुकृत्यों से आम हिन्दू के मन में संशय की दीवार कड़ी करने का कार्य किया है।

वहीं बॉलीवुड ने अन्य मजहब और रिलिजन के भगवानों को हमेशा से ही ससम्मान दिखाया है। चाहे दीवार फिल्म में अमिताभ बच्चन द्वारा बिल्ला नंबर 786 को पहनना हो, वहीं वो पात्र जीवन में कभी मंदिर ना जाने की बात को बड़े चाव से बताता है। वहीं शोले में आप देखेंगे कि कैसे रहीम काका अपनी नमाज़ के पाबंद होते हैं। पठान को जबान का पक्का बताया जाता है, ईसाई पात्र को पढ़ा लिखा और समझदार बताया जाता है, वहीं हिन्दुओं और सिख पात्रों का हमेशा ही उपहास उड़ाया जाता रहा है।

हिन्दुओ की जाग्रति से बॉलीवुड हिला, लेकिन अभी भी सबक सीखने को तैयार नहीं

पिछले एक दशक में हिंदुओं में जबरदस्त जागृति आई है। प्रधानमन्त्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा द्वारा अपनी राजनीतिक पहुंच का विस्तार करने के बाद इस जागृति ने गति पकड़ी है। बॉलीवुड को कई बार और बार-बार हिंदू देवी-देवताओं और मान्यताओं के बारे में किए गए हिंदू-विरोधी आख्यानों और असंवेदनशील आक्षेपों के लिए बुलाया गया है। हिंदू जागृति ने बॉलीवुड के आमिर खान और शाहरुख खान जैसे ‘सितारों’ को चित कर दिया है, जो उद्योग में दबदबा रखते थे लेकिन अब सफलता के लिए तरस रहे हैं।

रक्षाबंधन, थैंक गॉड, और रामसेतु जैसी बड़े बजट की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो रही हैं क्योंकि इन फिल्मों से जुड़े लोगों को हिंदू विरोधी के रूप में उजागर किया गया है। हिन्दुओं ने एक स्पष्ट संदेश दे दिया है कि बॉलीवुड जगत द्वारा उनकी आस्था के विरुद्ध किये जा रहे षड्यंत्रों को वह अब और सहन नहीं करेंगे। फिर भी वह सुधरने के लिए तैयार नहीं है!

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