“ ‘…तो भारत में रहकर ही काम कराएंगी अमेरिकी कंपनियां’, थिंक टैंक का दावा- ट्रंप का फैसला, उन्हीं पर पड़ेगा भारी”, जागरण, सितम्बर 21, 2025
“भारत और अमेरिका के बीच आईटी सेक्टर लंबे समय से जुड़ा हुआ है, लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एच-वनबी वीजा (H-1B Visa) फीस को 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) तक बढ़ाने का फैसला दोनों देशों में चर्चा का विषय बना हुआ है। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि इस कदम से अमेरिका को भारत से ज्यादा नुकसान होगा।
GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय आईटी कंपनियां पहले से ही अमेरिका में 50 से 80 फीसदी लोकल लोगों को नौकरी देती हैं। इस समय करीब 1 लाख अमेरिकी कर्मचारी भारतीय कंपनियों में काम कर रहे हैं। ऐसे में भारी फीस लगाने से न तो ज्यादा नई नौकरियां पैदा होंगी और न ही अमेरिकी कंपनियों को कोई बड़ा फायदा होगा।
भारत से ही ज्यादा काम कराएंगी अमेरिकी कंपनियां
GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने बताया कि अमेरिका में पांच साल के अनुभव वाला आईटी मैनेजर औसतन 1.2 से 1.5 लाख डॉलर सालाना कमाता है। वहीं, H-1B वीजा पर काम करने वाले भारतीय 40% कम वेतन पर और भारत में बैठे कर्मचारी 80% कम लागत पर काम कर लेते हैं। अब जब वीजा फीस इतनी बढ़ा दी जाएगी, तो अमेरिकी कंपनियां ऑन-साइट कर्मचारियों की बजाय ऑफशोरिंग बढ़ाएंगी। यानी ज्यादा काम भारत से ही करवाएंगी……”
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