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Wednesday, November 26, 2025

पुलिस पर हमला, मिर्ची स्प्रे का इस्तेमाल, “हर घर से हिडमा निकलेगा” जैसे नारे लगाकर नक्सली सोच को बढ़ावा देने की साजिश

दिल्ली की गंभीर प्रदूषण समस्या पर संवेदनशील बहस की जगह रविवार की शाम राजधानी ने एक चौंकाने वाला दृश्य देखा गया। इंडिया गेट पर हुए प्रदर्शन में कुछ अर्बन नक्सल तत्वों ने न केवल पुलिस पर हमला किया बल्कि बदनाम नक्सली कमांडर माडवी हिडमा का खुला समर्थन कर दिया। यह हर भारतीय के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि ऐसी हरकतें हमारी आंतरिक सुरक्षा से सीधे जुड़ी हैं।

राजधानी का इंडिया गेट कोई सामान्य जगह नहीं है। यहां सुरक्षा, यातायात और जनसामान्य की आवाजाही को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले से ही प्रदर्शन के लिए जन्तर मंतर को अधिकृत स्थल बताया है। इसके बावजूद समूह के कुछ लोगों ने सी-हेग्जागन पर ट्रैफिक रोकने की कोशिश की और पुलिस के लगातार आग्रह को अनसुना कर दिया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार एम्बुलेंस और मेडिकल स्टाफ तक जाम में फंसे रह गए लेकिन प्रदर्शनकारियों ने कोई परवाह नहीं की।

स्थिति तब और बिगड़ गई जब पुलिस ने रास्ता खाली कराने की कोशिश की। पुलिस के मुताबिक कुछ प्रदर्शनकारियों ने उन पर मिर्ची स्प्रे कर दिया जिससे तीन से चार कर्मियों की आंखें और चेहरा जल गया। उन्हें तुरंत राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाना पड़ा। पुलिस अधिकारियों ने इस हमले को बेहद असामान्य और गंभीर बताया और कानूनी कार्रवाई की बात कही। शांतिपूर्ण प्रदर्शन का यह रूप न केवल अस्वीकार्य है बल्कि राजधानी में कानून व्यवस्था के साथ खुली चुनौती है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रदर्शन के दौरान एक वीडियो सामने आया जिसमें कुछ लोग माडवी हिडमा की तस्वीरों वाले पोस्टर लेकर नारे लगा रहे थे। हिडमा वही खतरनाक माओवादी था जो वर्षों तक जंगलों में सुरक्षा बलों पर अनेक हमलों का नेतृत्व करता रहा। उसके सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम था। वह कई बड़े नरसंहारों में शामिल था। ऐसे व्यक्ति के समर्थन में नारे लगना यह दिखाता है कि यह प्रदर्शन पर्यावरण की चिंता से अधिक नक्सली विचारधारा को ढाल बनाकर प्रचार का मंच बनाने के लिए था।

पुलिस अब जांच करेगी कि इस भीड़ के पास हिडमा के पोस्टर कहां से आए और क्या इसके पीछे कोई संगठित प्रयास था। यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल के वर्षों में बार-बार देखा गया है कि कुछ गुट सामाजिक मुद्दों की आड़ में नक्सल सोच को शहरी क्षेत्रों में फैलाने की कोशिश करते हैं। राजधानी में ऐसे तत्वों का सक्रिय होना बेहद गंभीर मामला है।

राजनीतिक गलियारों में भी इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दिखी। कई जिम्मेदार लोगों ने कहा कि पिछले कुछ सालों में ऐसे तथाकथित कार्यकर्ता बार-बार संवेदनशील मुद्दों को हथियार बनाकर अव्यवस्था फैलाने की कोशिश करते रहे हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण वर्षों से है लेकिन अचानक कुछ गुटों का इस तरह का उग्र प्रदर्शन यह दिखाता है कि उद्देश्य साफ हवा की मांग नहीं बल्कि वामपंथी विचारधारा का एजेंडा आगे बढ़ाना था। उनके अनुसार यह वही गुट हैं जिन्होंने हमेशा कानून को चुनौती दी और अब हिडमा जैसे खूनी नक्सली के समर्थन में नारे लगाकर अपने असली चेहरे को सामने रख दिया।

दिल्ली की हवा रविवार को एक्यूआई 391 पर पहुंच गई जो बेहद खराब श्रेणी है। शहर को ऐसे समय में जिम्मेदार व्यवहार की जरूरत है। लेकिन अर्बन नक्सल तत्वों ने कानून हाथ में लेकर यह साबित किया कि उनका लक्ष्य पर्यावरण नहीं बल्कि नक्सलवाद का प्रचार है। यह भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है और ऐसे तत्वों पर सख्त कार्रवाई ही राजधानी और देश को सुरक्षित रख सकती है।

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Shomen Chandra
Shomen Chandra
Shomen Chandra is a writer and columnist who contributes articles and opinion pieces to various media organisations. He previously served as the Editor of News4Fact and is currently pursuing a postgraduate degree in Journalism and Mass Communication.

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