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Monday, November 10, 2025

राष्ट्र-चिंतनभारतीय पासपोर्ट की साख पर प्रश्न उठाने वालों को जानिये

भारतीय पासपोर्ट की गिरती साख? सच्चाई है या फिर हवाहवाई और साजिशपूर्ण अफवाह है जो भारत विरोधी विश्व शक्तियां समय-समय पर फैलाती रहती हैं और प्रत्यारोपित करती रहती हैं। आमतौर पर अवधारणा यह है कि जिस देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती हैं, निवेश की संभावनाएं ज्यादा होती है, राजनीतिक स्थिरता होती है, रोजगार की संभावनाएं मजबूत होती है और जिनकी सामरिक शक्ति विश्व स्तर की होती है, जिनकी कूटनीति तेज और प्रहारक होती है उनकी दुनिया में साख ज्यादा होती है और ऐसे देशों द्वारा जारी पासपोर्ट बहुत ज्यादा विश्वसनीय और सम्मानित होते हैं। भारत की पासपोर्ट की कसौटी पर विश्ेषताएं क्या-क्या है? भारत की आबादी दुनिया की सबसे बडी आबादी है। चीन को परास्त कर भारत की आबादी 140 करोड़ से अधिक हो गयी हैं और भारत की यह आबादी कोई बूढी नहीं बल्कि जवान है, कहने का अर्थ यह है कि भारत की आबादी मेहनत और विकास की सहयोगी होने की पात्रता रखती है, भारत की आबादी बोझ किसी भी स्थिति में नहीं है। भारत दुनिया के निवेशकों के लिए पसंदीदा जगह बनी हुई है, चीन से परेशान निवेशक भारत की ओर से राह देख रहे हैं, भारत में विदेशी निवेशकों की धमक को रोकने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प जैसे विदेशी शासक सकिय हैं फिर भी दुनिया के निवेशकों के लिए भारत पहला पसंद बन रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था कोई कमजोर नहीं है और न ही अस्थिर है बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर है और गतिमान है, समृद्ध है और रोजगार परख है। भारत सूचना क्रांति का हब और आधुनिक शिक्षा की अद्वितीय समृद्धि भी भारत के पास है। दुनिया भर के आईटी क्षेत्र की समृद्धि भारतीय सूचना क्रांति के वीरो पर निर्भर है। गूगल, माइक्रोसाॅफट, एक्स, फैसबुक सहित सभी नाॅमीगिरामी कंपनियों में भारत के सूचना और प्रबंधकीय क्षेत्र के बीरों का वर्चस्त और नियंत्रण भी उल्लेखनीय है। टाटा, अडानी और अंबानी जैसी भारतीय कंपनियां यूरोप और अमेरिका में अपनी सक्रियता और दखल खोज रही हैं।

फिर भी भारतीय पासपोर्ट को कमजोर और कम विश्वसनीय बताने वाले लोग कौन हैं और इनकी नीयत और साजिश क्या है? हेनले पासपोर्ट इंडेक्ट नामक संस्थान की यह कारस्तानी है। डेनले पासपोर्ट इंडेक्ट नामक कपंनी दुनिया के देशों के पासपोर्ट की प्रशंसा और विश्वसनीयता पर नजर रखती है और इस संबंध में प्रतिवर्ष रिपोर्ट जारी करती है और तिमाही रेकिंग भी देती है। वर्तमान में भारतीय पासपोर्ट की रैकिंग 85 है। दुनिया के 199 देशों में भारतीय पासपोर्ट का स्थान 85 है। यानी कि भारत से 109 देशों का पासपोर्ट अधिक मान्यता, विश्वसनीयता और प्रशंसा रखता है। भारत की पासपोर्ट रैकिंग पिछले साल की तुलना में इस वर्ष पांच स्थान नीचे गया है। पिछले साल दुनिया में भारतीय पासपोर्ट की वरीयता स्थान 80 था। एशिया भूभाग में भी भारतीय पासपोर्ट की रैंिकंग चिंताजनक है। जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देश टाॅप पर बैठे हुए हैं। सिंगपुर के लोगों को इस साल दुनिया के 199 देशों में से 193 देशों में बिना वीजा के जाने की अनुमति मिली, दक्षिण कोरिया के लोगों को 190 देशों और जापान के लोगों को 189 देशों में बिना वीजा जाने की अनुमति रही है। जापान,को टाप पर रहने की बात तो समझ आती है, क्योंकि ये बडे देश हैं और अपनी खूबियों के लिए विख्यात हैं पर दक्षिण कोरिया और सिंगापुर की आंतरिक समृद्धि भारत को पछाडने वाली भी नहीं कही जा सकती है। सबसे बडी बात यह है कि श्रीलंका और भूटान जैसे दक्षिण एशियाई देश इस मामले में भारत से आगे कैसे हो सकते हैं? इस तथ्य को कसौटी रखने के बाद हेनले पासपार्ट इंडेक्ट की रिपोर्ट और रैंकिग पर प्रश्न जरूर उठते हैं और भारत विरोधी इनकी मानसिकताएं भी झलकती है।

 सबसे बडा विवाद रवांडा, घना और अजरबैजान आदि देशों को मिली पासपोर्ट रैंकिंग पर है। रंवाडा 78 वें, घाना 74 वे और अजरबैजान 72 वे स्थान पर है, यानी की भारत से उपर हैं और इनकी पासपोर्ट की विश्वसनीयता भारत के पासपोर्ट से कहीं ज्यादा है। रंवाडा और घाना अफ्रीकी देश हैं जहां पर भूखमरी पसरी रहती है, बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं और दुनिया में इनकी अर्थव्यवस्था कोई उल्लेखनीय नहीं है, दुनिया की कूटनीति में इनकी साख और वर्चस्व भारत की तुलना में कहीं नहीं ठहरती है, दुनिया के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में शांति के प्रयासों मंें इनकी कोई खास सहभागिता नहीं है। जबकि भारत की शांति सेना दुनिया की हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पहली पंसद मानी जाती है। अजरबैजान एक मुस्लिम देश है जहां पर इस्लामिक व्यवस्था कायम है, सभी मूल्यों और व्यवस्थाओं पर इस्लाम के नियम-कानून कार्य करते हैं, जहां पर बुनियादी आजादी की बात भी बैमानी होती है। कई मुस्लिम देशों जहां पर मानवाधिकार का घोर उल्लंघन होता हैे, जहां पर संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर का पालन नहीं होता है, जहां पर अंतर्राष्ट्रीय नियम-कानूनों की सरेआम धजियां उडाई जाती है, जहां पर पर्यटकों को इस्लामिक मूल्यों का पालन न करने पर कोडे मारने और जेलों में सडाने की व्यवस्था है वहां के पासपोर्ट पर हेनले पासपोर्ट इंडेक्ट की कोई प्रहारक नजर क्यों नहीं जाती? दुनिया के 60 से अधिक मुस्लिम देशों के नागरिक अपने-अपने देशों के पासपोर्ट पर विदेश जाते हैं और आतंकवादी बन जाते हैं, हिंसा फैलाते हैं फिर इनका पासपोर्ट क्यों और कैसे वंदनीय हो जाते हैं? अमेरिका और यूरोप में आतंकवाद और अन्य हिंसा फैलाने वाले मुस्लिम देशों के पासपोर्ट धारी ही अधिक होते हैं।

जिस देश का पासपोर्ट कमजोर होता है उसकी चुनौतियां और समस्याएं क्या-क्या होती हैं और उनके नागरिकों को कौन-कौन सी समस्याएं होती हैं? कमजोर पासपोर्ट वाले देशों के नागरिकों को कागजी कार्रवाइयां ज्याद करनी पडती हैं, कई प्रमाण पत्र मांगे जाते हैं, अपराध की संलिप्तता देखी जाती है, पढाई का स्तर देखा जाता है, आमदनी देखी जाती है, स्वास्थ्य समस्याएं देखी जाती है, बीमा पालिसी देखी जाती है, वीजा पर ज्याद खर्च करना पडता है, यात्रा की इंतजार लंबा होता है, वीजा संबंधित देशों से सुविधाएं भी कम मिलती है, डिपोर्ट की समस्याएं भी होती हैं। वीजा प्रदान संबंधित देश कई बार ऐसे देशों के नागरिकों को अपने देश में प्रवेश करने से पहले ही वापस भेज देते हैं, इसलिए अतिरिक्त सावधानी और अतिरिक्त अहर्ताएं रखने की बाध्यता होती है। हेनले पासपोर्ट इंडेक्ट की कम रैंकिग और शत्रुता पूर्ण शाजिस के बावजूद भी दुनिया में भारतीय पासपोर्ट धारकों का डंका बज रहा है, उनकी आगवानी और स्वागत में कमी नहीं है। दुनिया के 57 देशों में भारत के पासपोर्ट धारी नागरिकों को वीजा मुक्त प्रवेश का अधिकार है, कहने का अर्थ यह है कि दुनिया के 57 देश इस साल भारतीयों को बिना वीजा अपने देश में प्रवेश की स्वीकृति दी थी। भारत के नागरिकों को 1970 के दशक में कई पश्चिमी देशों में वीजा मुक्त प्रवेश की अनुमति थी। लेकिन जबसे मुस्लिम आतंकवाद और सिख आतंकवाद का विस्तार हुआ तब से भारतीय पासपोर्ट धारी नागरिकों की समस्याएं बढी हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।

 कबूतरबाजी का नाम आपने सुना होगा? कबूतरवाजी के कारण कुछ समस्याएं विदेशों में सामने आयी हैं? कबूतरबाजी उसे कहते हैं जिसमें अवैध पर तौर पर किसी देश में घुसाना और प्रवासी होने का दर्जा दिलाना। लोभ और लालच में भारत के युवा भ्रमित हो जाते हैं, झांसे में आ आ जाते हैं, अति सुखमय जीवन के लिए अमेरिका और यूरोप की जाने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। दुरूह नदियों-जंगलों और पहाडों-समुद्र के बीच जोखिम भरा यात्रा करते हैं, इस दौरान जान भी गंवाते हैं, पकडे जाने पर डिपोर्ट भी होते हैं। डिपोर्ट होते ही जीवन कब्र बन जाती हैं, लाखों रूपये लेने वाला कबूतरबाज फरार हो जाता है। इस कसौटी पर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां अब सक्रिय हो गयी हैं। खासकर दिल्ली पुलिस ने 2024 के दौरान वीजा और पासपोर्ट धौखाधडी में 204 लोगों को गिरफ्तार किया था। ई पासपोर्ट से भी भारतीय पासपोर्ट की विश्वसनीयता बढाने और धोखधडी रोकने जैसे कदम उठाये गये हैं। ई पासपोर्ट में जालसजी करना और छेडछाड करना मुश्किल होता है। ई पासपोर्ट में बायोमेट्रिक जानकारियां निहित होती हैं। भारतीय पासपोर्ट को विश्वसनीय बनाने के लिए अन्य सुधारों की जरूरत होगी। राजनीतिक संपर्क और वीजा मुक्त समझौतों से भी भारतीय पासपोर्ट को मजबूत होने की गारंटी मिलती है।

— आचार्य श्रीहरि

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