ढाका के शहीद मीनार पर हुई भारत विरोधी रैली ने दक्षिण एशिया की स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बांग्लादेश की नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के नेता हसनत अब्दुल्ला ने मंच से भारत को खुलेआम धमकाया और कहा कि भारत के सेवन सिस्टर्स यानी पूर्वोत्तर राज्यों को अलग-थलग कर दिया जाएगा। यह बयान किसी राजनीतिक असहमति की सीमा में नहीं आता। यह भारत की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और कूटनीतिक मर्यादाओं पर सीधा हमला करता है।
यह रैली इंकलाब मंच ने अपने प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी पर हुए जानलेवा हमले के विरोध में आयोजित की। इसी मंच से हसनत अब्दुल्ला ने भारत पर बिना प्रमाण के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भारत बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाता है, सीमा पार हत्याओं को बढ़ावा देता है और चुनावी प्रक्रिया को बाधित करता है। इन आरोपों ने सच्चाई के बजाय उकसावे और नफरत को हवा दी।
हसनत अब्दुल्ला ने धमकी भरे लहजे में कहा कि अगर बांग्लादेश की संप्रभुता और मतदान अधिकारों का सम्मान नहीं हुआ तो पूरे दक्षिण एशिया में अशांति फैल जाएगी। यह बयान जिम्मेदार राजनीति नहीं दिखाता। यह बयान क्षेत्रीय शांति को नुकसान पहुंचाने की मंशा उजागर करता है। भारत ने हमेशा बांग्लादेश की स्थिरता, विकास और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का समर्थन किया है। भारत ने किसी भी पड़ोसी देश की संप्रभुता को चुनौती नहीं दी।
यह घटनाक्रम उस राजनीतिक पृष्ठभूमि में सामने आया, जब 2024 के छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना की अवामी लीग सरकार सत्ता से बाहर हुई। छात्रों ने अंतरिम व्यवस्था बनाई और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस ने मुख्य सलाहकार की जिम्मेदारी संभाली। इसी अंतरिम परिषद में सूचना मंत्रालय के सलाहकार रहे नाहिद इस्लाम ने इस्तीफा दिया और छात्रों के साथ मिलकर नेशनल सिटिजन पार्टी का गठन किया। चुनाव से पहले बनी इस नई पार्टी ने जन समर्थन जुटाने के लिए भारत विरोधी भावनाओं को हथियार बनाया।
आज बांग्लादेश में उभरते भारत विरोधी आंदोलन केवल सड़कों तक सीमित नहीं रहे। अंतरिम सरकार के भीतर से अप्रत्यक्ष समर्थन के संकेत भी सामने आते हैं। NCP के दक्षिणी क्षेत्र के मुख्य संयोजक हसनत अब्दुल्ला ने भारत पर हथियार, फंड और प्रशिक्षण देने जैसे आरोप लगाए और यूनुस सरकार से भारत के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की मांग की। इस तरह के बयान अंतरिम शासन की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।
इसी मंच से NCP के उत्तरी क्षेत्र के संयोजक सरजिस आलम ने भी भारत को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि जब तक भारत शेख हसीना को शरण देता रहेगा, तब तक संबंध सामान्य नहीं होंगे। उन्होंने भारतीय उच्चायोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए। यह टिप्पणी कूटनीतिक शिष्टाचार को ठेस पहुंचाती है और द्विपक्षीय संबंधों को कमजोर करती है।
भारत के सेवन सिस्टर्स को अलग करने की धमकी केवल शब्दों का खेल नहीं है। यह पूर्वोत्तर भारत में अस्थिरता फैलाने की खतरनाक सोच को दर्शाती है। भारत का पूर्वोत्तर देश की सुरक्षा, सांस्कृतिक विविधता और आर्थिक प्रगति का अभिन्न हिस्सा है। किसी भी बाहरी ताकत को इस क्षेत्र पर उंगली उठाने का अधिकार नहीं है।
भारत को ऐसे उकसावे पर स्पष्ट और सख्त जवाब देना चाहिए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को भी यह समझना होगा कि सत्ता की राजनीति में भारत विरोध भड़काने से क्षेत्रीय विश्वास टूटता है। दोनों देशों की जनता शांति, सहयोग और विकास चाहती है, न कि धमकियों और भ्रम की राजनीति।
