भारत सरकार द्वारा इस वर्ष के अवकाशों की सूची जारी की गयी है। परन्तु वह सूची यह बताने के लिए पर्याप्त है कि भारत में हिन्दुओं की स्थिति अभी भी दोयम दर्जे की है। इस सूची में 14 अनिवार्य अवकाशों में 3 राष्ट्रीय पर्वों का अवकाश है, दीपावली और दशहरे की छुट्टियां हैं, 2 छुट्टियाँ ईसाई पर्व की हैं, एक एक छुट्टी सिख, जैन और बौद्ध धर्म की हैं और चार अवकाश मुस्लिम त्योहारों के लिए दिए गए हैं।
यह बहुत ही हैरान करने वाला कदम है कि हिन्दुओं के आराध्य प्रभु श्री राम, कृष्ण एवं महादेव के दिवसों पर एक भी अवकाश नहीं हैं। रामनवमी, श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवं महाशिवरात्रि को वैकल्पिक अवकाशों में स्थान दिया गया है। यहाँ तक कि होली को भी वैकल्पिक माना गया है। न ही रक्षाबंधन को सम्मिलित किया गया है।
कहीं न कहीं ऐसा लग रहा है जैसे केंद्र की भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार भी सेक्युलर होने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, जैसा पहले की सरकारों में होता था। देश के बहुसंख्यक समाज को दिनों दिन ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे हाशिये पर धकेला जा रहा है। फिर चाहे वह पालघर में साधुओं की लिंचिंग का मामला हो, या फिर अब यह!
इस सूची के सामने आते ही हलचल मच गयी है। लोग गुस्से में हैं और प्रश्न कर रहे हैं। इस सूची को दूरदर्शन में वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने ट्वीट करते हुए प्रश्न किया कि
ये साल 2022 की भारत में छुट्टियों की लिस्ट है जो @DoPTGoI ने जारी की है। हैरान हूँ ये देखकर कि प्रोफेट मोहम्मद का जन्मदिन कम्पलसरी हॉलिडे है पर रामनवमी, जन्माष्टमी और महाशिवरात्रि वैकल्पिक अवकाश हैं। मोहर्रम कम्पलसरी हॉलिडे है पर होली वैकल्पिक अवकाश है। गज़ब !
जैसे ही यह ट्वीट सामने आया लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं:
वामपंथी हमेशा ही हिन्दुओं को उनके पर्वों के माध्यम से ही अलग करते हैं एवं वह बार बार यह कहते हैं कि भारत एक देश नहीं है क्योंकि यहाँ पर्वों में ही इतनी विविधता है। फिर भी प्रभु श्री राम, कृष्ण एवं महादेव से वह जुड़े हैं। अर्थात ये भगवान ही हमारे समाज को जोड़े रखने वाले कारक हैं, एवं भारत ही क्यों पूरे विश्व में कोने कोने पर प्रभु श्री राम, श्री कृष्ण एवं महादेव के निशान प्राप्त होते हैं।
परन्तु यह अत्यधिक दुर्भाग्य का विषय है कि भारत में ही उनके जन्मदिवसों पर अवकाश नहीं है। भारत में पैगम्बर मुहम्मद के जन्मदिवस के अवसर पर अवकाश हो सकता है परन्तु प्रभु श्री राम के जन्मदिन पर अवकाश नहीं होता?
यहाँ तक कि जो पर्व हमारी लोक संस्कृति एवं लोक की सांस्कृतिक एकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, जैसे मकर संक्रांति आदि, उन्हें भी इस सूची से बाहर रखा गया है।
हिन्दुओं के पर्व प्राय: निशाना बनते हैं
यह भी देखना आवश्यक है कि कैसे हिन्दू पर्वों को बार बार निशाना बनाया जाता है। ऐसा लग रहा है जैसे हिन्दुओं के पर्वों को गैर सरकारी संगठनों एवं सरकारी स्तर दोनों पर ही नीचा दिखाने के साथ साथ उनकी प्रासंगिकता ही जैसे समाप्त करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। हम देखते हैं कि एनसीईआरटी में पाठ्यपुस्तकों में बच्चों को हिन्दू धर्म के इतिहास के विषय में भ्रामक या फिर शून्य जानकारी प्रदान की जाती है।
इतना ही नहीं बच्चों के मन में धर्म के प्रति नकारात्मक बातें भरी जाती हैं। हिन्दू परम्पराओं पर प्रहार किए जाते हैं।
इन पर्वों को पहले तो आधिकारिक स्तर पर नीचा दिखाया जा रहा है, उसके बाद एनजीओ इनपर तरह तरह की याचिकाएं दायर करते हैं। न्यायालय हर प्रकार के प्रयोग हिन्दू पर्वों के साथ करते हैं। हिन्दुओं के होली और दीपावली पर तरह तरह के नियम लगाए जाते हैं। यदि शुक्रवार के दिन होली होती थी, तो दोपहर बारह बजे के बाद होली मनाने की स्वतंत्रता नहीं होती थी। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर दही हांड़ी की ऊंचाई न्यायलय निर्धारित करता है। दीपावली पर पटाखे कितने चलेंगे, यह भी न्यायालय और एनजीओ मिलकर तय करते हैं
रक्षाबंधन को पितृसत्तात्मक पर्व बताकर प्रस्तुत किया जाता है।
और अब सरकार में अवकाश भी नहीं दिए जा रहे हैं। लोग निराश हैं एवं बार बार यही प्रश्न कर रहे हैं कि क्या भारत की पहचान इस सरकार में भी मात्र इस्लामी त्योहारों में सिमट कर रह गयी है?
लोग प्रश्न कर रहे हैं कि अब भारतीय जनता पार्टी पर प्रश्न हो रहा है?
अभी परसों युवा दिवस पर ही गालीबाज लेखक देवदत्त पटनायक को सरकारी मंच देने को लेकर शोर मचा था और फिर तकनीकी कारणों से कार्यक्रम रद्द हुआ था।
एक और प्रश्न उठता है कि क्या यह अफसरशाही का कार्य है?
Surely, there is a black-sheep in the MoPP&PG. who wants to defame the entire BJP top leaders through this emotional Astra. I wonder if this list has been published with the approval of Minister. If the Govt doesn’t relent, it will score a self-goal. It was the VP Singh Govt which introduced Muhammad’s B’day holidy. To the best of my knowledge, in Islam, this not the practice, only Allah is to be respected/worshipped, none else.