“’लव जिहाद’ शब्द पर रोक के लिए मुस्लिम शख्स ने लगाई याचिका, एमपी हाईकोर्ट से लगा बड़ा झटका”, नवभारत टाईम्स, जून 27, 2025
“मीडिया में लव जिहाद शब्द के इस्तेमाल से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आस्था प्रभावित हो रही है। इसे लेकर एमपी हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। हाई कोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता के पास वैकल्पिक कानूनी प्रावधान उपलब्ध है। याचिकाकर्ता उसके माध्यम से इसे चुनौती दे सकता है।
भोपाल निवासी ने दायर की थी याचिका
भोपाल निवासी मारूफ अहमद खान की तरफ से यह याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि मुस्लिम के धार्मिक भावनाओं को नापसंद करने और लव जिहाद शब्द को विकृत कर पेश कर हिंदू और मुसलमानों के बीच द्वेष फैलाया जा रहा है। साथ ही मांग की थी कि मीडिया के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। इस्लाम के खिलाफ परोसी जाने वाली भ्रामक खबरों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए सख्त दिशा निर्देश जारी करें। इससे धर्मनिपेक्षता की भावना प्रबल हो और धर्म के कारण मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर लगाम लग सके।
राज्य सरकार ने पेश की थी आपत्ति
राज्य सरकार की तरफ से आपत्ति पेश करते हुए कहा गया था कि याचिकाकर्ता के पास यह याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि समाचार पत्र में किए गए प्रकाशन से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आस्था का शोषण किया जा रहा है। जिसके कारण याचिकाकर्ता और मुस्लिम समुदाय से संबंधित अन्य व्यक्तियों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में पुलिस अधिकारियों को आवेदन दिया था। पुलिस अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की, इसके बाद याचिका दायर की…..”
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