भास्कर प्रभा, इंफाल वेस्ट, मणिपुर, 26 जनवरी 2025
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के माननीय सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने मणिपुर के इंफाल वेस्ट स्थित भास्कर प्रभा में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान प्रभावशाली भाषण दिया। गणतंत्र दिवस उपलक्ष्य में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए श्री होसबाले ने भारत की एकता, संस्कृति और नागरिकों के कर्तव्यों पर बल दिया।
अपने संबोधन में उन्होंने हिमालय से लेकर विशाल भारत महासागर तक फैले इस पवित्र भूमि की पहचान को याद दिलाया और इसे भारत के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने कहा, “इस भूमि पर रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति भारतीय है,” जिससे राष्ट्रीय एकता की भावना को बल मिला।
उन्होंने भारत के संविधान में निहित गहरी सांस्कृतिक आत्मा को रेखांकित किया और कहा कि इसके चित्र और पाठ हमारे देश की समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं। श्री होसबाले ने नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों के महत्व पर जोर दिया और भारतीय इतिहास की प्रतिष्ठित विभूतियों के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही।
उन्होंने भगवान श्रीराम की कथा साझा की, जिन्होंने अपने मौलिक अधिकारों का त्याग करते हुए 14 वर्षों का वनवास स्वीकार कर अपने मौलिक कर्तव्य को पूरा किया। उन्होंने कहा कि यह घटना कर्तव्य को अधिकारों से ऊपर रखने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने राजा हरिश्चंद्र का भी उल्लेख किया, जिन्होंने सत्य के प्रति अपनी अटल निष्ठा के कारण अनेक कष्टों का सामना किया, और यह सत्य को ही सर्वोपरि मानने वाले देश के आदर्श ‘सत्यमेव जयते’ का प्रतीक है।
श्री होसबाले ने कहा, “भारत विश्व कल्याण के लिए है, जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) के सिद्धांत से प्रेरित है।” उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया कि वे राष्ट्र को मजबूत और विकसित बनाने के लिए समर्पित हों। उन्होंने इसे प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य और जिम्मेदारी बताया।
अपने संबोधन के अंत में, श्री होसबाले ने सभी से 76वें गणतंत्र दिवस पर एक पवित्र संकल्प लेने का आग्रह किया—यह कि हम लोकतंत्र की पवित्रता को बनाए रखें, राष्ट्र की अखंडता और एकता की रक्षा करें, और यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास करें कि ये मूल्य आने वाली पीढ़ियों तक बने रहें।
भास्कर प्रभा में आयोजित यह समारोह देशभक्ति के जोश से परिपूर्ण रहा। राष्ट्रीय ध्वज ऊंचा लहराता रहा, और वंदे मातरम के गूंजते स्वर ने वहां उपस्थित सभी के हृदय में गर्व और समर्पण की भावना जगा दी।
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