“1954 का कुंभ, 1000+ लोगों की मौत और PM नेहरू: किसे बचाने के लिए इसे कहा गया ‘कुछ भिखारियों की मौत’ – एकमात्र मौजूद पत्रकार ने जो-जो देखा-लिखा, जानिए सब”, ऑपइंडिया, जनवरी 06, 2025
“तीर्थराज प्रयागराज में हर 12 साल बाद कुँभ मेले का आयोजन होता है। प्रयागराज महाकुंभ 2025 को लेकर बहुत कुछ लिखा-पढ़ा जा रहा है, लेकिन हम बताने चल रहे हैं आजादी के बाद आयोजित पहले कुंभ मेले के बारे में, जहाँ प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उस समय राष्ट्रपति रहे डॉ राजेंद्र प्रसाद भी पहुँचे थे। लेकिन उनका पहुँचना इतना दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि 1000 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी और 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
करीब 1000 लोगों के मारे जाने की वजह थी, भगदड़ का मचना.. जिसके बारे में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग दावे किए जाते हैं। हालाँकि हम प्रकाशित कर रहे हैं वो सबसे विश्वसनीय आँखों देखी, जिसके हमेशा से छिपाने की कोशिश की गई।
कुंभ 1954 में भगदड़ का नेहरू कनेक्शन
भारत को आजादी 1947 में मिली थी। सन 1954 में पहली बार आजाद भारत के प्रयाग (तत्कालीन इलाहाबाद) में कुंभ का आयोजन होने वाला था। हालाँकि 1948 में अर्धकुंभ का आयोजन हो चुका था। चूँकि कुंभ 1954 का आयोजन खुद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शहर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हो रहा था, तो इसमें नेहरू की निजी रुचि भी थी। लेकिन दूसरे शाही स्नान (मौनी अमावस्या) में खुद नेहरू के शामिल होने के फैसले ने प्रयाग में लाशों के ढेर लगा दिए……”
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