“गो हत्या के विरोधी थे MK गाँधी… लेकिन गोवध रोकने के लिए कानून बनाने का करते थे विरोध: खुद ही कंफ्यूज थे बापू या कर रहे थे मुस्लिम तुष्टिकरण?”, ऑपइंडिया, अक्टूबर 02, 2024
“भारत में गो-हत्या एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है। यह मुद्दा आज से नहीं, बल्कि सदियों से है। मुगलकाल में भी इसको लेकर तमाम विरोध एवं युद्ध होते रहे हैं। ब्रिटिश भारत में भी गो-हत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। महात्मा गाँधी भी गो-हत्या पर प्रतिबंध एवं गो-संरक्षण के प्रबल समर्थक थे। हालाँकि, मुस्लिम इससे नाराज ना हो जाएँ, इसके कारण वे इस पर प्रतिबंध के खिलाफ थे।
देश में गो-हत्या पर प्रतिबंध लगाने की माँग को लेकर देश भर से लोगों के पत्र एवं टेलीग्राम महात्मा गाँधी को मिलते रहते थे। हिंदुओं ने ऐसे लगभग एक लाख पत्र भेजकर गो-हत्या पर प्रतिबंध लगाने की माँग की थी। तब महात्मा गाँधी ने 25 जुलाई 1947 ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को इसको लेकर एक जवाब दिया था।
महात्मा गाँधी ने माना था कि गाय हिंदुओं के लिए पवित्र है, लेकिन बावजूद उन्होंने कहा था कि वे किसी को भी गायों का वध नहीं करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते और ना ही वे करेंगे। उन्होंने कहा था कि जब तक कि जब तक गो-हत्या करने वाले (विशेष रूप से मुस्लिमों के संदर्भ में) में खुद नहीं ऐसा करने के लिए खुद तैयार ना हों……”
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