दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने जब से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को खरीदा है, तब से वह कई प्रकार के खुलासे कर रहे हैं। पहले उन्होंने ट्विटर के प्रबंधन में बैठे कई लोगों की छुट्टी की, उसके पश्चात उन्होंने ट्विटर के काम काज में भारी बदलाव किये हैं। अब वह ट्विटर के पिछले प्रबंधन द्वारा अपनाई जाने वाली पक्षपात पूर्ण नीतियों और आपत्तिजनक गतिविधियों का खुलासा कर रहे हैं, इसे उन्होंने ‘ट्विटर फाइल्स’ का नाम दिया है।
एलन मस्क की इस कार्य में सहायता की है दो स्वतंत्र पत्रकारों ने, जिनके नाम हैं मैट तिब्बी और बरी वेइस। इन दोनों ही पत्रकारों ने पिछले दिनों ट्विटर के पुराने प्रबंधन और कर्मचारियों के पक्षपातपूर्ण व्यवहार और वामपंथी नीतियों के बारे में जानकारी साझा की है। इन लोगों ने ट्वीट की श्रंखला के रूप कई गोपनीय जानकारियां साझा की हैं, जिनसे पता लगता है कि ट्विटर में किस प्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गाला घोंटा जा रहा था।
बरी वेइस ने ट्वीट में खुलासा किया है कि पुराने प्रबंधन ने ट्विटर कर्मचारियों का एक दल बनाया था, जो चिन्हित किये गए लोगों को ब्लैकलिस्ट किया करता था। यह दल दक्षिणपंथी, राष्ट्रवादी और वामपंथी विचारधारा का विरोध करने वाले एकाउंट्स को चिन्हित किया करती थी, और उन्हें ट्रेंड होने से रोकती थी। यह दल ट्रेंडिंग में रहने वाले विषयों की दृश्यता को भी बिना सूचना दिए सीमित कर देती थी। अगर कोई व्यक्ति ट्विटर की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह उठाता था, तो यह दल उनके एकाउंट्स को निलंबित भी कर देता था।
बरी वेइस के अनुसार यह दल इस कार्य को गुप्त तरीके से किया करता था। उन्होंने बताया कि “ट्विटर जब बना था तब उसका एक ही ध्येय था, कि हर किसी को बिना किसी बाधा के जानकारी और नए विचारों के आदान प्रदान करने के लिए एक निष्पक्ष मंच दिया जाए, लेकिन समय के साथ साथ ट्विटर ने अपने मूल मन्त्र को भुला दिया और उपयोगकर्ताओं के लिए भाँती भाँती की बाधाएं पैदा करने का कार्य किया।”
वेइस ने एक और उदाहरण दिया दक्षिणपंथी विचारधारा के टीवी शो संचालक डैन बोंगिनो का। उन्होंने बताया कि किस तरह से डैन को एक बार सर्च ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था, ताकि कोई उनके अकाउंट और ट्वीट्स को ढूंढ ना सके। उनके अतिरिक्त रूढ़िवादी कार्यकर्ता चार्ली किर्क की ट्वीट्स को भी ट्विटर के इस ख़ुफ़िया दल ने प्रतिबंधित कर दिया था। वेइस ने एक अनाम ट्विटर इंजीनियर के हवाले से ट्वीट किया और लिखा, ‘हम दृश्यता को कुछ हद तक नियंत्रित करते हैं। और हम आपकी सामग्री के विस्तार को भी नियंत्रित करते हैं। सामान्य लोग इतना नहीं करते हैं जितना कि हमनें किया है।’
वेइस का मानना है कि सोशल मीडिया का पारिस्थितिक तंत्र इसी प्रकार काम करता है। अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे कि गूगल, यू-ट्यूब और फेसबुक भी इसी बात को आगे बढ़ाते हैं। वेइस ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉक्टर जे भट्टाचार्य का उदाहरण दिया। भट्टाचार्य ने कहा था कि कोविड लॉकडाउन से बच्चों को नुकसान पहुंच रहा है। उन्हें ट्विटर पर चुपचाप ट्रेंड्स ब्लैकलिस्ट में डाल दिया गया था, जिसके कारण उनकी कोई भी ट्वीट ट्रेंडिग में नहीं आ सकी थी, और लोग उनके द्वारा केहि गयी महत्वपूर्ण बातें खोज भी नहीं पा रहे थे।
पिछले ही दिनों एक खुलासे में बताया गया था कि किस प्रकार अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों के समय राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे जो बाइडन के बेटे हंटर से जुड़े एक लेख को दबाया गया था, जिससे संभवतया बाइडन को चुनाव में हानि होनी निश्चित थी। वहीं दूसरी ओर ट्विटर ने अप्रत्याशित रूप से तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अकाउंट को बंद कर दिया था।
सभी नियमों को तोड़ तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का अकाउंट बंद किया गया था
लेखक माइकल शेलनबर्गर ने ट्विटर फाइल्स के नए खुलासे में बताया है कि कैसे ट्विटर के विश्वास और सुरक्षा के पूर्व-वैश्विक प्रमुख, योएल रोथ ने कैपिटल दंगों के पश्चात तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को इस मंच पर निषेध करने कि कार्यवाही की थी। माइकल शेलेंबर्गर द्वारा साझा किए गए आंतरिक संचार ने यह भी उजागर किया कि कैसे रोथ ने कनिष्ठ ट्विटर कर्मचारियों के सुझावों की पूरी तरह से अवहेलना की और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के नियमों को अनायास बदल दिया था।
शेलनबर्गर ने बताया कि मिशेल ओबामा सहित डेमोक्रेट नेताओं और समर्थकों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से डोनाल्ड ट्रम्प को ‘डी-प्लेटफॉर्म’ करने के लिए ट्विटर के सीईओ जैक डोरसे पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था।
उन्होंने कहा कि डोरसी उस समय फ्रेंच पोलिनेशिया में छुट्टियां मना रहे थे और निर्णय लेने की प्रक्रिया को कानूनी, नीति और ट्रस्ट की प्रमुख विजया गड्डे और योएल रोथ पर छोड़ दिया था। जबकि 7 जनवरी, 2021 को आंतरिक संचार से पता चला कि जैक डोर्सी ने शीर्ष अधिकारियों को ट्विटर नियमों को सावधानी से लागू करने का सुझाव दिया था, वहीं योएल रोथ ने उनकी सलाह की अवहेलना की। रोथ ने कहा था कि जनता उनसे यह अपेक्षा कर रही है कि वह ट्रम्प पर कड़ी कार्यवाही करें, और अंततः उन्होंने वही किया भी।
जैक डोरसी के साथ विचार-विमर्श के बाद, रोथ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को ट्विटर के मंच पर प्रतिबंधित करने के लिए तैयार हो गए थे। उनके और जैक ने अनुसार ट्रम्प एक आदतन अपराधी थे, और उन्हें उनके व्यवहार का दंड मिलना ही चाहिए था। इस निर्णय के तुरंत बाद ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रम्प के अकाउंट को स्थाई रूप से बंद कर दिया था, जिस पर लोगों ने आपत्ति भी जताई थी।
यहाँ आश्चर्य की बात यह है कि ट्विटर पर कई कट्टर जिहादी, माफिया, आतंकवादी संगठन और अन्य आपत्तिजनक लोगों के अकाउंट हैं, और वह लोग बिना किसी समस्या के इस मंच का उपयोग करते हैं। वहीं तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति को इस प्रकार से प्रतिबंधित करना सोशल मीडिया के दुरूपयोग का एक बड़ा ही भयावह पक्ष दिखाता है।
कौन कौन सम्मिलित था इस गुप्त दल में?
बरी के अनुसार इस गुप्त दल की सबसे प्रमुख सदस्य और कर्ताधर्ता थी विजया गड्डे, जो ट्विटर की नीति और विश्वास विभाग की प्रमुख थीं। उनके अतिरिक्त इस दल में ट्विटर के नीति और विश्वास विभाग के वैश्विक प्रमुख योयेल रॉथ और ट्विटर के पूर्व कार्यकारी अधिकारी जैक डॉरसी और पराग अग्रवाल समेत कुछ और लोग भी सम्मिलित थे।
इस गुप्त दल का ध्येय था उपयोगकर्ताओं की संख्या को सीमित करना, लेकिन इनका व्यवहार बहुत ही पक्षपातपूर्ण था। इस दल को ‘सामरिक प्रतिक्रिया दल’ या फिर एसआरटी-जीईटी नाम दिया गया। यह दल एक दिन में 200 से ज्यादा मामले देखता था और इसका प्रयास रहता था कि विपरीत विचारधारा के लोगों पर कार्यवाही की जाए और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला जाए।
क्या भारत ‘ट्विटर फाइल्स’ जैसे आक्रमण के लिए तैयार है?
ट्विटर ने भारतीय राजनीति और चुनाव प्रक्रिया में छेड़छाड़ करने का प्रयास भी किया था। ट्विटर पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह भारतीय दक्षिणपंथी और राष्ट्रवादियों के अकाउंट को निशाना बनता रहता है। यह कहा जाता है कि कुछ नीतियों का बहाना बना कर एक पक्ष के अकाउंट और ट्वीट की दृश्यता को कम किया जाता था, और कई बार तो अकॉउंट बंद ही कर दिए जाते थे। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि क्या भारत ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंच द्वारा की जाने वाली एकपक्षीय कार्यवाही से बचाव के उपाय करने में सक्षम है भी या नहीं ?
‘ट्विटर फाइल्स’ से खुलासों को लेकर भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंट्टी राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि इस खुलासे ने हमें सोचने का और कारण दिया है, कि हमारे डिजिटल इंडिया कानून में क्या-क्या प्रावधान होने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत इस तरह की चीजों को भांपने में सही था, इसलिए उसने कुछ हफ्ते पहले ही अपने सूचना प्रौद्योगिकी कानून में संशोधन किया है।
उन्होंने कहा कि नए नियम ‘कुछ होने की संभावना से पहले ही उससे निपटने’ की नीयत को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। वहीं यह नियम सुनिश्चित करते हैं कि यदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंटरनेट पर बातचीत को कोई एक दिशा देने का काम करते हैं, तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।