कतर में इन दिनों फीफा कप चल रहा है। कतर इस समय अपने चेहरे को लेकर बहुत ही सावधान और सचेत है, नैतिकता के नए मापदंड वह इस कप के दौरान स्थापित करने का प्रयास कर रहा रहा। मजहबी आधार पर स्टेडियम के भीतर नियम बनाए जा रहे हैं। नैतिकता के नाम पर कई ऐसे नियम थोपे जा रहे हैं, जो पश्चिम के अनुसार नहीं हैं। परन्तु प्रश्न यह है कि भारत को हर कदम पर घुड़की देने वाला पश्चिमी एवं मिडल ईस्ट का मीडिया इन सभी प्रतिबंधों पर मौन है।
जो नियम बने हैं, वह ऐसे ही हैं जैसे किसी मजहबी जलसे में कोई जाए, जैसे कोई छोटे कपड़े नहीं, एलजीबीटीक्यू का नाटक नहीं,
जैसे ही यह बात सामने आई कि भगोड़ा जाकिर नाइक फीफा वर्ल्ड कप में मौजूद रहेगा वैसे ही ऐसा एक दृश्य सामने आया जो पश्चिम एवं मिडल ईस्ट के लोगों का दोहरा व्यवहार दिखाने के लिए पर्याप्त था। भारत की भूमि को अपनी जहरीले विमर्श से जहरीला करने वाले जाकिर नाइक को फीफा में क़तर में बुलाया गया था, जिससे वह इस्लाम के विषय में शिक्षा दे सके।
इस बात को लेकर बहुत आलोचना हुई थी। सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था। यह गुस्सा दो कारणों से फूटा था। एक तो लोगों को यह गुस्सा आया था कि जहरीले भगोड़े जाकिर नाइक को इस प्रकार फीफा में आमंत्रित किया गया था और दूसरा यह कि यह वही क़तर था जिसने नुपुर शर्मा को लेकर इतना विरोध प्रदर्शन किया था।
जबकि सभी जानते हैं कि कहीं न कहीं कैसे जुबैर ने नुपुर शर्मा का वीडियो सन्दर्भ से काटकर मुस्लिम समुदाय को जानबूझकर भड़काने के लिए ही ट्विटर पर पोस्ट किया था और नुपुर शर्मा को गुस्सा किसलिए आया था, उसे एकदम से गायब ही कर दिया था। इस प्रकार भड़काने को लेकर भारत में ही नहीं बल्कि पूरे इस्लामिक जगत में हिन्दुओं के प्रति एक घृणा उत्पन्न हो गयी थी और भारतीय जनता पार्टी ने इस घटना के बाद नुपुर शर्मा को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
परन्तु यह उन्माद यहीं तक थमा नहीं था। यह और आगे बढ़ा था और फिर दुनिया ने देखा था कि कैसे केवल नुपुर शर्मा का समर्थन करने को ही लेकर कन्हैया लाल, उमेश कोल्हे आदि की हत्याएं हुई थीं। नुपुर शर्मा के पुतले को टांग दिया गया था। देश में दंगे भड़के थे और भी न जाने क्या क्या हुआ था।
मगर वही क़तर भारत में भगोड़े और भारत में वान्छित जाकिर नाइक को आमंत्रित किया था, तो लोगों में गुस्सा भर गया था। भारतीयों को यह चुभ रहा था कि आखिर क़तर जैसा देश इतना दुस्साहसी है, वह नुपुर के मामले में तो भारत जैसे देश को आँखें दिखा ही रहा था बल्कि साथ ही वह हिन्दुओं के प्रति नफरत फैलाने वाले जाकिर नाइक का स्वागत भी कर रहा था।
ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि पश्चिम एवं मिडल ईस्ट वाले मीडिया हाउसेस कतर के इस दोहरे रवैये पर प्रश्न करेंगे? यह भी दुर्भाग्य की बात है कि कतर ने केवल भारत के ही जख्मों पर नमक नहीं छिड़का है बल्कि उस पर मानवाधिकारों के तमाम उल्लंघन के आरोप लगे हैं।
भारत और अन्य उपमहाद्वीप देशों से काम करने गए हजारों प्रवासी कामगार और उनके परिवार, फीफा और कतर के अधिकारियों से दुर्व्यवहार के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं, जिसमें ऐसी कई मौतें भी शामिल हैं, जो 2022 विश्वकप की तैयारी के दौरान हुई थें। एक अनुमान के अनुसार, कम से कम 6750 श्रमिकों (भारत से 2711) की मौत खेल आयोजन के लिए स्टेडियम और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के दौरान हुई है। क़तर इस मामले में अपने अपना मौन साधे हैं एवं वह मुआवज़े के सवाल पर चुप है।
भेदभाव, शोषण और अप्रवासी गैर-अरब कामगारों को बुनियादी अधिकारों से वंचित करना ऐसे मुद्दे हैं, जो मिडल ईस्ट को लगातार परेशान करते रहते हैं एवं साथ ही हिंदुओं को धर्म की स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है और कई कथित ‘ईशनिंदा’ और अन्य अपराधों के लिए क्षेत्र की जेलों में सड़ रहे हैं। यहां तक कि उपमहाद्वीप के और अफ्रीकी मुसलमानों को भी उस इलाके में निम्न प्रकार के इंसान माना जता है, जहां से इस्लाम उपजा था।
कतर के बचाव में उतरा फीफा, पश्चिमी पाखंड पर उठाए सवाल
यहाँ पर यह भी हैरानी की बात है कि जहां एक ओर पश्चिम के फुटबॉल के प्रशंसक एवं पश्चिमी मीडिया क़तर में विश्व कप की तैयारी के दौरान हुए मानवाधिकारों को लेकर प्रश्न कर रहा है तो वहीं उद्घाटन मैच के कुछ ही दिन पहले, कतर ने विश्व कप स्टेडियमों में बीयर की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया था, जो प्रशंसकों को अच्छा नहीं लगा।
अब इस समय पर अल जजीरा की परीक्षा थी कि वह क्या कहेगा क्योंकि यह वही अल जजीरा है जो भारत में हिंदुओंके खान पान को लेकर अपमानजनक एवं आलोचना से भरे हुए लेख लिखता है, वह बीफ प्रतिबन्ध की आलोचना करता है, इसलिए नेटिज़न्स को आश्चर्य हुआ कि क्या इस्लामवादी मीडिया आउटलेट अपने गृह राष्ट्र पर प्रकाश डालेगा और बीयर प्रतिबंध पर सवाल उठाएगा?
हालांकि, फीफा के अध्यक्ष गियान्नी इन्फेंटिनो ने पश्चिमी देशों पर पाखंड का आरोप लगाते हुए कहा कि वह कैसे दूसरे देशों में नैतिकता के हवाले पर प्रश्न उठा सकते है? टूर्नामेंट की पूर्व संध्या पर कतर की राजधानी में एक उग्र समाचार सम्मेलन में स्विस इतालवी ने कहा कि कतर पर उंगली उठाने से पहले यूरोप को अपने पिछले अपराधों को देखना चाहिए।
“मैं यूरोपीय हूँ। पिछले 3,000 वर्षों में हम यूरोपीय दुनिया भर में जो कर रहे हैं, उसके लिए हमें लोगों को नैतिक सबक देना शुरू करने से पहले अगले 3,000 वर्षों के लिए माफी मांगनी चाहिए।
“इन यूरोपीय या पश्चिमी व्यापारिक कंपनियों में से कितनी, जिन्होंने क़तर और क्षेत्र के अन्य देशों से लाखों-करोड़ों कमाए – हर साल अरबों कमाए हैं, उनमें से कितने ने अधिकारियों के साथ प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों को देखा है?”
“यूरोपीय आप्रवासन नीति के कारण, 2015 से अब तक 25 हज़ार प्रवासियों की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए यदि हम कुछ समय पीछे जाकर देखते हैं तो पाते हैं कि कोई भी इन प्रवासियों के लिए मुआवज़े की माँग क्यों नहीं करता है? क्या उनका जीवन समान नहीं है ?, ”उन्होंने आगे पूछा।
हालांकि इस बात पर यह कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं वह ठीक ही कह रहे हैं, पश्चिमी देशों ने मिडल ईस्ट एवं एशिया के देशों के साथ जो व्यवहार किया है, जो शोषण किया है, उसके चलते वह वास्तव में बहुत कुछ कहने के नैतिक रूप से अधिकारी नहीं हैं। परन्तु यह भी देखा जाना चाहिए कि यदि अतीत में कुछ गलत हुआ है, तो इसका अर्थ नहीं है कि वर्तमान में भी उसकी आड़ लेकर शोषण को उचित ठहराया जाएगा।
भारत के विरोध करने पर कतर ने कहा कि नहीं बुलाया जाकिर नाइक को
भारत ने क़तर से इस बात के प्रति विरोध प्रकट किया था कि आखिर उसने ऐसा भारत के भगोड़े जाकिर नाइक को कैसे फीफा वर्ल्ड कप में आमंत्रित किया? विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत मलेशिया से जाकिर नाइक को वापस लाने के प्रयास कर रहा है और भारत ने क़तर को भी बता दिया है कि वह वांछित भगोड़ा है!
भारत द्वारा जताए गए विरोध के बाद क़तर ने झुकते हुए यह वक्तव्य जारी किया कि उसने जाकिर नाइक को फीफा वर्ल्ड कप में आमंत्रित नहीं किया है और न ही किसी भी प्रकार की इस्लामिक नसीहतें उसके द्वारा दी जी जाएंगी!
सूत्रों के अनुसार कतर ने जाकिर नाइक के सम्बंधित हर प्रकार के रिपोर्ट के विषय में यह कहा था कि ऐसे समाचार भारत और कतर के बीच के सम्बन्धों को प्रभावित करने के लिए फैलाए गए थे।
जाकिर नाइक के मामले में हर उस देश के सामने नैतिकता के वही प्रश्न हैं जो वह कतर के मामले में उठा रहे हैं। जाकिर नाइक के आने की चर्चा होना ही अपने आप में लज्जा जनक है एवं उन तमाम दोहरे मापदंडों पर प्रश्न उठाती है जो पश्चिमी एवं मिडल ईस्ट वाले देश अपने प्रति एवं भारत के प्रति रखे हैं, जहां पर हिन्दू अभी मुस्लिमों से अधिक हैं।
भारत पर उसकी हिन्दू जनता के चलते अधिक प्रहार होते हैं एवं यही उनका दोहरा मापदंड है।
भारत के विरोध करने पर कतर ने कहा कि नहीं बुलाया जाकिर नाइक को