केरल में अबूबकर नामक आदमी को एक नौ वर्ष की बच्ची को जमीन पर फेंकने के आरोप में गिरफ्तार किया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे वह आया और उसने हिजाब और बुर्के में मदरसे जा रही बच्ची को उठाया और उछालकर फेंक दिया। बच्ची को चोट आई है और बच्ची के अभिभावकों की शिकायत पर अबूबकर को सिद्धिकी को वीडियों के आधार पर गिरफ्तार कर लिया है।
मगर जब यह केवल वीडियो ही आया था, वैसे ही इस वीडियों के आधार पर हिन्दुओं को गाली देना आरम्भ हो गया था। यह कहा जाने लगा था कि यह हिन्दुओं की साज़िश है, twitter पर यह कहा जाने लगा कि यह तो हिन्दू हैं, जो अपनी घृणा में इस हद तक नीचे चले गए हैं कि वह मुस्लिम बच्चियों तक से प्रतिशोध ले रहे हैं! नफरत पैदा कर रहे हैं,
यह कहा गया कि यह फासीवादी, चरमपंथी मोदी हिन्दू सरकार में हो रहा है। इसे बीजेपी बढ़ावा दे रही है और पुलिस खड़े होकर यह देखती है कि कैसे मुस्लिमों को पीड़ित किया जा रहा है।
इस घटना की जांच पूरे हुए बिना ही डरे हुए मुसलमान और मुस्लिमों के प्रति घृणा का राग गाया जाने लगा और कई हैंडल्स, जो भारत के नहीं थे, उन्होंने भी लक्ष्य साधना आरम्भ कर दिया। यह कहा जाने लगा कि भारत में मुस्लिमों के साथ हिन्दू क्या कर रहे हैं, यह देखा जाए!
कुछ तुर्की के भी हंडल थे, जिन्होनें इस कैप्शन के साथ वीडियो पोस्ट किए कि “भारतीय मुस्लिमों पर हमला अर्थात Indian Muslims Under Attack” और यह दावा किया कि मदरसा जाने वाली लड़की को हिन्दू चरमपंथी ने रास्ते में उठाकर पटक दिया।
अंशुल सक्सेना ने यह भी दावा किया कि ऐसे भी एकाउंट्स थे जिनमें लन्दन से पत्रकार सामी कमाल एल दीन भी शामिल था, जिसने इस घटना के बारे में झूठी खबर फैलाई।
लोगों ने इसे साम्प्रदायिक घटना बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। उस समय में जब रोज ही हिन्दू लडकियां किसी आफताब या सूफियान का शिकार हो रही हैं, उस समय में एक ऐसी घटना के माध्यम से यह नैरेटिव बनाना कि हिन्दू आदमी ने हिजाब में लड़की को फेंक दिया!
जब यह नित नए खुलासे हो रहे हैं कि कैसे आफताब ने एकदम सोच विचार कर श्रद्धा को रास्ते से हटाया, उस समय एक ऐसी झूठी खबर पर हल्ला मचाना कि हिन्दू चरमपंथी ने ऐसा किया, कितनी बड़ी चाल है। यह चाल है कि मुस्लिमों द्वारा जो भी हत्याएं की जा रही हैं, वह नेपथ्य में चली जाएं और रह जाए तो यह झूठा विमर्श कि मुस्लिमों पर हिन्दू अत्याचार कर रहे हैं?
आफताब और सूफियान तो अभी उभर कर आए हैं, परन्तु ऐसा तो नहीं है कि हिन्दू लडकियां शिकार हो ही नहीं रही थीं? निकिता तोमर से लेकर न जाने कितनी लड़कियों की हत्या ऐसे ही का चुकी है। उन लड़कियों की चीखों का कोई भी हल नहीं है?
और सबसे अधिक दुःख की बात यह भी है कि इतनी घटनाओं के बाद भी बॉलीवुड के लोगों का मौन जारी है। अशोक पंडित ने भी प्रश्न किया कि आखिर इतना सन्नाटा क्यों है?
उस समय जब हिन्दू महिलाओं को जाल में फंसाकर शादी करके तमाम अत्याचार कर रहे हैं और जबरन उन्हें धर्मांतरण के जाल में फंसा रहे हैं, तो उस समय एक ऐसा नैरेटिव बनाने की कोशिश की गयी जो वास्तविकता से कोसों दूर है।
उत्तर प्रदेश में ही 11 नवम्बर को महाराजगंज से यह समाचार था जिसमें एक हिन्दू महिला ने अपने पति परवेज खान पर यह आरोप लगाया था कि वह उसका जबरन धर्मांतरण कराने का प्रयास कर रहा है। उसे मारता पीटता है। और इतना ही नहीं उसके रिश्तेदारों को भी मारने की धमकी देता है।
जो हो रहा है, उस पर बात न करके जो हुआ ही नहीं है, उसका विमर्श बनाना इन कट्टरपंथियों से और एजेंडा चलाने वालों से सीखा जाना चाहिए। जब देश में और विमर्श में चर्चा होनी चाहिए कि कैसे परवेज अपनी हिन्दू पत्नी का धर्म बदलने के लिए मारपीट कर रहा है, कैसे आफताब उस फ़्लैट में तब भी लडकियां लाकर अपने शरीर की प्यार बुझा रहा था जब वह श्रद्धा का खून कर चुका था और कैसे सूफियान ने निधि को मार डाला, कैसे झारखंड में शाहरुख हँसता हुआ जा रहा था, जब उसने अंकिता को जलाकर मार डाला था।
उस समय पर एक झूठी घटना को लेकर यह विमर्श चलाया जा रहा था कि मुस्लिम खतरे में हैं। जब मुस्लिम कट्टरपंथी धर्म के आधार पर हिन्दू लड़कियों को शिकार बनाकर मार डाल रहे हैं ऐसे में यह कहा गया कि हिन्दू संघी युवक मुस्लिम बच्ची के साथ अत्याचार कर रहे हैं।
जबकि वास्तविकता में अबूबकर ने उस मदरसा जाने वाली बच्ची के साथ यह घिनौनी हरकत की थी, जिसे अब पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और हिन्दुओं को बदनाम करने वाली फैक्ट्री ने अपने झूठ पर क्षमा नहीं माँगी है!
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