पश्चिम में हिन्दूफोबिया अब इतना बढ़ गया है कि इसके कई दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। अकादमिक जगत से आगे बढ़कर यह अब सड़क पर चलती महिलाओं पर हमले तक आ गया है। परन्तु क्या यह हिन्दूफोबिया है, या फिर उससे भी बढ़कर है? फोबिया का अर्थ क्या होता है? फोबिया का अर्थ भय भी होता है, परन्तु हिन्दुओं के साथ जो अकादमिक एवं साहित्यिक घृणा का खेल खेला जा रहा है, वह हर प्रकार से अनूठा है, एवं अलग है।
गाय के प्रति प्रेम का उपहास उड़ाया जाता है, उसके आराध्यों का अपमान किया जाता है और साथ ही उसके पहनावे को लेकर भी घृणा फैलाई जाती है। साड़ी, जिसमें स्त्री अपने सुन्दरतम रूप में सामने आती है, उसे लेकर घृणा का वातावरण बनाया गया और साड़ी को अपनी हिन्दू घृणा का शिकार बनाया। इसी का परिणाम है कि अमेरिका से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें साड़ी को भी निशाना बनाकर हिन्दू महिलाओं पर हमला किया जा रहा है। यह पूरी तरह से घृणा से प्रेरित अपराध है। और घृणा है हिन्दू धर्म के प्रति!
कैलिफोर्निया में एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जो साड़ी पहनी महिलाओं पर आक्रमण करता था। हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन ने ट्वीट करके कहा कि हिन्दुओं के प्रति हेट-क्राइम एवं ऑनलाइन हिन्दू फोबिया की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
मीडिया के अनुसार कैलिफोर्निया में 37 वर्षीय लथन जॉनसन को कम से कम 14 महिलाओं पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ये सभी महिलाऐं अपनी परम्परागत वेश भूषा में थीं, और उन्होंने आभूषण भी पहने हुए थे और इन सभी महिलाओं की उम्र 50 से 73 वर्ष के बीच थी।
एबीसी7 news के अनुसार जॉनसन द्वारा
“उनके जेवर तोड़े गए, उन्हें सड़क पर घसीटा गया, उनकी कलाई मोडी गयी, उनके पति को पीटा गया और उन्हें जिस तरह से आतंकित किया गया, वह एक समाज चुराने वालों से कहीं अधिक है!”
मीडिया के अनुसार एक महिला की कलाई भी टूटी है।
सैंटा क्लारा कंट्री के जिला एटोर्नी जनरल जेफ रोसेंन ने कहा कि वह ऐसे व्यक्ति के लिए सजा की मांग करेंगे जिसने किसी पर भी उसकी राष्ट्रीयता या निवास स्थान के आधार पर हमला किया है।
रोसेन ने कहा कि वह दक्षिण एशियाई समुदाय से यह कहना चाहते हैं कि जो भी उन पर हमला करेगा और निशाना बनाएगा उसे तत्काल ही गिरफ्तार किया जाएगा और उन पर क़ानून के अनुसार ही कार्यवाही की जाएगी।”
वहीं इस घटना को लेकर हिन्दुओं में रोष है और हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन के सदस्य समीर कालरा ने कहा है कि हिन्दुओं के प्रति घृणा अपराधों की संख्या बढ़ रही है और साथ ही ऑनलाइन हिन्दू फोबिया भी बढ़ रहा है। और इसे देखते हुए वह इस बात का पूरा प्रयास कर रहे हैं कि ऐसे अपराधियों को दंड दिलाने का प्रयास किया जाए!”
पश्चिम के अकादमिक जगत में हिन्दूफोबिया चरम पर है
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि पश्चिम के अकादमिक जगत में हिन्दू फोबिया चरम पर है! इसी को लेकर एनजे।कॉम पर पिछले 30 वर्षों से अमेरिका में निवास कर रहे समीर रावल ने एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि अब स्थिति किस हद तक बिगड़ चुकी है। उन्होंने इसमें लिखा है कि हिन्दुफोबिया में 500% तक की वृद्धि हुई है और Rutgers University Contagion Lab ने एक रिपोर्ट का प्रकाशन किया है, जिसमें यह कहा गया है कि हिन्दू विरोधी भावनाएं इन दिनों बढ़ रही हैं। इन्टरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफोर्म हिन्दुओं के प्रति और भी अधिक घृणा का स्थान बनते जा रहे हैं, जो हिन्दुओं को गन्दा और भद्दा बताते हैं। वह हिन्दू विरोधी समूहों के लिए ऐसे ओवन बन गए हैं, जहाँ पर वह अपना हिन्दू-विरोधी प्रोपोगैंडा पकाते हैं!
अब बातें हो रही हैं कि अमेरिका में हिन्दूफोबिया एक सच्चाई है। सितम्बर में सन्डे गार्जियन में भी अवताश कुमार के स्तम्भ ने यह बताया था कि अमेरिका में हिन्दूफोबिया किस हद तक बढ़ चुका है।
यह बात समझनी होगी कि विश्व में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, और हिन्दुओं को कथित रूप से अल्पसंख्यकों पर अत्याचारी कहने वाले वर्ग विश्व के अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के प्रति किस सीमा तक घृणा से भरे हुए हैं, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
उन्हें हिन्दुओं के साथ हो रहे वैश्विक अत्याचार नहीं दिखाई देते हैं। अवताश कुमार लिखते हैं कि “एकेडमीशियन को भारत के लोकतंत्र को लेकर यह बहुत चिंता रहती है कि कैसे हिन्दू अपने मन की एक पार्टी को चुन रहे हैं, और वह इस बात पर चिंता व्यक्त करते हैं कि हिन्दू वोट देने के लिए निकल रहे हैं, परन्तु उन्हें कभी इस बात की चिंता नहीं होती कि यही काम तो मुस्लिम, ईसाई और सिख सभी करते हैं!”
अवताश लिखते हैं कि कोई भी संस्थान, या समूह, या नेता जो सेक्युललिजम की बात करता है या प्रगतिशीलता की बात करता है या दक्षिण एशियाई होने की बात करता है, या फिर जिसकी चिंता मानवाधिकार है, उनमें से कोई भी हिन्दुओं की बात नहीं करता है!
अवताश कुमार या समीर रावल, यह लोग उस सत्यता की बात कर रहे हैं, जिस पर सहज बात नहीं की जाती है। यह बात सत्य है कि कोई भी नेतृत्व हो, हिन्दू होकर बात नहीं की जाती है, हिन्दू होने को अभी तक पिछड़ी दृष्टि से देखा जाता है, जबकि पिछड़ा कौन है, यह बार-बार हिन्दू दर्शन बताता है।
साड़ी, आभूषणों के बहाने यह घृणा अब निकल रही है, हालांकि इसके लिए उत्तरदायी लोगों को शायद ही कभी दंड मिलेगा, क्योंकि सभी जानते हैं कि हिन्दू-द्वेष की यह धारा कहाँ से आ रही है? और उस धारा को रोकना किसी के भी वश की बात नहीं है!