अवैध धर्मांतरण और लव जिहाद ऐसे दो विषय हैं, जिनसे हिन्दू समाज पीड़ित रहता है, लेकिन बदलते समय और शायद इस्लामियों के बदलते तौर-तरीकों के कारण अब दूसरे धर्म और रिलिजन के लोगों पर भी इन कुरीतियों की आंच आने लगी है। ऐसे ही एक मामले में केरल के एर्नाकुलम की एक महिला ने अपने पति के विरुद्ध यह कहते हुए खुलासा किया है कि पहले तो उस पर दबाव डाल कर शादी की गयी। उसके पश्चात उसके पति ने उसे कथित रूप से नजरबंद कर दिया और इस्लाम कुबूलने पर दबाव डाला। पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
यह घटना तब प्रकाश में आई जब पुलिस ने कुछ समय पहले केरल उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार ईसाई महिला का वक्तव्य लिया था। उच्च न्यायालय महिला के पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार कर रही थी, महिला अपने पति से दुखी हो कर अपने माता-पिता के घर चली गयी थी और वापस नहीं लौटी, उसके पति ने यह याचिका दायर कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होने के निर्देश देने की मांग की थी।
महिला ने पुलिस को बताया कि उसे एक तरह से नज़रबंद कर दिया गया था, उसे घर के बाहर किसी और से बात करने की आज्ञा नहीं थी, और उसका पति उसे हर छोटी छोटी बातों पर मारने की धमकी देता था। उच्च न्यायालय ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को रद्द कर दिया और पुलिस को इस विषय में पूरी जांच करने को कहा है। विषय में संलिप्त पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि वह महिला के आरोपों की सत्यता की जांच कर रहे हैं।
न्यायालय में पति द्वारा प्रस्तुत विवरण के अनुसार, उसने 13 अक्टूबर, 2021 को विशेष विवाह अधिनियम के अनुसार महिला से शादी की और वे पति-पत्नी के रूप में रह रहे थे। उसने बताया कि उसकी पत्नी 15 दिसंबर, 2021 को अपनी बीमार दादी को देखने के लिए अपने माता-पिता के घर गई थी और क्रिसमस के बाद भी वापस नहीं लौटी। पति ने आरोप लगाया कि उसके ससुर ने उसकी पत्नी पर दबाव डाल कर उसे अपने घर में रखा हुआ है।
हालांकि, जब पुलिस का एक दल उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार महिला का वक्तव्य लेने के लिए महिला के पास गया, तो महिला ने बताया कि उसने स्वयं ही अपने पिता के घरन पर रुकने का निर्णय किया है और वह अलप्पुझा में अपने पति के घर नहीं लौटना चाहती। ईसाई महिला ने बताया कि उनकी शादी ‘विशेष विवाह अधिनियम’ के अंतर्गत हुई थी, और उसके पश्चात धार्मिक रिकॉर्ड में उसका नाम ‘सारा बीवी’ दर्ज किया गया था।
महिला के अनुसार एक बार पहले भी वह अपने पिता के घर आयी थी, तब उसके पति ने आत्महत्या करने की धमकी दी, तो वह उसके साथ चली गई। 4 सितंबर, 2021 को उसके पति ने झगडे के पश्चात पुनः इस तरह की धमकी दी और उसे जबरन अपने घर ले गया । वहां ले जा कर उसे एक कमरे में बंद कर दिया गया, और उस पर इस्लाम कुबूलने का दबाव बनाया जाने लगा । इससे त्रस्त हो कर वह पुनः अपने पिता के घर चली गयी, और अब वापस नहीं लौटना चाहती। न्यायालय के समक्ष यह वक्तव्य प्रस्तुत किये गए, जिसकी जांच के पश्चात ही न्यायाधीश ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को योग्यताहीन बताते हुए रद्द कर दिया।
यहाँ यह देखना बहुत महत्वपूर्ण है कि केरल में पहले भी लव जिहाद के कई मामले सामने आ चुके हैं, यहाँ तक कि लव जिहाद शब्द पहली बार केरल सरकार ने ही प्रयोग किया था।