आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा पर बातें हो रही हैं, फिल्म का व्यापार अभी भी भारत में कम से कम उठ नहीं पाया है, इसके पीछे हालांकि कई कारण हैं, फिर भी एक सबसे बड़ा कारण है एजेंडा की अधिकता हो जाना! आमिर खान ने पहले ही अपील की थी और अब करीना खान भी अपील कर रही हैं, कि इस फिल्म का बॉयकाट न करें!
यद्यपि इस फिल्म को कहने के लिए फोर्रेस्ट गंप का रीमेक कहा जा सकता है, परन्तु यह भी सत्य है कि यह छिछली कॉपी बनकर रह गयी है और साथ ही यह अपने साथ ऐसा एजेंडा लेकर आई है, जिसे अनदेखा करना किसी भी राष्ट्र के लिए एवं किसी भी समुदाय के लिए घातक हो सकता है। आज इसमें दिखाए गए एक एजेंडा और फिर हाल ही में क्या हुआ है, उसकी चर्चा हम करेंगे।
इस फिल्म में एक दृश्य है जिसमें एक कान्वेंट स्कूल का फादर लाल सिंह चड्ढा को एडमिशन देने से इंकार कर देता है, और फिर उसकी माँ उसके घर का सारा काम आदि करने की रिश्वत देती है, खाना बनाने की भी बात करती है, मगर फादर इतने रहमदिल है कि वह इंकार कर देते हैं, और उस बच्चे को जो दरअसल मंदबुद्धि है, उसे विद्यालय में प्रवेश दे देते हैं।
अब फोर्रेस्ट गम्प में आते हैं। उसमे पहले तो स्कूल के प्रिंसिपल को किसी भी धार्मिक वेशभूषा में नहीं दिखाया गया है और दूसरा गंप की विवशता उसकी आँखों में झलकती है, जब वह इस बात को अनुभव करता है कि उसकी माँ ने उसके स्कूल में प्रवेश के लिए अपनी देह का सौदा किया। यह तथ्य फोर्रेस्ट के चरित्र के साथ जनता को जोड़ता है, एक संवेदना उत्पन्न करता है।
एक अल्पविकसित (मंदबुद्धि नहीं) बालक को जिसका आईक्यू कुछ कम है, उसे सामान्य बच्चों के साथ प्रवेश दिलाने के लिए एक माँ कितना बड़ा त्याग करती है, दर्शक उस त्याग और पीड़ा को अनुभव करते हैं। परन्तु आमिर खान ने एक तो स्कूल दिखाया है ईसाई और ईसाई फादर को ऐसा दिखाया है जैसे वह कोई भी गलत कार्य नहीं करते हैं।
माँ के साथ हुए बलात्कार का दृश्य फोर्रेस्ट के चरित्र निर्माण, उसकी विचारों की यात्रा के कारणों को बताता था, परन्तु लाल सिंह चड्ढा में उसकी विचारों की यात्रा की निरंतरता स्थापित करता हुआ सबसे महत्वपूर्ण दृश्य ही गायब है। एक पीड़ा जो उस बच्चे को यह अहसास कराती है कि अंतत: उसकी विवशता का मूल्य उसकी माँ की देह को नोचकर वसूला जा रहा है, वह पीड़ा पूरी फिल्म में फोर्रेस्ट के चरित्र से जनता को जोड़े रखती है। परन्तु लाल सिंह चड्ढा में यह दिखाने के लिए कि कान्वेंट स्कूल और उसके फादर आदि कितने उदार हैं, यह महत्वपूर्ण दृश्य गायब कर दिया और महानता एक ऐसा परिदृश्य रच दिया, जो वर्षों से इस बॉलीवुड का हिस्सा रहा है।
परन्तु क्या यही सच है?
वेटिकन अभी क्यों हिला हुआ है?
जब आमिर खान यह सब एजेंडा रच रहे थे जिससे कि ईसाई मिशनरी स्कूल्स में हो रहे सारे शोषण की कहानियाँ हिन्दू जनता के दिमाग से निकल जाए उसी मध्य लावण्या नाम की बच्ची तमिलनाडु में धर्मान्तरण का शिकार होकर आत्महत्या कर लेती है। जब आमिर खान यह सब एजेंडा रच रहे थे, उसी दौरान, अर्थात फिल्म की शूटिंग के दौरान बिशप फ्रैंको मुल्क्क्ल के विरुद्ध ननें एक लड़ाई लड़ रही थीं और चर्च सहित सिस्टम फ्रैंको मुलक्क्ल के साथ खड़ा था, इतना ही नहीं वेटिकन केवल इस बात को लेकर इस मामले को उठाने वाली सिस्टर लूसी का साथ देने से इंकार कर चुका था कि वह कविता लिखती हैं, कार ड्राइव करती हैं।
इतना ही नहीं जिस समय वेटिकन एक स्कैंडल से हिला हुआ है, उस समय लाल सिंह चड्ढा उस पूरे समाचार को जनता की निगाहों से उतारने आ प्रयास कर रही है या फिर आने ही नहीं दे रही है। जी हाँ, इस समय वेटिकन एक ऐसे घोटाले में फंसा है, जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर तो है, परन्तु भारत का होते हुए भारत में नहीं है।
पोप फ्रांसिस के नजदीकी एक कार्डिनल पर यह आरोप है कि उन्होंने एक भारतीय बिशप का बचाव किया है और झूठे सबूत बनाए हैं, जिन पर बलात्कार, अपहरण और हत्या तक के आरोप हैं।
मैसूर के ड़ोससे बिशप कन्निकादास विलियम एंटोनी पर आरोप है कि चार मिस्ट्रेस के माध्यम से बच्चे पैदा किये हैं और अपना विरोध करने वाले चार प्रीस्ट की हत्या की है।
https://thecommunemag.com के अनुसार फादर राजू कन्नू पलाया में अपने रेक्टोरी में पंखे से झूलते हुए पाए गए थे, जो मैसूर से 22 मील की दूरी पर है। फादर अल्बूकुर्कू की मृत्यु भी रहस्यमयी तरीके से हुई बताई जाती है! उनकी मृत्यु तब हुई थी जब उन्हें बिशप के घर पर बुलाया गया और लीगल नोटिस दिया गया। इसी प्रकार फादर सल्दाना भी अपने रेक्टोरी के सामने मरे पाए गए थे।
5 जुलाई 2022 को मैसूर ड़ोससे के एक फादर गनना प्रकाश ने भारत के अपोस्टोलिक नुसिओ आर्कबिशप लेओपोल्ड़ो गिरेली के पास भेजा था, जिसमें बिशप विलियम को धमकी देने, बलात्कार करने, अपहरण, पैसे का दुरूपयोग और लोगों की हत्या करने का आरोपी बताया था।
https://thecommunemag.com के अनुसार वेटिकन ने तीन बिशप का एक आयोग फरवरी 2021 में बनाया था, जो बिशप विलियम के खिलाफ उन शिकायतों की जाँच करने के लिए था, जो मैसूर ड़ोससे से 37 प्रीस्ट ने बिशप विलियम के खिलाफ की थीं। बिशप विलियम की नियुक्ति पोप फ्रांसिस ने वर्ष 2017 में की थी।
इन सभी प्रीस्ट ने यह मांग की थी कि बिशप विलियम को हटाया जाए क्योंकि उनके सम्बन्ध अभी तक अवैध सम्बन्ध हैं और उनके कई यौन संबंधों के चलते कई बच्चे भी हैं।
https://thecommunemag.com द्वारा जारी किए गए फोन संवाद में मुम्बई के कार्डियल आर्कबिशप ओसवाल ग्रेशियस (जो पोप फ्रांसिस के नजदीकी हैं) को बिशप विलियम के साथ यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह एक कैथोलिक अस्पताल में पिता का डीएनए परीक्षण करा देंगे, जिससे वह मीडिया और डॉक्टर्स को नियंत्रित कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि ज्यादा प्रचार न हो!
यह लीक्ड संवाद बहुत ही घातक है, जो यह बताता है कि कैसे चर्च में संस्थागत रूप से यौन शोषण एवं अनैतिक कार्यों को अनुमति दी जाती है और कैसे सच्ची आवाजों को दबाया जाता है।
परन्तु लाल सिंह चड्ढा फिल्म में आमिर ने वही कार्य किया है जो आज तक बॉलीवुड करता आया है अर्थात रहीम चाचा एवं फादर डेविड की अच्छाई वाला सिंड्रोम! अर्थात पूजापाठ से तो मलेरिया फैलता है, मगर शेष सब ठीक है!
अब मीडिया की कल्पना करें कि मीडिया किसी मिर्ची बाबा के बारे में बता सकता है, मीडिया एक सोसाइटी के झगड़े को अंतर्राष्ट्रीय रूप दे सकता है और हो सकता है कि आमिर जैसे लोग एक दिन इन सब पर फिल्म भी बना लें, परन्तु वह उस समय जब सिस्टर अभया को इतने वर्षों बाद एक चोर की गवाही के कारण न्याय मिला, जब धर्मान्तरण की जिद्द के चलते लावण्या को अपनी जान देने को विवश होना पड़ा, जब नन बिशप फ्रैंको मुलक्कल के चलते भारतीय न्याय व्यवस्था तक से न्याय नहीं पा पा रही हैं, और जब पोप फ्रांसिस के नजदीकी एक स्कैंडल में फंस रहे हैं, तब वह अपनी फिल्म के माद्यम से वही फादर डेविड जैसा जहर आम जनता के दिल में घुसाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अपने हर त्योहार पर इन मिशनरी स्कूल्स का नाटक देखती है! कि कैसे राखी हटवाई गयी, कैसे जनेऊ हटवाया जाता है!