भारत में जातिगत भेदभाव समाप्त करने वाले कथित विमर्श में सबसे ‘महत्वपूर्ण’ ‘जाति विरोधी’ योद्धा पेरियार उर्फ ईवी रामास्वामी के नाम पर खुले विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों से एक परीक्षा में एक अत्यंत ही हैरान करने वाला तथा अपमानजनक प्रश्न पूछा है कि “सबसे निचली जाति कौन सी है?” प्रश्न के उपरान्त होने वाले बवालों एवं उत्तरदायित्व से बचने के लिए स्वायत्त संस्थान ने दावा किया है कि इस प्रश्न में उनका कोई हाथ नहीं है, बल्कि यह तो अन्य विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर्स ने बनाया है।
तमिलनाडु के सेलम में पेरियार विश्वविद्यालय के एम.ए इतिहास के द्वितीय वर्ष की परीक्षा में तमिलनाडु के स्वतंत्रता आंदोलन: 1800 से 1947 तक पर विद्यार्थी परीक्षा दे रहे थे। प्रश्न पत्र में दसवां प्रश्न था “तमिलनाडु में कौन सी निम्न जाति है?” जिनके निम्नलिखित चार विकल्प दिये गये थे – महार, नादरा, एझावा और हरिजन। प्रश्न पत्र की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की गई जो वायरल हो गई। एक ‘प्रगतिशील’ विश्वविद्यालय में इस प्रकार खुलेआम ऐसे जातिवादी प्रश्न को देखकर लोग स्तब्ध रह गए और उन्होंने इसकी निंदा भी की।
नादर अब एक ओबीसी समुदाय है भले ही उन्हें पादरियों के अनुसार ‘पारियाह’ (अर्थात सबसे नीच जाति का मनुष्य, अछूत)के रूप में माना जाता था। अतीत में ताड़ी बनाना उनका पारंपरिक काम था और आज तक द्रविड़वादी समुदाय का मजाक उड़ाने के लिए इस तथ्य का हवाला दिया जाता है। तेलंगाना और पुडुचेरी की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन, इसी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और कई बार ‘पनाई एरी’ के रूप में उनका मजाक उड़ाया गया है जिसका अर्थ है ताड़ के पेड़ पर चढ़ने वाला ।
विश्वविद्यालय के कुलपति टीएनआर जगन्नाथन ने दावा किया है कि यह प्रश्न अन्य विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों द्वारा तैयार किया गया था और इसमें पेरियार विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों की कोई भूमिका नहीं थी। लेकिन इतना अपमानजनक प्रश्न अवलोकन समिति की दृष्टि से कैसे बच सकता है? इस प्रश्नपत्र की निंदा करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा है कि यह द्रमुक की ‘खोखली विचारधारा’ को उजागर करता है।
विडंबना है कि नौवां सवाल था-” ईवीआर को पेरियार की उपाधि किसने दी?” जिसके लिए सरोजिनी नायडू, डॉ धर्मम्बल और मुथुलक्ष्मी रेड्डी का नाम विकल्प के तौर पर दिया गया था। यहां तक कि द्रविड़ और पेरियारवादी संगठनों ने भी संस्था की आलोचना की। लेकिन इन विकल्पों को लेकर कोई शोर नहीं मचा,जबकि तथाकथित जाति विरोधी योद्धा ईवी रामास्वामी के बारे में एक सवाल में जाति के नामों का इस्तेमाल किया गया था।
यही द्रविड़ राजनीति एवं विचारधारा को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है, जो,भूस्वामी सामंती जातियों की पहचान को बनाए रखते हुए, हाशिये के समुदायों और ब्राह्मणों को एक दूसरे के खिलाफ कर के उनकी पहचान को मिटाने का प्रयास करती है। आज तक ईवीआर की पहचान ईवी रामास्वामी नायक्कर के रूप में की जाती है। जबकि डीएमके और द्रविड़ संगठन तमिलनाडु से जाति को खत्म करने का दावा करते हैं, पेरियार विश्वविद्यालय के इस सवाल से पता चलता है कि भले ही आज की दुनिया में जाति व्यवस्था कमजोर हो गई हो लेकिन पेरियारवादियों के दिमाग में यह विकृत रूप में अब भी जीवित है।
अनुवाद- रागिनी विवेक अग्रवाल
मूल लेख: https://hindupost.in/news/which-is-the-lowest-caste-anti-caste-periyars-university-asks-in-exam/