3 जून को नई सड़क इलाके में मुस्लिम समाज के पत्थरबाजों ने चंद्रेश्वर हाता में पत्थरबाजी की। जुमे की नमाज के बाद मुस्लिमो ने सभी दुकानों को बंद करने का आह्वान किया था, लेकिन हिन्दू समुदाय के लोगों ने दुकान बंद कराने का विरोध किया तो पत्थरबाजी आरम्भ हो गई। इस पत्थरबाजी के दौरान न केवल आम नागरिक, बल्कि कई पुलिसवाले भी घायल हुए, साथ ही सार्वजनकि संपत्ति की भी क्षति हुई।
इसके अतिरिक्त, डीसीपी (दक्षिण) संजीव त्यागी की अगुवाई वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) की सहायता के लिए विशेष दलों का गठन किया गया है। पहले विशेष दल में चार सदस्य शामिल हैं, जिसका नेतृत्व अपर डीसीपी (पूर्वी) राहुल मीठा करेंगे। यह दल सीसीटीवी फुटेज की निगरानी करेगा, जरूरी जानकारी का संकलन करेगा और सभी आरोपियों की पहचान करने के लिए सीसीटीवी फुटेज को एसआईटी को सौंपेगा।
सहायक उपायुक्त (छावनी) की अगुवाई वाला दल सोशल मीडिया पर की जाने वाली भड़काऊ, झूठी और घृणास्पद पोस्ट पर नजर रखेगा। वहीं सहायक उपायुक्त स्वरूप नगर बृजनारायण सिंह के नेतृत्व वाले एक अन्य पांच सदस्यीय विशेष दल को एक पेट्रोल पंप से खुली बोतल और कंटेनर में पेट्रोल दिए जाने के मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गई है।
कानपुर हिंसा में पीएफआई का हाथ?
पुलिस के अनुसार कानपुर हिंसा मामले में मास्टरमाइंड हयात, जावेद, और इशियान के पीएफआई से सम्बन्धो की जांच की जा रही है।
पुलिस को पता लगा है कि हयात के पास 6 मोबाइल फोन थे, और उसने लगभग 140 व्हाट्सप्प ग्रुप बना रखे थे, जिसके द्वारा वह दंगाइयों के संपर्क में रहता था और उन्हें निर्देश भी दिया करता था।
वहीं पुलिस इस हिंसा में पीएफआई की भूमिका की भी जांच कर रही है, इस मामले में यह जानना महत्वपूर्ण है कि पीएफआई ने पिछले ही दिनों मणिपुर और इम्फाल में बंद का आह्वान किया था। हालांकि अभी इस बात की गहन जांच हो रही है, फंडिंग और पीएफआई के बैंक खातों को भी खंगाला जा रहा है, और जैसे ही पुलिस को ठोस तथ्य मिलेंगे, वह इस सन्दर्भ में आगे कार्यवाही करेगी।
दंगाइयों को बोतल में पेट्रोल देने वाला पम्प हुआ बंद
दरअसल कानपुर में हुई हिंसा में पेट्रोल बम का जमकर इस्तेमाल किया गया था, इसके अलावा पत्थरबाजी भी जमकर की गई थी। पुलिस को जांच करने पर पता लगा कि डिप्टी पड़ाव पास के एक पेट्रोल पंप से दंगाइयों को बोतलों में भर कर पेट्रोल दिया गया था, उसी पेट्रोल का प्रयोग इस हंगामे में लोगों पर हमला करने के लिए किया गया। इस घटना के सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस ने जब्त कर लिए हैं, और साथ ही पेट्रोल पंप पर कार्यवाही करते हुए उसका लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया है।
बाहर से बुलाया गया था दंगाइयों को
एसआइटी (विशेष जांच दल) के अनुसार कानपुर में हिंसा के लिए प्रदेश के दूसरे जिलों से अपराधी तत्वों को बुलाया गया था। संभावना है कि यहां शामिल हुए उपद्रवियों ने बाद में दूसरे शहरों में हिंसा कराने की कोशिश की। यह एक प्रदेश स्तरीय सुनियोजित षड़यंत्र है, जिसके तथ्यों को उजागर करने के लिए एसआइटी जांच कर रही है।
आरोपियों के व्हाट्सएप चैट से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं, एसआइटी के अनुसार हिंसा के बाद आरोपियों ने आसपास के जिलों के रहने वाले अपने परिचितों को कई तरह के मैसेज भेजे थे, जिसमें लिखा गया था कि तुम लोग कुछ नहीं कर पाए और कानपुर में इतना बड़ा बवाल हो गया। दंगाई इस हिंसा पर खुश हो रहे थे और अन्य लोगों को भड़का भी रहे थे, ताकि वह भी अपने क्षेत्रों में हिंसा कर सकें।
कानपुर पुलिस ने अब तक 57 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जब उन लोगो के मोबाइल फोन को खंगाला गया, व्हाट्सएप चैट भी देखी गई, जिसके बाद इन तथ्यों की पुष्टि हुई। जानकारी मिली है कि आईएस-273 गैंग के अपराधियों ने कई तरह के हथियार हिंसा के लिए उपलब्ध कराये थे। जांच में हथियार तस्कर बाबर का नाम सामने आ रहा है, और जल्दी ही उस पर कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
बच्चों के कारण हुआ बड़े स्तर की हिंसा का षड़यंत्र ‘विफल’
जांच में पता लगा है कि दंगाइयों का उद्देश्य था चंद्रेश्वर हाता में बड़े स्तर पर हिंसा करना और जानमाल को क्षति पहुंचाना। दंगाइयों ने रूमाल लहराकर भीड़ को चंद्रेश्वर हाता की ओर बुलाया, ताकि हिंसा को आरम्भ किया जाए। योजना के अनुसार सब ठीक-ठाक हो रहा था, आगे चल रहे उपद्रवियों को हिंसा आरम्भ करके पीछे की ओर हट जाना था, ताकि भीड़ में छिपे दंगाई हिंसा कर सकें।
हालांकि, इनका यह षड़यंत्र भीड़ में उपस्थित बच्चों ने खराब कर दिया। वह कई बार कहने के बाद भी पीछे नहीं हटे, बल्कि नागरिकता संशोधन कानून की तर्ज पर आगे माेर्चा लेकर हंगामा करते रहे। ऐसे में शूटर सीधी गोलियां नहीं चला सके और मात्र हवाई फायर करके ही रह गए। यदि ऐसा नहीं होता तो हिंसा का स्तर कहीं बड़ा हो सकता था।
एसआइटी ने हिंसा के ‘मास्टरमाइंड’ हयात जफर हाशमी से की पूछताछ
एसआइटी ने उपद्रव के मास्टरमाइंड माने जा रहे एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात जफर हाशमी समेत उसके मुख्य तीन साथियों को 52 घंटे रिमांड पर लेकर पूछताछ की। जांच में सामने आया है कि हिंसा के लिए दूसरे जिलों जैसे फतेहपुर, लखनऊ, बनारस और प्रयागराज से भी दंगाई बुलाए गए थे, और इसमें हाशमी की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है ।
एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात जफर हाशमी के काकादेव स्थित हास्टल पर कानपुर विकास प्राधिकरण की नजर टेढ़ी हो गई है। केडीए ने अवैध निर्माण की जांच शुरू कर दी है, और बुधवार को हास्टल से बाहर नोटिस चस्पा करते हुए जवाब मांगा है कि बिना अनुमति निर्माण कैसे हुआ और हास्टल कैसे संचालित किया जा रहा है।
हयात जफर का काकादेव के पी ब्लाक हितकारी नगर में एक होस्टल संचालित करता है, तीन मंजिला इस हास्टल की कीमत लगभग डेढ़ से दो करोड़ रुपये है, जिसमें लगभग 40 कमरे हैं। क्षेत्र में इसे पूर्वांचल ब्वायज हास्टल के नाम से जाना जाता है। राजस्व के भू अभिलेखों में यह जमीन हयात जफर हाशमी की सौतेली मां शाहिदा जफर के नाम पर है।
केडीए ने हास्टल के बाहर नगर योजना एवं विकास अधिनियम की धारा 27(1) के तहत नोटिस चस्पा कर दिया है।नोटिस में 30 जून को संबंधित अधिकारी के सामने पेश होकर हास्टल से जुड़े दस्तावेजों के साथ पेश होने के लिए कहा गया है, ताकि जांच की जा सके कि आखिर किसी आदेश से यह निर्माण हुआ। भवन स्वामी बताए कि क्यों न उक्त निर्माण को अवैध मानते हुए ढहा दिया जाए।
एसआईटी ने बताया है कि हयात एंड कंपनी ने भारत की छवि दुनिया में खराब करने की मंशा से हिंसा कराई, क्योंकि उस दिन शहर में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे। यह हिंसा कर दंगाई दुनिया भर को संदेश देना चाहते थे और भारत की कानून व्यवस्था का मजाक उड़ाना चाहते थे।