होली का त्यौहार हिन्दुओं के लिए सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। इस पर्व को मनाने के कई कारण हैं, पर यह पाप के जलने का त्यौहार है। परन्तु उस दिन भी भारत के दो पड़ोसी देशों में जो एक समय में उसी का हिस्सा थे, हिन्दू मंदिरों पर हमले हुए। सबसे पहले बात बांग्लादेश की क्योंकि वहां पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की स्वतंत्रता के पचास वर्ष पूरे होने पर गए थे और उन्होंने कई आयोजनों में हिस्सा लिया था एवं इसी के साथ मन्दिरों में दर्शन किए थे और साथ ही कोविड की वैक्सीन भी उपहार में दी थी।
दो दिनों तक ऐसा लगा जैसे बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ सब कुछ ठीक हो गया है। मगर यह धोखा था क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के आते ही बांग्लादेश जल उठा और हिन्दुओं पर आक्रमण होने लगे। यह विडंबना ही है कि जिस देश ने उसकी स्वतंत्रता में सहायता की, उसी देश में प्रधानमंत्री मोदी के जाते ही उनकी यात्रा के विरोध में हिंसा होने लगी।
प्रधानमंत्री मोदी के जाते ही जैसे सड़कों पर इस्लामी कट्टरपंथियों का हुजूम उमड़ पड़ा और उन्होंने हिन्दू मंदिरों के साथ साथ एक ट्रेन पर भी हमला कर दिया। पर यदि नरेंद्र मोदी के खिलाफ यह गुस्सा था तो उनके ऊपर निकालना चाहिए था, वहां पर रहने वाले अपने हिन्दू भाइयों और मंदिरों पर क्यों निकालना? यदि उन्हें ऐसा लगता है कि नागरिकता संशोधन क़ानून में बांग्लादेशी मुसलमानों के साथ भेदभाव होगा तो उन्हें एक समूह बनाकर सरकार के साथ बात करनी चाहिए थी। पर उनके जाते ही मंदिरों पर आक्रमण और कुछ नहीं बल्कि हिन्दुओं के प्रति घृणा का कारण है।
पुलिस के अनुसार कट्टर इस्लामी संगठन हिफाजत ए इस्लाम संगठन के कार्यकर्ताओं ने ब्राह्मणबरिया में रविवार को एक ट्रेन पर हमला किया है। और हिन्दू मंदिरों पर हमला किया। रॉयर्ट्स की रिपोर्ट के अनुसार, कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के इस हमले में कम से कम दस प्रदर्शनकारियों की मृत्यु हो गयी और कई घायल हैं।
प्रदर्शनकारी इस्लामिक समूहों में इस बात को लेकर नाराजगी थी कि प्रधानमंत्री मोदी अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय करते हैं। तो एक प्रश्न यह उठता है कि यदि प्रधानमंत्री मोदी भारत के अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय करते हैं तो वह वहां पर हिन्दुओं को मारेंगे? जो लोग इस बात का भ्रम फैलाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय करते हैं तो उन्हें विविध सरकारी योजनाओं के रिकॉर्ड देखने चाहिए, जिसमें जाति और धर्म की परवाह किए बिना योजनाओं का लाभ दिया गया है। नहीं तो वह भारत सरकार की अल्पसंख्यक मंत्रालय की वेबसाईट पर जाकर भी देख सकते हैं। यहाँ तक कि अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से अल्पसंख्यकों के हुनर को पूरे भारत के बाजारों में ही नहीं बल्कि विश्व के बाज़ारों में पहुँचाने के लिए हुनर हाट का आयोजन किया जाता है।
परन्तु यह एक उन्मादी भीड़ है जिसकी रग रग में हिन्दुओं के प्रति विद्वेष फैला हुआ है, हिन्दुओं के प्रति घृणा भरी हुई है। यह लोग केवल हिन्दुओं को मारना चाहते हैं। कुछ ही दिनों पहले इसी बांग्लादेश में हिन्दुओं के एक गाँव को मिट्टी में मिला दिया था। यह उन्मादी भीड़ सहजीवन के सिद्धांत में विश्वास नहीं करती है। नरेंद्र मोदी तो केवल बहाना हैं, उद्देश्य तो हिन्दुओं के मन में आतंक भरना था कि वह संगठित होकर क्या क्या कर सकते हैं।
रायटर्स के अनुसार ब्राह्मणबरिया शहर में एक पत्रकार ने बताया कि ब्राह्मणबरिया जल रहा है। कई सरकारी कार्यालयों में आग लगा दी गयी है । यहाँ तक कि प्रेस क्लब पर भी हमला किया गया है। और प्रेस क्लब के अध्यक्ष सहित कई लोग घायल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वह लोग बहुत डरा हुआ और विवश अनुभव कर रहे हैं।
यह कितना विडम्बनापूर्ण है कि जहाँ एक ओर भारत में हिन्दू अपने त्यौहार को मनाने के लिए तैयार हो रहे थे वहीं उनके अपने भाइयों पर इस प्रकार के अत्याचार हो रहे थे, पर कितने हिन्दुओं को इस बात की परवाह है। दुर्भाग्य की बात यह है कि कई विरोधी दल के समर्थक इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे कि मोदी का विरोध बांग्लादेश के आम लोग कर रहे हैं। क्या इन्हें यह समझ नहीं आता कि वह विरोध किसी व्यक्ति विशेष का नहीं था, बल्कि वह हिन्दू पहचान का विरोध है। वह हिन्दुओं का विरोध है, फिर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस दल के समर्थक हैं।
इसी प्रकार डॉन के अनुसार रावलपिंडी में भी होली से एक दिन पहले एक निर्माणाधीन मन्दिर में कुछ शरारती तत्वों ने तोड़फोड़ कर दी। शनिवार पर पुराना किला में एक सौ साल पुराने हिन्दू मंदिर पर कुछ अज्ञात लोगों ने हमला किया, जिसके कारण वहां पर चल रहे मरम्मत के कार्यों में बहुत नुकसान पहुंचा। सुरक्षा अधिकारी की ओर से बननी पुलिस थाने में इस हमले के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज करा दी गयी है, जिसमें कहा गया है कि मंदिर में पिछले एक महीने से चल रहे निर्माण कार्यों में इस हमले से नुकसान हुआ है।
यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि सदियों से जो धर्म सभी मतों को सम्मान देता आ रहा है, उसे अब तक प्रताड़ित किया जा रहा है और वह भी उसीकी भूमि पर!
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