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निर्मल वर्मा, धर्म और धर्मनिरपेक्षता पर खुलकर लिखने और बोलने वाले लेखक, कौमी तराना लिखने वाले इक़बाल के जितना क्यों स्मरण नहीं किए जाते?
इन दिनों लेखक होने का अर्थ मात्र वामपंथी होना ही रह गया है और हम देखते हैं कि यदि मार्क्सवादी विचार न हों, तो...