उत्तर प्रदेश में हालफिलहाल सत्ता को लेकर अटकलों पर विराम लग गया है, जब से महाबैठक के उपरान्त पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष ने योगी सरकार के कोरोना प्रबंधन को सराहा और कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सरकार ने शानदार कार्य किया है। इससे पहले पिछले सप्ताह यही खबर छाई रही थी कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन करने जा रही है।
In five weeks, @myogiadityanath's Uttar Pradesh reduced the new daily case count by 93% … Remember it’s a state with 20+ Cr population . When municipality CMs could not manage a city of 1.5Cr population , Yogiji managed quite effectively .
— B L Santhosh (@blsanthosh) June 1, 2021
अफवाहों का बाज़ार गर्म हुआ था, दिल्ली में भाजपा और संघ के पदाधिकारियों के बीच हुई एक ऐसी गुप्त बैठक से, जो कहने के लिए गुप्त थी, परन्तु मीडिया के अनुसार इसका एक ही एजेंडा था उत्तर प्रदेश से मुख्यमंत्री योगी की विदाई। जाने कैसे यह खबर फ़ैली और यहाँ तक कहा जाने लगा कि या तो राजनाथ सिंह या फिर प्रधानमंत्री के नज़दीकी नौकरशाह ए के शर्मा को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा।
देखते ही देखते खबर फ़ैली और इतनी तेजी से फ़ैली कि सोशल मीडिया में भी हलचल मच गयी। मजे की बात यह थी कि इस अफवाह तंत्र में न केवल मोदी विरोधी मीडिया बल्कि मोदी समर्थक मीडिया भी शामिल था। अखबारों में मंत्री मंडल विस्तार की बात होने लगी! प्रभात खबर ने प्रकाशित किया कि उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले योगी सरकार के कई मंत्रियों पर गिरेगी गाज! पीएम मोदी के करीबी को मंत्री मंडल में मिल सकती है जगह!
कई अखबार, जिनके संपादकों का भाजपा के प्रति विरोध स्पष्ट दिखाई देता है, वह निष्पक्षता की आड़ में कई महीनों से केशव प्रसाद मौर्य की नाराजगी को लेकर अपना एजेंडा चला रहे थे। इतना ही नहीं जब उत्तर प्रदेश में कोरोना दूसरी लहर का सामना कर रहा था, तब भी बार बार शमशान की तस्वीरों दिखा दिखा कर जनता के मन में इस सरकार के प्रति आक्रोश भर रहे थे। अभी भी संघ और योगी जी के बीच टकराव को दिखा रहे हैं। तथा जनता के बीच यह भाव भरने का प्रयास कर रहे हैं कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नाराज़ है। इनमें मुख्य नाम है 4पीएम का।
इस अख़बार के सम्पादक की फेसबुक प्रोफाइल काफी कुछ कहती है तथा अखबार भी काफी कुछ कहता है। इन्होनें कल ही काफी रहस्यमयी मुस्कान के साथ बीएल संतोष के ट्वीट को मजबूरी का ट्वीट बताया, परन्तु जब आप इसमें नीचे नजर डालेंगे तो पाएंगे कि इनके अधिकतर वीडियो भाजपा में फूट डालने को लेकर ही हैं।
परन्तु ऐसा नहीं कि केवल भाजपा विरोधी मीडिया ने ही इस अफवाह को हवा दी। बल्कि साथ ही भाजपा और संघ के करीबी मीडिया ने भी इस अफवाह को फैलाया। बल्कि इसे जातिगत रूप भी देने की कोशिश की जा रही है। यह कहा जा रहा है और आज से नहीं जब से योगी जी ने सत्ता सम्हाली है, कि इस सरकार में ब्राह्मणों का शोषण हो रहा है
उत्तर प्रदेश में कथित ब्राह्मण शोषण का शोर तब से मचना आरम्भ हुआ था जब से दुर्दांत अपराधी विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ था। तभी से न केवल विपक्षी दलों बल्कि मीडिया के भी एक वर्ग ने इस सरकार को ब्राह्मण विरोधी कहना आरम्भ कर दिया था।
2. साथ ही, यूपी सरकार अब खासकर विकास दुबे-काण्ड की आड़ में राजनीति नहीं बल्कि इस सम्बंध में जनविश्वास की बहाली हेतु मजबूत तथ्यों के आधार पर ही कार्रवाई करे तो बेहतर है। सरकार ऐसा कोई काम नहीं करे जिससे अब ब्राह्मण समाज भी यहाँ अपने आपको भयभीत, आतंकित व असुरक्षित महसूस करे।
— Mayawati (@Mayawati) July 12, 2020
तभी से एक बहस आरम्भ हो गयी थी कि क्या यह सरकार ब्राह्मण विरोधी है। जबकि विकास दुबे द्वारा मारे गए लोगों में कई ब्राह्मण सम्मिलित थे। ऐसे में क्या एक अपराधी किसी जाति का नायक हो सकता है, ऐसे भी प्रश्न कई लोगों ने उठाए थे। परन्तु सपा, बसपा एवं कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों को एक मौक़ा मिला था। कांग्रेस ने हालांकि खुलकर इस पर जातिकार्ड नहीं खेला था, बल्कि ब्राह्मण चेतना परिषद के माध्यम से इस मुद्दे को उठाया था।
ऐसा नहीं था कि केवल कांग्रेस या विपक्षी दल ही इस मामले को लेकर योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी बता रहे थे, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं भाजपा के करीबी पत्रकार भी इस मामले को लेकर खफा दिखाई दिए थे, मजे की बात थी कि कई ब्राह्मण लेखक और लेखिकाएँ भी अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर को ब्राह्मण वध का रूप दे रही थीं।
परन्तु जनता का एक बड़ा वर्ग है, जो योगी सरकार से प्रसन्न है। वह पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान ध्वस्त क़ानून व्यवस्था को भूला नहीं है। वह यह नहीं भूला है कि कैसे पिछली सरकारों में एक मजहब विशेष को ही महत्व दिया जाता था और वह यह भी नहीं भूला है कि कैसे रात होते ही सड़कें सुनसान हो जाती थीं। कैसे सपा के शासनकाल में एक ही जाति की नियुक्तियां होती थीं।
तभी जैसे ही यह अफवाह फैलनी आरम्भ हुई कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री को हटाया जा सकता है या फिर मीडिया के अनुसार उनके प्रभाव को कम करने के लिए एके शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, वैसे ही सोशल मीडिया पर शोर मच गया। फेसबुक से लेकर ट्विटर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पक्ष में वह आम जन लामबंद होने लगा, जो जाति के आधार पर अभी तक वोट नहीं देता है और जिसके लिए अपनी और अपने बच्चों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
सोशल मीडिया पर आम लोग उन सभी लोगों को खोज खोजकर लाने लगे जिन्होनें यह अफवाह उडाई थे। हालांकि एक बड़ा मामला इसमें गंगा जी के किनारे लाशें मिलने का था, जिसके आधार पर योगी सरकार को विफल साबित करने की बात की गई, परन्तु बाद में यह निकल कर आया कि यह परम्परा वहां पर कई वर्षों से चली आ रही है।
मीडिया ख़बरों की मानें तो विधायकों में से ही एक बड़ा वर्ग है जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ है और जो मोर्चाबंदी किए हुए है। इन्हीं असंतुष्ट विधायकों के हवाले से कई मीडिया समूह यह दावा करते रहते हैं कि शीघ्र ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बदला जाएगा।
वहीं राष्ट्रवादी पत्रकारों और लेखकों का एक बड़ा वर्ग ऐसा था जिसने ऐसी किसी भी सम्भावना के होने को भाजपा के लिए आत्मघाती कदम बताया, तथा स्पष्ट कहा कि यदि ऐसा कुछ भी होता है तो भाजपा के लिए यह राजनीतिक आत्महत्या होगी। हालांकि इस बात को भाजपा विरोधी मीडिया नहीं समझता हो ऐसा नहीं है, तभी वह प्रत्यक्ष हमला न बोलकर कभी योगी और मोदी तो कभी योगी बनाम संघ का खेल खेलता है। या विपक्षी दल अब जातिगत आधार पर या जातियों के मध्य संघर्ष के माध्यम से सत्ता पाने की फिराक में हैं?

फिर भी आम जनता का यह कहना है कि भाजपा को यह खेल खेलना बंद करना चाहिए और जो मुख्यमंत्री कोविड के नियंत्रण के लिए ही नहीं बल्कि प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए भी दिन रात एक किए हुए है, उन्हें हटाने की बात नहीं सोचनी चाहिए।
कई राष्ट्रवादी पत्रकारों का यह भी कहना था कि राम मंदिर के निर्णय में भी योगी सरकार की एक बड़ी भूमिका रही थी क्योंकि कई ऐसे दस्तावेज़ जो फारसी या अंग्रेजी में थे, जिन्हें पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार ने अनुवाद कराने से इंकार कर दिया था, या असमर्थता व्यक्त कर दी थी, उनका अनुवाद योगी सरकार ने करवाया।
यह स्पष्ट है कि कल बीएल संतोष के इस ट्वीट के उपरान्त मामले के शांत होने की अपेक्षा है।
फीचर्ड इमेज: https://www.outlookindia.com से साभार
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