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Saturday, April 20, 2024

ट्विटर पर क्यों ट्रेंड हुआ #justiceforkeralagirl #JusticeforKeralagirls

ट्विटर पर इस समय केरल की लड़कियों के लिए ट्रेंड हो रहा है #justiceforkeralagirl #JusticeforKeralagirls। यह क्यों हो रहा है? दरअसल केरल में एक छ वर्षीय बच्ची की रस्सी में टंगी हुई लाश मिलने से सनसनी फ़ैल गयी थी। पुलिस को ऐसा लगा था जैसे कि बच्ची ने खेल खेल में खुद को फांसी लगा ली। मगर यह सच नहीं था।

30 जून को हुई इस घटना में नया मोड़ तब आया जब पता चला कि बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था। यह भी स्थानीय पुलिस के कारण नहीं बल्कि इंटेलिजेंस विभाग के कारण पता चल पाया। क्योंकि यह आरोप है कि वंदीपेरियर पुलिस स्टेशन के अधिकारी इस मामले में उचित प्रक्रियाओं का पालन करने में विफल रहे। जब पीड़ित के शरीर को पोस्टमार्टम के लिए इदुक्की मेडिकल कॉलेज में ले जाया गया, तो केवल एक महिला पुलिस अधिकारी ही उसके साथ थीं, जबकि नियम के अनुसार कम से कम एक सब इन्स्पेक्टर होना चाहिए और साथ ही यह भी आरोप लगे कि वहां की डेड बॉडीज को पोस्टमार्टम के लिए इदुकी मेडिकल कॉलेज नहीं बल्कि कोट्टयम मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है।

हालांकि इंटेलिजेंस विभाग को जब यह बातें पता चलीं तो इद्दुकी मेडिकल कॉलेज में एक सब इन्स्पेक्टर को भेजा गया और फिर पता चला कि बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था। इस रहस्य ने सभी को हैरान कर दिया। क्योंकि बच्ची केवल छ साल की थी।

जांच में अर्जुन नामक एक युवक को हिरासत में लिया गया और यह भी पता चला कि उसके शरीर का एक बाल भी बच्ची के शरीर पर पाया गया था।

यहाँ तक कहानी बहुत साधारण है। परन्तु अर्जुन न ही कोई साधारण व्यक्ति है और न ही उसने यह किसी आवेश में किया था। अर्जुन ने यह बलात्कार  और खून पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से और सोच समझकर किया। पुलिस के अनुसार अर्जुन इस छह साल की बच्ची पर तीन साल से नजर रखे था। और अर्जुन की उम्र है 22 साल और अर्जुन डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया का सदस्य है। डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया एक राजनीतिक संगठन है जो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की युवा इकाई के साथ जुड़ा हुआ है।

उस दिन, बच्ची यह जाने बिना कि यह उसका अन्तिम दिन है और उसके साथ क्या होने जा रहा है, खेल रही थी। अर्जुन ने देखा कि सभी लड़के पीछे के क्वार्टर्स में अपने बाल कटवा रहे हैं। अर्जुन उस लड़की के पास गया, उसके साथ बलात्कार किया और फिर उसका गला दबा दिया। जब उसने देखा, कि वह मर गयी है तो वह उसकी इस मौत को स्वाभाविक मौत बनाना चाहता था। मगर वह बच्ची अभी मरी नहीं थी।

फिर उसने उस छोटी बच्ची को उठाया और छत पर एक रस्सी बांधी। जब वह उसे टांगने जा रहा था, तो उस बच्ची ने आँखें खोलीं और हवा में आखिरी सांस लीं। फिर अर्जुन उसे तब तक देखता रहा, जब तक वह मर नहीं गयी और फिर वह खिड़की से भाग गया।

अर्जुन का षड्यंत्र यहीं समाप्त नहीं हुआ, बल्कि बढ़ गया। जब पुलिस आई तो वह परिवार के साथ शुभचिंतक बनकर साथ रहा, और बच्ची के अंतिम संस्कार तक में मदद की। किसी को संदेह न हो, तो वह खूब जोर जोर से रोया भी, और पुलिस वालों के लिए खाने की व्यवस्था करता रहा, बच्ची के शोक में जो आए उनके खाने की व्यवस्था करता रहा और फिर अंत में पता चला कि आखिर में वही दोषी था। अर्जुन ने पूरी कोशिश की पुलिस को धोखा देने की, पर वह विफल रहा और उस बच्ची की ह्त्या के आरोप में वह जेल में है।

अब प्रश्न यहाँ पर कुछ उठते हैं, यह सही है कि दोषी को पुलिस ने पकड़ लिया है, मगर 30 जून से लेकर आज 12 जुलाई तक इस मामले को लेकर उन सभी लोगों की सोशल मीडिया दीवारें सूनी हैं, जो स्त्रियों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाते हैं, जो फेमिनिस्ट वेबसाईट केरल को छोड़कर हर राज्य में सूक्ष्मदर्शी कांच लेकर अपराध खोजती हैं और फिर पूरा षड्यंत्र रचती हैं कि कैसे भी इसे हिन्दू या फिर भाजपा विरोधी बताया जाए?

और हिंदी भाषा की लेखिकाएँ एवं लेखक, किसी ने कुछ भी नहीं कहा है! जरा कल्पना करें कि यदि अपराधी कोई हिन्दूवादी संगठन के किसी भी सदस्य का कोई रिश्तेदार भी होता तो क्या होता? अभी तक मंदिरों को कंडोम चढा दिए जाते, राम जी से लेकर कृष्ण जी तक सारे भगवानों को कोस दिया जाता, माता रानी की पूजा का ताना मारा जाता और क्रांतिकारी कविताएँ लिख दी गईं होतीं!

पर चूंकि यह मामला हुआ है केरल में, और वह भी लेखिकाओं और लेखकों की प्रिय पार्टी के युवा सदस्य द्वारा तो वह लेखिकाएं यही कहेंगी कि “लड़के हैं, गलतियां हो ही जाती हैं!”

और यहाँ फिर से एक बार वह उस छोटी बच्ची के साथ खड़े न होकर उस विचार के साथ खड़ी हो गयी हैं, जो लड़कियों को यूज़ एंड थ्रो के रूप में प्रयोग करता है!परन्तु यह बहुत बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जो हिंदी साहित्य एक समय में समाज को दिशा दिखाता था, वह आज वामपंथी दलों का पिछलग्गू बनकर रह गया है, विशेषकर लेखिकाएं, जिन्होनें अपना सारा दिमाग आलोचकों के हाथों गिरवी रख दिया है, तभी वह अपने वामपंथी आकाओं के संकेतों पर नाचती हुई नज़र आती हैं, उस छ साल की बच्ची के साथ नहीं!


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