अभी श्रद्धा और आफताब के मामले में ही लोग उलझे हैं और यह देख रहे हैं कि कैसे कुछ लोग इस जघन्य हत्याकांड को उचित ठहरा रहे हैं। समस्या हत्या तो है ही, हत्या के बाद लाश को ठिकाने लगाने के लिए 35 टुकड़े करना और साथ ही उन टुकड़ों के रहते हुए सामान्य व्यवहार करना है। आफताब ने जो किया था, वह दुर्दांत अपराधी ही कर सकता है, जिसे हिन्दुओं के अस्तित्व से पूरी तरह से घृणा हो।
आवेश में हत्या होना और हत्या के बाद शव के टुकड़े करने के बाद सामान्य जीवन जीते रहना, दो अलग अलग परिप्रेक्ष्य हैं। हत्या में उन्माद की भूमिका महत्वपूर्ण होती है तो वहीं उसके बाद उस घृणा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, जो अपराधी की उसके प्रति होती है, जिसके प्रति यह अपराध किया गया है।
श्रद्धा और आफताब के मामले में उसी घृणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें वह उन टुकड़ों को धीरे धीरे करके फेंकता रहा, फ्रिज में सहेजकर कर रखे रहा। उस घृणा का विस्तार करती हुई एक और घटना सामने आई है, जिसे सुनकर हर किसी का दिल दहल सकता है।
मध्यप्रदेश में युनुस अंसारी ने अपने बिजनेस पार्टनर विकास गिरी की हत्या कर दी और उसकी हत्या के बाद उसकी लाश को दुध्मुनिया जंगल, रीवा में फेंक दिया।
मध्य प्रदेश पुलिस ने नौ महीने पुराना एक मामला सुलझाते हुए युनुस को गिरफ्तार किया है, जिसने अपने बिजनेस पार्टनर 21 वर्षीय विकास गिरी की हत्या कर दी थी और इतना ही नहीं उसकी लाश को 80 टुकड़ों में कट डाला और फिर जंगल में फेंक दिया!
उन्माद और घृणा के अपराध में यही अंतर है जो आफताब और युनुस ने किया! एक ने श्रद्धा की हत्या करके 35 टुकड़े किए और उसके बाद उसके टुकड़ों को धीरे धीरे मिटाता रहा और युनुस ने विकास गिरी की हत्या की और पूरे नौ महीने तक वह उस हत्या पर चुप्पी साधे रहा। घृणा, क्षणिक उन्माद से कहीं गहरा कारक होती है किसी भी अपराध का!
पुलिस के अनुसार चुइया गाँव का 21 वर्षीय विकास गिरी 2021 में लापता हॉग या था। वह वन विभाग के पौधारोपण कार्यक्रम में ठेकेदार था। जब वह नहीं मिला तो उसके पिता ने पुलिस में गुमशुदा की रिपोर्ट दर्ज करा दी। मगर उसके बाद भी उनके बेटे का पता नहीं चला। मगर पुलिस के अनुसार फरवरी में कुछ चरवाहों को दुध्मुनिया जंगल में शरीर के टुकड़े एवं आधार कार्ड के हिस्से मिले तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया। पुलिस 5 फरवरी को जंगल गयी और वहां से उसकी लाश के 80 टुकड़े मिले।
हत्या के कारण:
मगर हत्या के कारण क्या रहे होंगे? पुलिस के अनुसार जब अंसारी से कड़ाई से पूछताछ की गयी तो वह टूट गया और फिर उसने कहा कि विकास गिरी उसकी बहन को छेड़ा करता था और अंसारी ने उसे अपने घर पर रंगे हाथों पकड़ा था। फिर उसने और सिरताज ने मिलकर उस पर एक रॉड से हमला किया और वह वहीं मर गया। हालांकि मीडिया के अनुसार विकास गिरि और युनुस की एक बहन कथित रूप से एक दूसरे से प्यार करते थे, और युनुस इससे गुस्सा था! अर्थात एक मुस्लिम को अपनी बहन का हिन्दू प्रेमी बर्दाश्त है ही नहीं, इसलिए उसने विकास गिरि की हत्या कर दी!
उसके बाद उन्होंने उसकी लाश के अस्सी टुकड़े किए और उन्हें जंगल में छोड़ दिया।
पुलिस ने युनुस अंसारी को आईपीसी की धारा ३०२ के अंतर्गत हिरासत में ले लिया है।
यह बात ही स्वयं में परेशान करने के लिए पर्याप्त है कि कैसे कोई हत्या करके इतने महीनों तक सामान्य बना रह सकता है? उन्माद में की गयी हत्या में देखा गया है कि लोगों ने हत्या की और सिर लेकर पुलिस के पास पहुँच गए, जैसा हाल ही में कई घटनाओं के मामले में देखा गया है, परन्तु सोच समझकर किया गया आपराधिक मानसिकता के साथ क़त्ल, कि जिसमें मारे जाने वाले व्यक्ति के अस्तित्व तक से इतनी घृणा हो कि उसकी हत्या का कोई अफ़सोस न हो और उसकी हत्या के कई महीनों बाद भी कातिल आराम से सामान्य जीवन जीता रहे, यह हद से अधिक परेशान करने वाला मामला है।
आफताब ने जो श्रद्धा के साथ किया, वही युनुस ने विकास के साथ किया। यदि युनुस को यह संदेह भी था कि उसकी बहन के साथ विकास कुछ गलत हरकत कर रहा है, तो उसके लिए कानून है। यही काम यदि कोई हिन्दू करता तो इस पर यह आरोप लगाया जाता कि हिन्दू समाज खाप पंचायतों जैसी मानसिकता कब छोड़ेगा या फिर क़ानून नहीं था क्या?
परन्तु युनुस अंसारी द्वारा की गयी इतनी जघन्य घटना के बाद भी इस बात पर बहस नहीं होगी कि आखिर यह कैसी मानसिकता है जो यह कहती है कि काट दो! इसी सम्बन्ध में twitter पर एक वीडियो बहुत ही आम आदमी का देखा जा सकता है, जिसमें वह कहता है कि करना ही क्या है टुकड़े ही तो करने हैं!
आखिर यह मानसिकता कहाँ से आती है कि जिसमें क़ानून का डर न हो, किसी को काटते समय कोई डर न हो, किसी को मारते समय यह विचार तक न हो कि मरने वाले का भी अपना परिवार है, अपने सपने हैं!
दुर्भाग्य की बात यही है कि एक ओर आफताब और युनुस जैसे लोग हैं जो क़त्ल करने के बाद टुकड़े टुकड़े करने लाश जंगलों में फेंकते हैं तो दूसरी ओर उन्हें सही ठहराने वाले और उनपर चुप्पी साधने वाले भी हैं।
देखना होगा कि युनुस अंसारी द्वारा विकास गिरी की हत्या सेक्युलर विमर्श का कितना हिस्सा बनती है?