पाकिस्तान को गहरा झटका देते हुए बाइडन प्रशासन ने चीन और पाकिस्तान सहित आठ और देशों को ऐसे देशों की सूची में डाला है, जहाँ पर धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा है। हालांकि इस समय तो अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र आयोग ने भारत को ऐसी किसी सूची में नहीं डाला है, परन्तु फिर भी भारत विरोधी लॉबी सक्रिय हो गयी है और बाईडेन प्रशासन के इस्लामी-ईसाई वर्चस्व रुख के चलते अभी बहुत खुशी भी नहीं मनाई जा सकती है
बाइडन सरकार के इस कदम से जहाँ भारत से प्रेम करने वाले भारतीय संतुष्ट हैं, तो वहीं भारत के प्रति घृणा से भरे औपनिवेशिक भारतीय निराश हैं। Religious Freedom Institute, RFInstitute में सीनियर फेलो फराहनाज इसपहानी ने इस घोषणा को ट्वीट किया। उन्होंने लिखा
“अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) ने इन्टरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम डेज़ीग्नेशन पर बयान जारी किया है। आईआरएफए एक्ट के अंतर्गत ईरान, बर्मा, चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब तथा अन्य देशों को इसमें शामिल किया गया हैं जहाँ पर धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हो रहा है।”
इस पर एक यूजर ने एक लेख साझा करते हुए पुछा कि इसमें भारत क्यों नहीं है। और वह लेख किसी और का नहीं बल्कि बौद्धिक एवं भारतीय माने जाने वाले शशि थरूर का था।
शशि थरूर ने “मोदी के मुस्लिम विरोधी जिहाद” पर लेख लिखा और यह लिखा कि भारत में पिछले सात वर्षों में मुस्लिमों के साथ किया जाने वाला अत्याचार बेहद आम हो गया है और भारतीय इसके आदि हो गए हैं। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को ही दोषी ठहराया जाना चाहिए।
शशि थरूर ने इसमें scroll.in के एक लेख के माध्यम से यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान के हाथों भारत की हार के बाद हिन्दुओं ने मोहम्मद शमी की ट्रोलिंग की। वह लिखते हिं कि यह एक नई तरह की मुस्लिमों के प्रति घृणा है, जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद आरम्भ हुई थी।
शशि थरूर ने शमी की जिस ट्रोलिंग का उल्लेख इस लेख में किया है, और जिसे अब अमेरिकी प्रशासन को भेजा जा रहा है या फिर जिसे एक ऐसे पोर्टल पर प्रकशित किया गया है, जिसमें कथित रूप से निष्पक्ष ओपिनियन प्रकाशित होते हैं, वह ट्रोलिंग वास्तव में पाकिस्तान द्वारा कराई गयी थी।
यह इन्स्टाग्राम की कई प्रोफाइल्स को जांचने के बाद पता चल गया था कि यह ट्रोलिंग वास्तव में पाकिस्तान द्वारा कराती गयी थी। रिपब्लिक चैनल ने इस सम्बन्ध में प्रोफाइल्स को खंगाला था तो उन्होंने पाया था कि Alitaza नाम के अकाउंट ने शमी के खिलाफ 28 ट्वीट किए। जांच से पता चलता है कि यह अकाउंट 15 लोगों को फॉलो करता है जिनमें से सभी पाकिस्तानी हैं। इनमें से कुछ निजी अकाउंट थे जो पूरी तरह से ‘भारत असहिष्णु है’ का प्रचार फैलाने के उद्देश्य से बनाए गए थे। अपना काम होने के तुरंत बाद उन्हें डीएक्टिवेट कर दिया गया था।
इतना ही नहीं शशि थरूर ने असम की घटना का उल्लेख किया था कि कैसे अतिक्रमण हटाने के बहाने मुस्लिमों को मारा गया। जबकि सच्चाई यह है कि सरकारी भूमि पर बांग्लादेशियों ने अतिक्रमण कर लिया था और जिस भूमि पर खेती से कई लोगों को रोजगार मिल सकता है, वहां पर कुछ लोग अतिक्रमण किए हुए हैं।
शशि थरूर यहीं पर नहीं रुके हैं। शशि थरूर ने दिल्ली दंगों का उल्लेख किया है और इसमें उन्होंने यह लिखा कि 53 लोग मारे गए और उनमें से अधिकतर मुस्लिम थे। शशि थरूर ने यह नहीं बताया कि दंगे भड़काने वाला कौन था? क्यों हुए थे? और खुद कांग्रेस इन्हें भड़काने में कितनी शामिल थी।
शशि थरूर ने गौ मांस की तस्करी करने पर कुछ नहीं कहा है, हाँ, यह जरूर लिख दिया कि हिन्दू गौ मांस के नाम पर मुस्लिमों की हत्या करते हैं, इस लेख में पाकिस्तान की जीत पर जश्न मना रहे मुस्लिम छात्रों पर कार्यवाही को सरकार की बर्बर कार्यवाही बताया है और इतना ही नहीं हिन्दुओं के गरबा में मुस्लिमों को न बुलाए जाने के हिन्दुओं के धार्मिक अधिकार को भी कोसा है।
जब शशि थरूर नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार के बहाने हिन्दुओं को कोस रहे थे, उस समय वह यह भूल रहे थे कि हिन्दुओं के विरुद्ध इसी असहिष्णु सरकार में उनकी लिखी पुस्तक पर उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला है।
शशि थरूर द्वारा लिखे गए पूरे लेख में हिन्दुओं के प्रति असीम घृणा भरी हुई है। यहाँ तक कि इसमें लव जिहाद के नाम पर मरने वाली किसी भी लड़की का नाम नहीं हैं, पर इसमें यह जरूर लिखा है कि लव जिहाद के नाम पर मुस्लिम लड़कों को फंसाया जा रहा है। और इतना ही नहीं शशि थरूर ने फैब इंडिया के जश्ने-रिवाज सीरीज पर हिन्दुओं के विरोध को भी मुस्लिम विरोध कहा है। शशि थरूर ने कुम्भ को लेकर फैलाई जा रही अफवाह पर कुछ नहीं कहा है, हाँ यह जरूर लिख दिया है कि तबलीगी जमात पर कार्यवाही गलत थी।
इतना ही नहीं शशि थरूर यह भी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के आने के बाद मुस्लिमों को जेल में ज्यादा भेजा जा रहा है। और पुलिस भी मुस्लिमों का शोषण कर रही है। फिर उन्होंने वर्ष 2015 के अपने एक बयान का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने अपने बांग्लादेशी दोस्त के हवाले से कहा था कि भारत में “मुस्लिम होने से अधिक सुरक्षित है गाय होना!”
हिन्दू घृणा से भरा हुआ यह लेख, यह प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है कि शशि थरूर अंग्रेजी में अवश्य अच्छे हो सकते हैं, परन्तु हिन्दू और भारतीयता का बोध होने में उन्हें समय लगेगा।
इसी लेख को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) को भेजा गया है। जबकि सच्चाई इससे एकदम पृथक हैं। यह भारत के हिन्दू जानते हैं। हाँ, नामधारी हिन्दू और कांग्रेसी एवं औपनिवेशिक मानसिकता से भरे हुए लोग इस सच्चाई को नकारते हैं।
पाकिस्तान पूर्व विदेश सचिव एवं अमेरिका में पाकिस्तान में राजदूत ने भी इस लिस्ट पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि भारत का इस सूची से गायब होना, निर्धारित मापदंड की विश्वसनीयता पर गंभीरता से प्रश्न उठाता है। सभी मानवाधिकार संगठनों द्वारा आरएसएस/भाजपा के नेतृत्व वाली भारत सरकार के अंतर्गत धार्मिक स्वतंत्रता का हनन बताया जा रहा है।
वहीं politico.com की पत्रकर नहल तूसी ने भी अमेरिका प्रशासन पर भारत को “विशेष चिंता वाले देश” की सूची में सम्मिलित न करने पर हैरानी व्यक्त की, क्योंकि उनके अनुसार भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। जबकि अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र आयोग ने इसका अनुरोध किया था कि भारत को खतरनाक देशों की सूची में डालें। परन्तु बाइडेन प्रशासन ने भारत को इसमें सम्मिलित नहीं किया है, क्योंकि वह शायद भारत को अपना साथी मानता है, जिसे वह परेशान नहीं कर सकता और चीन से लड़ाई में भारत उसका सहयोगी है।
परन्तु हिन्दू भारत से प्रेम करने वाले और वैश्विक स्तर पर हिन्दू फोबिया से लड़ने वाले लोगों ने इसका स्वागत किया है। डॉ शेनी अम्बारदार ने सेक्रेटरी ब्लिंकेन के प्रति आभार व्यक्त किया कि पाकिसान को इस सूची में सम्मिलित किया गया है, जहां पर धार्मिक स्वतंत्रता के सबसे अधिक उल्लंघन होते हैं। और पाकिस्तान और बांग्लादेश में तेजी से गायब हो रही हिन्दू जनसँख्या के लिए तेजी से कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
यह सही है कि मुस्लिम और वामपंथी मिलकर बौद्धिक क्षेत्र में अतिक्रमण कर चुके हैं। परन्तु फिर भी हिन्दुफोबिया से लड़ने वाले हिन्दुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। तथा खतरों को समझते हुए अब लोग इस हिन्दू फोबिया का विरोध कर रहे हैं।
फ़िलहाल तो बाइडेन प्रशासन ने भारत को ऐसी किसी सूची में सम्मिलित नहीं किया है, परन्तु यह दुखद है कि एक ओर हिन्दू पहचान वाले भारत से प्रेम करने वाले भारतीय वैश्विक स्तर पर इस हिन्दुफोबिया से लड़ रहे हैं तो वहीं भारत से ही जब शशि थरूर जैसे लोग भारत और हिन्दुओं को बदनाम करने वाला एक तरफ़ा लेख अपनी राजनीति के चलते लिख रहे हैं।
और उससे भी अधिक दुखद यही है कि इन्हीं लेखों का सहारा लेकर वह लोग हिन्दुओं को गाली दे रहे हैं, जिनका पूरा इतिहास ही हिन्दुओं के खून से रंगा हुआ है।