आज कांग्रेस टीपू सुल्तान की जयन्ती मना रही है, कुछ दिन पहले ही हैदर अली की सेना को रोकने वाली ओंके ओबव्वा की जयंती भारत ने मनाई है। अब या तो उस वीरांगना की कहानी सही हो सकती है या फिर टीपू सुल्तान नायक हो सकता है। हिन्दुओं के कातिलों को नेहरूवादी सेक्युलरिज्म ने हिन्दुओं का नायक बना दिया है। हालांकि अभी तक तो केवल अकादमिक स्तर पर ही हिन्दुओं पर टीपू सुल्तान को महान बताने का कुचक्र था, परन्तु आज तो कांग्रेस के श्रीनिवासन ने शिवाजी के चित्र को ही एडिट करके टीपू सुलतान का बना दिया:
टीपू सुलतान से यह कैसा प्यार है कांग्रेस को कि उसने शिवाजी के चित्र को ही एडिट कर दिया। यह उदाहरण यह बताने के लिए पर्याप्त है कि इतने वर्षों तक कैसे इन लोगों ने झूठी तस्वीरें प्रस्तुत की होंगी। यही नेहरूवादी सेक्युलरिज्म है। इसे सीताराम गोयल जी ने बहुत विस्तार से और स्पष्टता से समझाया है। उन्होंने कहा कि नेहरूवादी सेक्युलरिज्म ने हिन्दुओं के खलनायकों को नायक बना दिया है। उन्होंने कहा है कि नेहरूवादी सेक्युलरिज्म के पास ऐसा जादूई फार्मूला है जिसने साधारण धातु को चौबीस कैरेट सोने में बदल दिया है।
टीपू सुल्तान विलेन और हीरो, में सी नन्द गोपाल मेनन, वर्ष 1811 में प्रकाशित विलियम क्रिकपैट्रिक द्वारा लिखित पुस्तक Selected Letters of Tipoo Sultan, के हवाले से लिखते हैं कि कुरआन ने उसे सिखाया था कि काफिरों को विश्वास में लेना आवश्यक नहीं है या फिर सच्चे मजहब के दुश्मनों के साथ विश्वास बढ़ाना जरूरी नहीं है, और यह उसके लिए कठिन नहीं था कि वह इसमें उन सभी को शामिल कर ले, जो उसके विचारों का विरोध करते थे या फिर उसके मजहब के विरोध में हो!”
फिर सी नंद मेनन आगे लिखते हैं कि, टीपू सुलतान ने बुर्दुज़ जुमान खान को 1790 में भेजा था, उसमें लिखा था कि “क्या तुम्हें नहीं पता है, कि मैंने मालाबार में बहुत बड़ी विजय प्राप्त ही है और चार लाख हिन्दुओं को मुसलमान बनाया है।” (M Panicker, Bhasha Poshini, August, 1923)
फिर वह आगे इसी पुस्तक के हवाले से लिखते हैं कि 18 जनवरी 1790 को लिखे गए एक पत्र में टीपू लिखता है “पैगम्बर मुहम्मद और अल्लाह की कृपा से, कालीकट में लगभग सभी हिन्दू अब इस्लाम में आ गए हैं, जो भी कोचीन राज्य की सीमा पर शेष रह गए हैं, तो मैं उन्हें भी जल्दी मुसलमान बना लूँगा और मैं इसे जिहाद मानता हूँ!”
टीपू सुलतान की नृशंसता के विषय में फादर बार्थेओलोमेओ, जो एक पुर्तगाली यात्री थे, अपनी पुस्तक वोयेज टू ईस्ट इंडीज़ में लिखते हैं कि टीपू सुलतान ने 30,000 सैनिकों के साथ मिलकर एक दिन में 30,000 से अधिक लोगों को मारा था और उनमें से अधिकतर पुरुष-महिलाओं को कालीकट में टांग दिया गया था। पहले माओं को उनके बच्चों के साथ टांगा गया, बच्चों को उनकी माताओं के गले से बाँध दिया था। उस बर्बर टीपू सुल्तान ने नंगे ईसाइयों और हिन्दुओं को हाथियों के पैरों में बांधा और फिर हाथियों को तब तक घुमाया जब तक कि उन बेचारे लोगों के शरीर के टुकड़े टुकड़े न हो जाएँ।”

वह यह भी लिखते हैं कि ईसाई और हिन्दू महिलाओं को मुसलमानों से शादी करने के लिए बाध्य किया गया और हिन्दू युवकों को मुस्लिम लड़कियों से शादी करने के लिए बाध्य किया था और जिन्होनें यह हुकुम नहीं माना तो उन्हें तत्काल मार डाला गया।
इतना ही नहीं टीपू सुलतान ने भारी संख्या में गौ वध किया था। केरल संस्कृत साहित्य चरित्रम में वादाकुंकुर राजा राजा वर्मा लिखते हिं कि “टीपू के हमलों में असंख्य मंदिर तोड़े गए थे। टीपू सुल्तान और उसकी सेना का शौक था कि वह मंदिरों को जलाए, फिर मूर्तियों में आग लगाए और गौ वध करे।”
टीपू सुलतान को “द स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान” धारावाहिक के माध्यम से बहुत ही लोकप्रिय करने का प्रयास किया गया था। यह वैसे तो ऐतिहासिक उपन्यास पर आधारित था, परन्तु टीपू सुल्तान विलेन और हीरो, पुस्तक में मातृभूमि के पूर्व सम्पादक वी एम कोरथ लिखते हैं कि हालांकि इस उपन्यास में दावा किया गया कि श्री गिडवानी ने इस उपन्यास के लिए तेरह वर्षों तक ऐतिहासिक शोध किया। परन्तु कोरथ का कहना है कि उन्होंने केरल में, और विशेषकर मालाबार क्षेत्र में शोध नहीं किया, जो टीपू की क्रूरता का सबसे बड़ा साक्षी था।
मालाबार में हैदर अली ने जिहाद आरम्भ किया था, परन्तु उसकी मृत्यु बीच में ही हो गयी थी अत: उसके बाद जिहाद को आगे बढाने का कार्य टीपू सुल्तान ने किया। वह कहते हैं कि के माधव नायर ने अपनी पुस्तक मालाबार कालापन के पृष्ठ 14 पर लिखा है कि वर्ष 1921 में मालाबार में साम्प्रदायिक हिंसा आपको टीपू सुल्तान के समय में हिन्दुओं के साथ की गई हिंसा की याद दिलाता है। हजारों हिन्दुओं को उस समय मुसलमान बना लिया गया था।
विलियम लोगन भी अपनी पुस्तक मालाबार मैन्युअल में मंदिरों की सूची बताते हैं, जिन्हें टीपू ने नष्ट कर दिया था।
एलान्कुलम कुंजन पिल्लई मालाबार की स्थिति को बताते हैं कि कोज़िकोड़े उस समय ब्राह्मणों का केंद्र था और वहां 7000 नम्बूदरी घर थे, और उनमें से दो हजार से अधिक घर टीपू सुलतान ने तोड़ दिए थे, टीपू सुल्तान ने बच्चों तक को नहीं छोड़ा था।
वह कहते हैं कि जो भी लोग यह कहते हैं कि अंग्रेजों द्वारा टीपू सुलतान को बदनाम किया जा रहा है, उन्हें टीपू सुल्तान द्वारा लिखे गए पत्र पढने चाहिए।
एक ओर ऐतिहासिक रिकार्ड्स हैं, जो टीपू द्वारा हिन्दुओं पर किए गए अत्याचार बताते हैं, परन्तु नेहरूवादी सेक्युलरिज्म हमें टीपू सुलतान को नायक बताता है और कांग्रेसी नेता शिवाजी की तस्वीर का चेहरा बदलकर टीपू सुलतान का चेहरा लगा देते हैं!