अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार ने एक और ऐसा कदम उठाया है जो इस्लामी कट्टरपंथ को बताता है। संगीत और जिम में एथलीट की तस्वीरों को दिखाने को प्रतिबंधित करने के बाद अब उन्होंने आदेश दिया है कि किशोर उम्र के लड़के भी बड़ी उम्र के व्यक्तियों के साथ व्यायाम नहीं करेंगे!
तालिबान का यह आदेश कितना अजीब है कि यह अफगानिस्तान में सभी किशोरों एवं वयस्कों को समलैंगिक ठहरा सकता है!
परन्तु फिर भी यह आदेश दे दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तालिबान ने यह कहा है कि चूंकि छोटे लड़के आदमियों को उत्तेजित कर सकते हैं, तो इसलिए उन्हें उनके साथ जिम में नहीं आने दिया जाए!
वहीं एथलीट्स और जिम के स्वामियों का कहना है कि ऐसे प्रतिबन्ध उन खेलों की हत्या कर देंगे जिनमें मांसल शरीर दिखाया जाना मूल शर्त होती है, जैसे बॉडी बिल्डिंग प्रतिस्पर्धाओं में। और यहाँ तक कि जिम में वर्कआउट करने वाले आदमियों के लिए भी यह प्रतिबन्ध लगाया गया है कि कमर के नीचे के अंग और मांसपेशियों का प्रदर्शन नहीं किया जाए और ढीले कपड़े पहन कर रहा जाए!
ऐसे प्रतिबंधों से तालिबान की मानसिकता समझी जा सकती है कि उसकी मूलत: सोच कितनी कुंठित है कि शरीर या कहें सेक्स से आगे जा ही नहीं सकती है। इस समाचार के आते ही लोगों ने सोशल मीडिया पर कथित प्रगतिशीलों के पुराने ट्वीट लगाने आरम्भ कर दिए कि तो क्या हुआ, वह प्रेस कांफ्रेंस तो कर रहे हैं?
यहाँ तक कि तालिबान ने हेरात में महिलाओं के जिम भी बंद कर दिए है:
तो तालिबान ने अपने इन क़दमों से अपनी संकुचित और पिछड़ी एवं यौन कुंठा वाली मानसिकता का परिचय दिया है, जिसमें महिलाएं और किशोर बच्चे इस पिछड़ेपन का शिकार बने हैं।
लोगों ने प्रश्न किये कि क्या ऐसी भी कोई चीज है जो उन्हें यौन रूप से उत्तेजित न करती हो?
महिलाओं पर कई और प्रतिबन्ध भी तालिबान ने लगा दिए हैं
ऐसा नहीं है कि तालिबान ने अपना ऐसा संकुचित चेहरा पहली बार दिखाया है। इससे पहले भी कई निर्णय तालिबान दे चुका है, जिनमे अपने देश की औरतों के लिए कई नियम बनाए हैं जैसे कि
- पर्दा आवश्यक है, पहले तो औरतें घर से बाहर ही न निकलें और यदि निकलना जरूरी हो तो परदे में हों
- आदमी और औरत एक साथ पार्क नहीं जा सकते
- शौहर और बीवी तक एक साथ रेस्टोरेंट में नहीं जा सकते
- लड़कियों को उच्च शिक्षा नहीं, केवल छठवी कक्षा तक ही लड़कियों को पढने का अधिकार है, उसके बाद पढ़ाई समाप्त!
- औरतों के लिए सरकारी नौकरी नहीं! वह केवल वही काम करेंगी जो आदमी नहीं कर सकते हैं
- उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिलेगा
- बिना आदमियों के वह घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं!
- मीडिया में महिला एंकरों को बुर्का पहनने के लिए बाध्य करना
और इसके अतिरिक्त महिलाओं के हर प्रकार के सार्वजनिक जीवन पर जैसे रोक ही लगा देना!
महमूद गजनवी की प्रशंसा और सोमनाथ विध्वंस का महिमामंडन
इसके साथ हे यह भी देखा गया कि सत्ता सम्हालते ही महमूद गजनवी की कब्र पर अनस हक्कानी गया था और यह भी बताया था कि कैसे महमूद गजनवी ने सोमनाथ का मंदिर तोडा था
इसी तालिबान का साथ उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्तियों को मिला था जब उन्होंने नुपुर शर्मा को “लताड़” लगाई थी
यह कितने बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जो मानसिकता महिलाओं के प्रति इस प्रकार की सोच रखती है और जो गजनवी की कब्र पर जाकर सोमनाथ विध्वंस को याद करते हैं, और साथ ही जिनके सत्ता में आते ही उँगलियों में गिने जाने योग्य सिख और हिन्दू वहां से भाग आए, वही तालिबान भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्तियों के व्यक्तिगत अवलोकन पर साथ आया और ट्वीट किया कि
नुपुर शर्मा को माफी नहीं मिलनी चाहिए और इसके साथ ही एक तस्वीर ट्वीट की थी जिसमें “arrest nupur sharma” लिखा था।
इसी पर नीदरलैंड के सांसद गीर्ट विल्डर्स ने भी ट्वीट किया था कि अगर इस्लामिक फासिस्ट तालिबान आपके अवलोकनों का समर्थन कर रहे हैं, तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपने बहुत कुछ गलत बोला है!
इस बात पर सोशल मीडिया पर भी लोगों ने आपत्ति व्यक्त की थी कि कैसे उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्तियों के व्यक्तिगत अवलोकनों को आतंकी संगठन द्वारा सराहा जा सकता है और यह देश की कैसी छवि प्रस्तुत करता है?
तालिबान के इस प्रतिबन्ध के निर्णय के बाद लोगों ने फिर से अपना क्षोभ व्यक्त करते हुए प्रश्न किया कि क्या जज साहब इसके लिए भी नुपुर शर्मा उत्तरदायी है?
इस नए प्रतिबन्ध के बाद जहाँ लोगों के अपने अपने कई प्रश्न हैं, वहीं भारत के लोग इस बात पर भी हैरानी व्यक्त कर रहे हैं कि मुस्कान (बुर्का गर्ल) के समय भारत को नसीहतें तालिबान देता है, नुपुर शर्मा के मामले में भारत को आँखें तालिबान तरेरता है और अपने देश में अपनी औरतों और बच्चों के साथ दिन ब दिन अत्याचार कर रहा है और औरतों, बच्चों के प्रति संकुचित यौनिक दृष्टि रखने वाला तालिबान जब देश के उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्तियों में व्यक्तिगत अवलोकनों पर सकारात्मक टिप्पणी करता है तो दुःख तो होता ही है!
एवं यही दुःख, यही क्षोभ तथा यही विवशता एक बार फिर twitter पर देखने को मिली है!
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