आज केंद्र सरकार द्वारा इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति को कुछ ही दूरी पर बने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्वाला में विलीन कर दिया गया। हालांकि आज इस बात को लेकर विपक्षी दलों द्वारा राजनीतिक शोर भी मचाया गया कि 1971 के युद्ध एवं अन्य युद्धों के शहीदों की स्मृति में जल रही अमर जवान ज्योति को बुझाया जा रहा है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमर जवान ज्योति को लेकर ट्वीट के माध्यम से सरकार पर निशाना साधा और कहा
“बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!”
इस पर उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने ट्वीट किया कि,
जिन लोगों ने हमें कॉलेज में बताया कि भगत सिंह आतंकवादी थे,
जिन्होनें बालाकोट में भारतीय सेना पर प्रश्न उठाए,
जिन्होनें तब चीनियों के साथ गोपनीय बैठक की, जब हमारे सैनिकों पर डोकलाम में हमला हुआ
वह लोग राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में के साथ अमर जवान ज्योति के विलय पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं
यद्यपि राहुल गांधी के इस ट्वीट पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और लोगों ने कहा कि वह झूठ क्यों बोल रहे हैं?
भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी ने भी इस झूठ पर आवाज़ उठाते हुए कहा कि राहुल झूठ बोल रहे हैं, और उनकी पार्टी अपने ही सैनिकों के लिए कोई राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं प्रदान कर सकी या न ही वह बुलेट प्रूफ जैकेट्स दे सकी, और प्रधानमंत्री मोदी ने यह दोनों किये, और साथ ही आप तथ्य सही कीजिए, अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विलय किया गया है।
49 वर्षों से गणतंत्र दिवस के कमेंटेटर का कहना है कि इंडिया गेट युद्ध स्मारक को अंग्रेजों ने बनाया था। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सैनिकों की स्मृति में बना है जिन्होनें वर्ष 1947 से लेकर अब तक देश के लिए जीवन बलिदान किया है। अमर जवान ज्योति राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ विलय हो जाएगी।
वहीं सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुए रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू ने कहा कि सरकार द्वारा यह बहुत ही अच्छा निर्णय लिया गया है। शिफ्टिंग कोई समस्या नहीं है, परन्तु सम्मान वहीं पर होना चाहिए, जहाँ पर सैनिकों के नाम लिखे गए हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक एकमत्र स्थान है जहाँ पर सैनिकों का सम्मान होना चाहिए।
गौरतलब है कि इण्डिया गेट का निर्माण अंग्रेजों ने वर्ष 1931 में कराया था। इसे ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1914 से 1921 के बीच उनके लिए प्राण गंवाने वाले भारतीय सैनिकों की याद में बनवाया था। वर्ष 1914 से वर्ष 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध में और वर्ष 1919 में तीसरे एंग्लो अफगान युद्ध में अस्सी हजार से अधिक भारतीय सैनिक शाहीद हुए थे।
इन सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए ही इंडिया गेट का निर्माण किया गया था।
बाद में वर्ष 1971 के युद्ध के उपरांत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर बलिदान हुए 3483 सैनिकों की स्मृति में अमर जवान ज्योति जलाने का निर्णय लिया गया था।
अब इस ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विलय कर दिया गया है।
इसीके साथ एक और निर्णय सरकार द्वारा लिया गया।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज घोषणा करते हुए कहा कि अभी भारत नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125 वीं जन्म शताब्दी मना रहा है, तो मैं इंडिया गेट पर इंस्टाल की जाने वाली ग्रेनैत की विशाल मूर्ति को इंस्टाल किए जाने को लेकर बहुत खुश हूँ। यह उनके प्रति भारत की कृतज्ञता का प्रतीक है।
सरकार के इस निर्णय की भी बुद्धिजीवियों ने प्रशंसा की है। प्रोफ़ेसर कपिल कुमार ने कहा कि नेताजी सुभाष बोस – आईएनए ट्रस्ट की ओर से मोदी जी को नेताजी की मूर्ती इंडिया गेट पर इंस्टाल करने के लिए हम आभार व्यक्त करते हैं।
मेजर जनरल बख्शी ने भी इस निर्णय का पक्ष लिया
मिशन नेताजी की ओर से भी इस निर्णय की प्रशंसा की गयी और इस सपने को साकार करने के लिए उनका धन्यवाद व्यक्त करते हैं। हम इस दिन का कई वर्षों से इंतज़ार कर रहे थे
इन दो निर्णयों से भारत में एक ऐसी चेतना का प्रस्फुटन हुआ है, जिसके लिए लोग कई वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे थे। इंडिया गेट पर सुभाष चन्द्र बोस जी की प्रतिमा लगाने को लेकर लिब्रल्स की कुंठा बाहर निकलने लगी। सुभाष चन्द्र बोस जी पर पुस्तक लिखने वाले अनुज धर ने लिब्रल्स का मीम शेयर करके कहा कि मिर्ची लगनी शुरू हो गयी।
यह दोनों ही निर्णय ऐसे निर्णय हैं, जिनकी प्रतीक्षा देश कर रहा था और यह भारत की अनौपनिवेशिक स्वतंत्र पहचान को लेकर है!