इन दिनों राहुल गांधी चीन के मामले पर बार सरकार को घेर रहे हैं और हर बार सरकार और सेना राहुल गांधी के झूठ को नकार रही है! परन्तु वर्ष 2013 में यूपीए की सरकार में सलमान खुर्शीद ने चीन की ओर से की गयी घुसपैठ को “चेहरे के मुंहासे” जैसा मामला कहा था और कहा था कि यह तो होता ही रहता है।
वर्ष 2013 में लद्दाख की देपसंग घाटी में चीनी घुसपैठ को तत्कालीन विदेश मंत्री ने कहा था कि “ऐसी घटनाएं चेहरे पर आने वाले मुंहासे की तरह होती हैं, जिन्हें हलके से ओइंमेंट से ठीक किया जा सकता है!” उस समय राहुल गांधी ने घुसपैठ पर तो मुंह खोला ही नहीं था, बल्कि घुसपैठ को मुहांसे जैसी बात कहने पर सलमान खुर्शीद से भी कुछ नहीं कहा था। परन्तु अब ऐसी क्या बात है कि वह चीन के झूठे एजेंडा को ही आगे बढ़ा रहे हैं?
हर बीतते दिन देश के विपक्ष का वह झूठ सामने आता जा रहा है, जिसके बहाने वह देश को घेरने का प्रयास निरंतर कर रहा है। परन्तु बार बार उनका झूठ बाहर आ रहा है। साल के आरम्भ में चीन ने एक प्रोपोगैंडा वीडियो जारी किया और जिसमें यह था कि उनके सैनिक गलवान पर अपना नया साल मना रहे हैं। और इस वीडियो के आधार पर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को घेरते हुए प्रश्न किया कि
गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है।
चीन को जवाब देना होगा।
मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!
परन्तु बार बार चीन पर विश्वास करने और अपनी सरकार को घेरने के चक्कर में राहुल गांधी ने सच्चाई सामने आने का भी इंतज़ार नहीं किया। राहुल गांधी सहित पूरा विपक्ष इस हद तक सत्ता पाने के लिए बेचैन है कि अब वह चीन के प्रोपोगैंडा पर चलने लगे हैं और उन्हीं मुद्दों पर शोर मचाते हैं, जैसा चीन चाहता है। बार बार वह चीन के प्रोपोगंडा को ही आगे बढ़ाते हुए दिखाई देते हैं।
राहुल गांधी के इस झूठ पर बहुत शोर मचा! क्या राहुल गांधी अब सत्ता के इस हद तक जाल में फंसे हुए हैं कि चुनावों के माध्यम से नहीं बस चीन के प्रोपोगैंडा से जीत चाहते हैं। परन्तु सेना ने उनके इस झूठ का मुंहतोड़ उत्तर देते हुए 4 जनवरी को गलवान से ही तस्वीर जारी की
जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार दोबारा आई है, तभी से इस सरकार को लेकर समूचा विपक्ष झूठ फैला रहा है। और यह झूठ साधारण झूठ नहीं है। यह झूठ देश की संप्रभुता को लेकर फैलाया गया झूठ है। बार बार देश की सेना, देश की संप्रभुता पर प्रश्न उठाए जाते हैं और एक ऐसा एजेंडा चलाया जाता है जिससे देश का अपमान हो। जैसा इस घटना में देखने को मिला है।
भारत में सरकार का अर्थ कांग्रेस ही मान लिया गया था, और उसमें भी मात्र नेहरू परिवार। नेहरू परिवार से जुड़े लोगों को ही सरकार चलाने का अधिकार है, और वही चला सकते हैं, ऐसी धारणा अब तक बनी हुई थी। जो भी सरकारे अभी तक नेहरू गांधी परिवार से इतर बनी थीं, उन्हें या तो छल प्रपंच रचते हुए गिरा दिया गया था, या फिर नरसिम्हा राव की सरकार की उपलब्धियों पर भी कोई इसलिए बात नहीं करता है, क्योंकि उससे नेहरू-गांधी परिवार की कथित उपलब्धियां कम हो जाएँगी।
लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु अभी तक देश भूला नहीं है और अभी तक वह मानता है कि यह ह्त्या ही थी। नेहरू-गांधी परिवार के सामने जिसने भी अपना राजनीतिक कद बनाने का प्रयास किया, उसे हर प्रकार से नीचा दिखाया गया, फिर चाहे वह लाला बहादुर शास्त्री हों, पीवी नरसिम्हा राव हों, चंद्रशेखर हों, अटल बिहारी वाजपेई हों या अब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हों!
जब 2014 में भारत में श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी थी, तो कांग्रेस पोषित बुद्धिजीवियों सहित चीन एवं अन्य शत्रु देशों को यही लगा था कि यह जनता का गुस्सा था मनमोहन सरकार के प्रति, तो अगले चुनावों तक शांत हो जाएगा और अगले चुनावों में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार आ जाएगी। परन्तु ऐसा नहीं हुआ और वर्ष 2019 में देश की जनता ने मोदी सरकार को अभूतपूर्व जीत दिलाई।
तब से जारी है षड्यंत्र
जैसे ही 2019 में मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई थी, तभी से षड्यंत्रों के नए दौर आरम्भ हो गए थे। चीन पोषित वामपंथी लेखक सन्न रह गए थे कि ऐसा कैसे हो सकता है? इसी क्रम में कई प्रोपोगैंडा चलाए गए और दुर्भाग्य की बात यही है कि देश का विपक्ष अब राजनीतिक लड़ाई को चीन द्वारा बनाए गए नकली वीडियो के आधार पर लड़ने लगा है।
जब उसे कोरोना के समय देश की जनता के साथ खड़ा होना चाहिए था, तब वह उस वीडियो को लेकर सरकार और सेना को घेर रहा था, जिसका स्रोत नहीं पता था और अब जाकर पता चला है कि वह वीडियो नकली था और उसे चीनी कलाकारों ने फिल्माया था।
चीन की सोशल मीडिया साईट weibo के यूजर्स के अनुसार सीसीपी ने चीनी अभिनेता “वू जिंग” और उसकी पत्नी जो खुद भी कलाकार है, और टीवी होस्ट है “शी नान” के साथ मिलकर झंडा लहराने वाले आयोजन को फिल्माया और जहाँ पर यह शूटिंग की गयी थी वह अक्साई चीन के चीन द्वारा नियंत्रित क्षेत्र से लगभग 28 किलोमीटर अन्दर है।
इन यूजर्स के अनुसार 24 दिसंबर को यह कार्यक्रम किया गया गया था और इसे पूरा होने में चार घंटे लगे थे और इसे 1 जनवरी 2022 को रिलीज़ किया गया था।
परन्तु यह भारत का दुर्भाग्य है कि भारत का विपक्ष चीन और चीनी कलाकारों द्वारा फैलाए गए झूठ पर विश्वास करता है और अपने सैनिकों पर नहीं! ऐसा आज तक कहीं भी नहीं हुआ कि राजनीतिक दलों का विरोध करते करते राजनीतिक दल देश के विरोध में चले जाएँ, पर भारत का विपक्ष यही है!