दीपावली आदि पर अपने हिन्दू विरोधी वक्तव्यों के कारण चर्चा में रहने वाली अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को ईरानी महिलाओं पर लिखी गयी एक पोस्ट के चलते कट्टर इस्लामिस्ट तत्वों ने घेर कर सहिष्णुता और असहिष्णुता की परिभाषा पूरी तरह से बता दी है । प्रियंका चोपड़ा अपने सेक्युलर के प्रमाणपत्र का नवीनीकरण कराने के लिए हिन्दू पर्वों पर आक्रमण करती रहती हैं, एवं इतना ही नहीं वह तो ऐसा शो भी कर चुकी हैं, जिसमें हिन्दू आतंकवादी दिखाया गया है।
मगर अब जो प्रियंका चोपड़ा के साथ हुआ है, उससे उन्हें समझ में आ गया होगा कि आखिर कौन असहिष्णु मानसिकता का है, कौन है, जो केवल अपनी बात चाहता है। ताजा मामला यह है कि प्रियंका चोपड़ा ने उस मामले पर अपने मत व्यक्त किए, जिसके विषय में आम बॉलीवुड अभिनेत्रियाँ मौन रही हैं, केवल एक ही अभिनेत्री की आवाज आई थी और वह भी ईरानी अभिनेत्री की!
वह मामला है ईरान में हिजाब के चलते हो रहे शोषण का। ईरान में हिजाब को लेकर जो लडकियां विरोध कर रही हैं, उन पर वहां की सरकार के द्वारा जमकर अत्याचार किए जा रहे हैं। इस विषय में मौन पर भारत की अभिनेत्रियों सहित भारत की फेमिनिस्ट आदि पर भी तमाम प्रश्न उठ रहे हैं।
प्रियंका चोपड़ा ने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर हिजाब के मामले में लड़ाई लड़ रही महिलाओं के पक्ष में अपने मत व्यक्त करते हुए लिखा कि
“ईरान और दुनिया भर में महिलाएं विरोध कर रही हैं और अपनी आवाज़ उठा रही हैं, सार्वजनिक रूप से अपने बाल काट रही हैं और महसा अमिनी के पक्ष में अपनी बात रखते हुए कई अन्य तरीकों का प्रयोग कर रही हैं! यह वही महसा अमीनी थीं, जिन्हें अल्पायु में ही ईरानी नैतिकता पुलिस ने ‘गलत तरीके से’ हिजाब पहनने के चलते क्रूरता से नष्ट कर दिया। जबरन चुप्पी के युगों के बाद जो आवाज़ें बोलती हैं, वे ज्वालामुखी की तरह फूटेंगी! और अब इसे और आगे नहीं होना चाहिए। ”
प्रियंका ने आगे लिखा कि “मैं आपके साहस और उद्देश्य से हैरान हूं। पितृसत्तात्मक व्यवस्था को चुनौती देना और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना, अपनी जान जोखिम में डालना आसान नहीं है। लेकिन, आप साहसी महिलाएं हैं जो हर दिन ऐसा कर रही हैं, चाहे खुद की कीमत कुछ भी हो। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस आंदोलन का स्थायी प्रभाव होगा, हमें उनकी पुकार सुननी चाहिए, मुद्दों को समझना चाहिए और फिर अपनी सामूहिक आवाज के साथ जुड़ना चाहिए।”
मगर प्रियंका चोपड़ा यह भूल गयी थीं कि उन्होंने जिन महिलाओं के विषय में लिखा है, वह ऐसी महिलाएं हैं, जिनके साथ उनके मजहब की ही महिलाऐं नहीं हैं। भारत में राना अयूब जैसी औरतें ईरान की उन औरतों के साथ हैं ही नहीं बल्कि वह तो इस मामले पर एकदम मौन हैं।
बल्कि प्रियंका चोपड़ा पर यह आरोप लगा कि वह अपने देश में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों पर नहीं बोलती हैं।
प्रियंका चोपड़ा यह भूल गयी थीं कि वह हिन्दुओं के विरुद्ध नहीं बोल रही हैं, वह एक ऐसे मामले पर बोल रही हैं, जिस विषय पर लिब्रल्स और इस्लामिस्ट एकदम मौन होने के साथ ही उन लड़कियों की मौत को भी सामान्य मान रहे हैं।
अलजज़ीरा में ऐसे कई कट्टरपंथी तत्वों की पोस्ट को साझा किया गया है, जिन्हें प्रियंका चोपड़ा का इस विषय पर बोलना पसंद नहीं आया। नई दिल्ली की नाबिया खान, जो कविताएँ और एक्टिविज्म का काम करती हैं, उन्होंने अलजज़ीरा से बात करते हुए कहा कि भारतीय सेलेब्रिटी को अपने देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर बोलना चाहिए। नाबिया ने लिखा कि
“उनके पास बोलने की जिम्मेदारी और आवाज है लेकिन वे दूसरी तरफ देखना पसंद करते हैं। भारतीय हस्तियां देश के बाहर होने वाली किसी भी चीज पर टिप्पणी करने में समय नहीं लगातीं- जो सही तभी है, अगर वे भारत में जो कुछ हो रहा है, उस पर आंखें नहीं मूंद रहे हैं,
नाबिया के अनुसार प्रियंका चोपड़ा जैसे लोग भारत की छवि ऐसी बनाते हैं, जहाँ पर कुछ भी गलत नहीं हो रहा है।
प्रियंका चोपड़ा की इस पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों की भीड़ जुट गयी और लोगों ने कहा कि प्रियंका चोपड़ा उमर खालिद पर नहीं बोलती हैं,
वहीं कुछ लोगों ने कहा कि प्रियंका चोपड़ा ने अपने देश में उन औरतों के विषय में बात नहीं की, जो हिजाब पहनने के मूल अधिकार के लिए लड़ रही हैं:
लोग इस बात को लेकर बहुत गुस्सा हैं कि आखिर प्रियंका चोपड़ा ने यह कहा क्यों नहीं कि लडकियां हिजाब पहनने के लिए सही संघर्ष कर रही हैं:
और जब प्रोपोगैंडा हो और उसमें राना अयूब न हों ऐसा हो नहीं सकता है। राना अयूब ने अल जज़ीरा में कहा कि “ये सेलेब्रिटीज अपने देश में देश द्वारा आयोजित हिंसा में चुप रहते हैं। इनका एक्टिविज्म बेकार है!”
मगर राना अयूब जैसी औरतें उन मामलों पर एकदम मौन रहती हैं, जब उनके समुदाय के कट्टरपंथी हिन्दुओं को जानबूझकर निशाना बनाते हैं, वह लव जिहाद में फंसने वाली लड़कियों के विषय में मौन रही हैं और उनकी चुप्पी की सूची तो बहुत लम्बी है।
इस घटना से यह तो प्रियंका चोपड़ा को समझ आ गया होगा कि वह अपना एक्टिविज्म केवल हिन्दू समुदाय के साथ कर सकती हैं, क्योंकि यह बात न्यायालय द्वारा ही कही गयी है कि हिन्दू धर्म सबसे सहिष्णु है
परन्तु यह हिन्दू धर्म की विडंबना है कि उसका सहिष्णु होना ही उसका सबसे बड़ा अभिशाप जैसा बन गया है क्योंकि इसकी आड़ में ही लोग न जाने क्या क्या कह जाते हैं!