उत्तर प्रदेश में चुनाव है और चुनावों के दौरान हर पार्टी प्रचार कर रही है। मगर इन चुनावों के दौरान जो सबसे हैरान करने वाला वीडियो सामने आया है वह है एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी का पुलिस वालों को संबोधित करते हुए वीडियो। उसमें हालांकि संबोधन पुलिस को किया गया है, परन्तु कहीं न कहीं वह जैसे पूरे हिन्दू समाज को ही आगाह कर रहे हैं कि मोदी और योगी हमेशा नहीं रहेंगे, फिर क्या होगा? फिर कहाँ जाओगे?
इस वीडियो में ओवैसी कह रहे हैं कि मैं तो उन पुलिस वालों से यह कहना चाहता हूँ कि याद रखो इस बात को कि हमेशा योगी मुख्यमंत्री नहीं रहेगा, हमेशा मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेगा, और हम मुसलमान वक्त के कारण खामोश हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग वक्त का इंतज़ार कर रहे हैं, और हम लोग तुम्हारे हर जुल्म को याद रखेंगे। अल्लाह तुम्हें अपनी ताकत के बल पर नेस्तनाबूत करेगा, उन्होंने फिर धमकी जैसी देते हुए कहा कि हालात बदलेंगे, और तब कौन बचाने आएगा तुमको, जब योगी अपने मठ में चले जाएंगे और मोदी पहाड़ों में चले जाएंगे, तब कौन आएगा!
इस विषय में नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है, भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है
यह वीडियो सामने आते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है क्योंकि यह पुलिस वालों को धमकी दी जा रही है। और एक और प्रश्न पूछा जाना चाहिए कि क्या वास्तव में पुलिस मुस्लिमों पर अत्याचार कर रही है या मुस्लिम माफियाओं पर की जा रही कार्यवाही से ओवैसी गुस्सा हैं?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जिस प्रकार से माफियाओं के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्यवाही हुई है, वह कहीं न कहीं लोगों के दिल में मुख्यमंत्री के प्रति सम्मान उत्पन्न करती है तो वहीं वह यह आश्वासन भी देती है कि अब वह सुरक्षित है। क्या ओवैसी को इससे समस्या है?
हाल ही में मेरठ में कबाड़ माफिया पर जो कार्यवाही हुई थी,, वह किसी न न सोची थी और न ही यह अपेक्षा की थी कि यह कार्यवाही भी हो सकती है। मेरठ में सोतीगंज में चोरी की गाड़ियों को काटने का जो काम किया जाता था, उसके विषय में सभी को पता था, परन्तु किसी भी सरकार ने उस पर कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं की थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह कदम उठाया और इसका उल्लेख हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में किया था।
उन्होंने कहा था कि कहीं गाड़ी की चोरी होती थी तो कटने के लिए मेरठ के सोतीगंज ही आती थी। दशकों से ऐसा ही चला आ रहा था। ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों के पास हिम्मत नहीं थी। लेकिन ये काम दमदार योगी की सरकार और प्रशासन ने किया है।”
तो क्या यह मानकर चलें कि ओवैसी चाहते हैं कि ऐसे माफियाओं को पकड़ा न जाए?
लव जिहाद में भी पहला निर्णय आया
परसों ही हिन्दू लड़कियों को नाम बदलकर फंसाए जाने वाले षड्यंत्र वाले मामले में पहला निर्णय आया है। 21 दिसंबर को कानपूर के एक युवक को दस साल की कैद और तीस हजार रूपए के जुर्माने की सजा सुनाई गयी है। और यह मामला नया नहीं था,बल्कि 15 मई 2017 का था, जब जूही थाना क्षेत्र की कच्ची बस्ती में रहने वाली किशोरी को जावेद नामक एक मुस्लिम युवक ने हिन्दू नाम रखकर प्रेम जाल में फंसा लिया था। और जबरन शरीरिक सम्बन्ध बनाए थे।
इस मामले में निर्णय आया है।
क्या ओवैसी चाहते हैं, कि पुलिस कोई कार्यवाही न करे? इस वीडियो के आते ही लोग गुस्सा हैं और ट्विटर पर ओवैसी को गिरफ्तार करने का ट्रेंड चला रहे हैं। पर यह सभी जानते हैं कि ओवैसी के इस भड़काऊ वीडियो पर भी उसी तरह आँखें मूँद ली जाएँगी जैसे पहले मूंदी जाती रही हैं, हां उसका बचाव करने के लिए जरूर “हरिद्वार में आयोजित” धर्म संसद के कुछ वीडियो दिखा दिए जाएँगे। जबकि हरिद्वार में जिन्होनें जो भी कहा वह किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं और न ही चुने हुए सांसद हैं! जब चुना हुआ सांसद, जिसने संविधान की शपथ ली होती है, वह एक संवैधानिक संस्था पुलिस को धमकाता है और उस पर लिबरल समाज मौन साध जाता है, यह दुःख का विषय है!
खैर यह भारत है, जहाँ पर मुस्लिम लीग को चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता होती है, जबकि चुनाव आयोग कहता है कि रिलिजन का प्रयोग चुनावों के लिए नहीं हो सकता है। यह भारत है जहाँ पर मंदिर के एक कर्मचारी की मृत्यु के संदेह के मामले में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को दीपावली की रात में गिरफ्तार कर लिया जाता है और कश्मीर में मस्जिदों से गूंजते थे हिन्दुओं को भगाने के नारे, तो पूरे देश में चुप्पी थी।
ऐसे ही ओवैसी के इस भड़काऊ भाषण पर चुप्पी है और रहेगी!