spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
22.1 C
Sringeri
Thursday, April 25, 2024

मणि शंकर अय्यर के अनुसार यदि मुगलों ने नहीं किए धर्म के नाम पर अत्याचार तो टूटे मंदिरों की श्रृंखला क्यों है? सिरों की कटी हुई मीनारों की तस्वीरे क्यों हैं?

राहुल गांधी के हिन्दू और हिंदुत्व और सलमान खुर्शीद द्वारा हिन्दुओं को कोसे जाने के बाद अब मणिशंकर अय्यर सामने आए हैं और उन्होंने मुगलों को लेकर अलग ही राग छेड़ दिया है। उन्होंने यहाँ तक दावा कर दिया है कि मुगलों ने धर्म के नाम पर कभी भेदभाव नहीं किया है। मुगलों के प्रति वैसे तो कांग्रेस का प्रेम जवाहर लाल नेहरू के समय से झलकता है, जब उन्होंने अपनी पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया में ही मुसलमानों को हर पाप से मुक्त कर दिया था।

उन्होंने मंदिर तोड़ने वाले गज़नवी को ही कला और साहित्य का संरक्षक बता दिया था और बहुत ख़ूबसूरती से छिपा ले गए थे कि गजनवी ने कितने मंदिर तोड़े थे। चूंकि मंदिर उनके लिए मात्र एक बुतखाना ही हैं, इसलिए उन्हें मंदिरों का दर्द नहीं होता है और हिन्दू तो इस देश में किसी की प्राथमिकता हैं ही नहीं। तभी मुगलों द्वारा स्वयं अपनी आत्मकथाओं से लिए गए सन्दर्भों को भी कोई राजनेता नहीं बताना चाहता है।

मणिशंकर अय्यर द्वारा यह कहा जाना कि बाबर यहाँ पर आया और केवल चार साल रहा, मगर उसे भारत पसंद नहीं आया, क्योंकि यहाँ पर तरबूज नहीं था आदि आदि, पर फिर भी उसने यही सोचा कि अब वह यहाँ से नहीं जाएगा। यह बेहद बेवकूफी वाली बात है। बाबरनामा पढने पर कई बातें ज्ञात होती है। राणा सांगा के साथ युद्ध के समय बाबर ने हिन्दुओं के सिरों की मीनारें बनाई थीं और लिखा था कि

“हिन्दू अपना काम बनाना मुश्किल देखकर भाग निकले, बहुत से मारे जाकर चीलों और कौव्वों का शिकार हुए, उनकी लाशों के टीले और सिरों के मीनार बनाए गए।  बहुत से सरकशों की ज़िन्दगी खत्म हो गयी जो अपनी अपनी कौम से सरदार थे। ”

राणा सांगा के साथ युद्ध में हिन्दुओं का कत्लेआम करने के बाद बादशाह ने फतहनामे में खुद को गाजी लिखा है! (गाजी माने इस्लाम के लिए काफिरों का कत्ले आम करने वाला)

ऐसा नहीं था कि केवल हिन्दू मरे ही थे, हिन्दुओं की सेना ने मरते हुए बाबर की सेना के हजारों सैनिकों को मौत के घाट उतारा था

“फिर बादशाह ने उस पहाड़ के ऊपर जिसके नीचे वह लड़ाई हुई थी, हिन्दुओं के सिरों का वह मीनार उठवाया और उस जगह से चलकर 2 कूच में ब्याने पहुंचे।  बयाना क्या अलर और मेवात तक हिन्दू और मुसलमान बहुत से रस्ते में मरे पड़े थे। ”

परन्तु अब एक अजीब नैरेटिव रचा जा रहा है कि बाबर को केवल योद्धा बताया जाए जो केवल लड़ने के लिए आया था और जिसका उद्देश्य अपना राज्य स्थापित करना था, उसका मजहब से कोई लेना देना नहीं था।

और बाबर के अय्याश एवं क्रूर बेटे हुमायूं को अफीमची कहकर उसके प्रति एक सहानुभूति की लहर पैदा करने का प्रयास इतिहासकार ही नहीं साहित्यकारों द्वारा भी किया जा रहा है। न जाने कितने समय तक हुमायूँ और रानी कर्णावती की कहानी को रक्षाबंधन पर सुनाया जाता रहा। जबकि इतिहास में यह तथ्य के रूप में स्थापित है कि हुमायूं जानते बूझते रानी कर्णावती की सहायता के लिए नहीं आया था क्योंकि उसके लिए इस्लाम जरूरी था।

एस के बनर्जी, अपनी पुस्तक हुमायूँ बादशाह में हुमायूँ और बहादुरशाह के बीच हुए पत्राचार के विषय में लिखते हैं:

कि बहादुरशाह ने हुमायूँ को लिखा कि

चूंकि हम लोग इंसाफ और ईमान लाने वाले हैं, तो जैसा पैगम्बर ने कहा है कि “अपने भाइयों की मदद करो, फिर वह जुल्म करने वाले हों या फिर पीड़ित।” (पृष्ठ 108)

और उसके बाद उसने लिखा कि “खुदा के करम से जब तक मैं इस वतन का मालिक हूँ, कोई भी राजा मुझे और मेरी सेना को चुनौती नहीं दे सकता है।”

यह सलाह दी जाती है कि आप इस पर काम करें “शैतान आपको राह न भटकाए”

हुमायूँ ने कर्णावती का पत्र पाकर भी साथ नहीं दिया था और बख्तवार खान के मिरात उल आलम के अनुसार बहादुरशाह ने ही हुमायूँ से कहा था कि वह चित्तौड़ पर किए जा रहे हमले से दूर रहे और हुमायूँ इस पर सहमत हुआ और उसने अपने मुस्लिम होने का प्रमाण देते हुए एक काफिर राज्य की मदद नहीं की।

जबकि यही अफीमची और अय्याश हुमायूं, अपनी जान बचाकर भाग गया था और उसकी बेटी खो गयी थी, जिसमें उसने चाह की थी कि काश वह मर जाती।

उसके बाद हुमायूं के बेटे अकबर को तो भारत का अब तक का सबसे महान शासक घोषित कर ही दिया है इतिहासकारों ने। और यह बात छिपा ली है कि उसने अचेत हेमू का क़त्ल कर गाजी की उपाधि धारण की थी। इसके साथ ही अकबर ही वह अय्याश था जिसने हरम को संगठित रूप प्रदान किया था!

इस्लामिक जिहाद, अ लीगेसी ऑफ फोर्स्ड कन्वर्शन, इम्पीरियलिज्म एंड स्लेवरी में (Islamic Jihad A Legacy of Forced Conversion‚ Imperialism‚ and Slavery) में एम ए खान अकबर के विषय में लिखते हैं बादशाह जहांगीर ने लिखा है कि मेरे पिता और मेरे दोनों के शासन में 500,000 से 6,00,000 लोगों को मारा गया था। (पृष्ठ 200)

अय्याश, निकम्मे और औरत खोर जहाँगीर को इश्क का मसीहा बनाकर न केवल इतिहासकारों ने बल्कि फिल्म निर्माताओं ने पेश किया किया है, कौन भूल सकता है “मुगले-आजम” की सलीम अनारकली को? कोई नहीं!

और शाहजहाँ को आधिकारिक रूप से स्वर्ण युग इतिहासकारों ने लिख दिया है, जबकि वह कितना अय्याश था, यह उसकी मौत के विवरण से पता चलता है।

केवल औरंगजेब को क्रूर बताया गया है, क्योंकि उसके अत्याचार ऐसे थे कि छिप नहीं सकते थे और उस समय कई ऐसी हिन्दू शक्तियाँ मुखर थीं जो औरंगजेब के लिए खतरा थीं, और औरंगजेब को चुनौती दे रही थीं। छत्रपति शिवाजी और छत्रसाल तो थे ही, इसके साथ ही  कई छुटपुट विद्रोह भी हिन्दू चेतना का प्रमाण दे रहे थे।

इसलिए औरंगजेब को तो थोडा बहुत क्रूर दिखाने के लिए विवश हुए हैं, इतिहासकार और कथित साहित्यकार, परन्तु वह भी कई शर्तों के साथ।

मणिशंकर अय्यर एकमात्र ऐसी आवाज नहीं हैं, जिन्होनें मुगलों का महिमामंडन किया है, बल्कि यह तो कांग्रेस का अधिकारिक स्टैंड ही है क्योंकि इसे डिस्कवरी ऑफ इंडिया में जवाहर लाल नेहरू ही लिख गए हैं कि गजनवी केवल योद्धा था, इस्लाम को उसने अपने अत्याचारों के लिए ढाल बनाया।

और इसी लाइन पर वामपंथी और कांग्रेसी दोनों ही चले हैं और क्लीन चिट दी है उस मजहबी कट्टरता को, जिसने करोड़ों हिन्दुओं का खून बहाया है और अब तक बहा रहे हैं!  

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.