भारत के सुपरस्टार एवं कथित महानायक की अभिनेत्री एवं सपा से राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने अपनी नातिन अर्थात अपनी बेटी श्वेता की बेटी नव्या के साथ बात करते हुए बहुत ही चौंकाने वाली बात की। उन्होंने कहा कि अगर नव्या बिना शादी के भी माँ बनती हैं तो भी उन्हें आपत्ति नहीं होगी। इस बात के बाद हंगामा मच गया है। परन्तु हंगामा इस बात को लेकर और मचना चाहिए जो उन्होंने यौन संबंधों को लेकर कही है। क्योंकि वही बात है जो सम्बन्धों को विकृत रूप में प्रस्तुत करती है।
उन्होंने यौन सम्बन्धों को एक्सपेरिमेंट कहा! उन्होंने अपनी नातिन से बात करते हुए कहा कि ““लोगों को यह मेरे द्वारा आपत्तिजनक लगेगा लेकिन शारीरिक आकर्षण और अनुकूलता भी बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे समय में हम प्रयोग नहीं कर सकते थे लेकिन आज की पीढ़ी करती है और उन्हें क्यों नहीं करना चाहिए? क्योंकि यह भी लंबे समय तक चलने वाले रिश्ते के लिए जिम्मेदार होता है। अगर कोई शारीरिक संबंध नहीं है तो यह बहुत लंबे समय तक चलने वाला नहीं है। आप प्यार और ताजी हवा और समायोजन पर टिके नहीं रह सकते, मुझे लगता है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।”
यह बहुत ही खतरनाक सोच है, जो हिन्दू लड़कियों को ही विशेषकर लक्षित है क्योंकि यह हिन्दू धर्म ही है, जहाँ पर धार्मिक शिक्षा कम है, कम क्या हैं शून्य सम है! मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि हर सम्प्रदाय में उन्हें उनके मतों के अनुसार शिक्षा की स्वतंत्रता है, जबकि हिन्दू धर्म में कथित थोपी गयी समानता का इतना बड़ा जाल है कि लड़कियां स्वयं को उस समानता का हिस्सा मान बैठती हैं, जो दरअसल उन्हें गुलामी की लम्बी जंजीर में बांधती है।
यह जो “दैहिक प्रयोग” की बात जया बच्चन कर रही हैं, यह देह की गुलामी का पहला चरण है, जिसमें वह फंसती जाती हैं
देह के साथ अनगिनत सम्बन्धों के माध्यम से प्रयोग? यह विचार ही स्वयं में उबकाई लाने वाला है। और जो बिना शादी के बच्चा होगा, उसका भविष्य क्या होगा? और साथ ही जया जब इतने लम्बे कथित सुखद वैवाहिक जीवन के बाद अफ़सोस जैसा व्यक्त करती हुई कहती हैं कि
“”कभी-कभी यह अफ़सोस की बात होती है, लेकिन बहुत सारे युवा, निश्चित रूप से, हम कभी नहीं सोच सकते थे, हम इसके बारे में सोच भी नहीं सकते थे, लेकिन मेरे बाद भी युवा पीढ़ी, श्वेता की पीढ़ी, नव्या की एक अलग ही लेवल की है, और वह लोग इस अनुभव के दौरान खुद को दोषी मांगेंगे, तो मुझे लगता है कि यह बहुत गलत है। अगर आपका शारीरिक संबंध था और आपको लगता है कि फिर भी, मेरा रिश्ता नहीं चल पाया तो भी आप ब्रेक अप के बाद ठीक से रह सकते हैं!”
जया क्या बात कर रही हैं? जया कौन से समय की बात कर रही हैं? और जया हिन्दू लड़कियों को कैसा भविष्य दिखा रही हैं? आज के समय में ब्रेक अप होना बहुत आम बात है, आज के समय में ही नहीं बल्कि पहले भी प्रेम सम्बन्ध टूटते ही थे! हाँ, तब प्रेम की परिभाषा पवित्रता के दायरे में थी और दैहिक नहीं थी। प्रेमी अपनी प्रेमिका की देह को तभी स्पर्श करना चाहता था, जब वह विवाह की डोर में बंध जाएं! प्रेमी के लिए प्रेमिका का सम्मान उसके प्राणों से बढ़कर होता था!
न जाने कितनी ही ऐसी कहानियाँ हैं, जिनमें प्रेम एक खट्टी मीठी याद बनकर लोगों के साथ रहा। परन्तु हर किसी के साथ सोया ही जाए, यह प्रेम का कैसा रूप कथित सेलेब्रिटी दिखा रही हैं और वह कहीं न कहीं भी अपनी अतृप्त यौन इच्छाएं या अपनी कुछ और इच्छाएं अपनी बेटियों या नातिनों के माध्यम से पूरी करना, यह बहुत बड़ा नैतिक पतन है!
रिवा अरोड़ा की माँ पर भी ट्विटर पर आरोप लगे!
हम सभी को उरी फिल्म की वह बच्ची याद होगी जो अपने पिता को अंतिम प्रणाम करते हुए रो रही थी। वही बच्ची जिसकी उम्र उसकी माँ के अनुसार कक्षा दस में पढने वाली बच्ची जितनी है तो यूजर्स ने उसे 12 से 14 वर्ष की कहा था, उसका हाल का वीडियो बहुत ही उकसाने वाला एवं भद्दा था। वैसे वह वीडियो एक प्रेम गीत है, परन्तु वह गीत इसलिए आपत्तिजनक है क्योंकि इसमें मीका और रिवा अरोड़ा की उम्र में जमीन आसमान का अंतर है। मिका सिंह की उम्र लगभग 45 वर्ष है तो रिवा अरोड़ा अभी बच्ची है। जहां नेटिजन उसे 12 वर्ष का बता रहे हैं तो वहीं उसकी माँ उसे कक्षा दस में पढने वाली बता रही हैं, मगर लोगों ने कहा कि चाहे कक्षा दस में ही क्यों न पढ़ रही हो, वह अभी नाबालिग ही है!
परन्तु फिर भी यह ऐसा विषय है, जिस पर बात की जानी चाहिए कि क्या कक्षा दस में पढने वाली बच्ची इस प्रकार का कामुक अभिनय कर सकती हैं? क्या इसे सामान्य बनाया जाना चाहिए?
एक यूजर ने रिवा की माँ पर आरोप लगाते हुए यह तक कहा था कि उसकी माँ उसकी उम्र छिपा रही हैं
इसीके साथ रिवा के कई वीडियो भी लोगों ने साझा किए थे, जिसमें बच्ची रिवा कामुक अदाओं के साथ सामने आ रही हैं।
सबसे दुखद यह है कि नव्या एवं रिवा कहीं अपने बड़ों की कुंठाओं का शिकार तो नहीं हो रही हैं, इस पर चर्चा के स्थान पर नव्या और रिवा के बहाने यह विमर्श उत्पन्न किया जा रहा है कि लड़कियों का किशोरावस्था में कामुक अदाएं दिखाना या फिर यौन सम्बन्ध बनाना अपराध नहीं है। यदि लडकियां उस उम्र पर कामुक अदाएं दिखा सकती हैं या फिर यौन सम्बन्ध भी स्थापित कर सकती हैं एवं यहाँ तक कि जया बच्चन के अनुसार बिन ब्याहे माँ भी बन सकती हैं, तो फिर ऐसे में सही उम्र पर विवाह से क्या आपत्ति है?
क्यों हमारी लड़कियों के सामने विवाह को खलनायक बनाकर प्रस्तुत कर दिया है, तो वहीं नव्या और रिवा जैसी लड़कियों एवं उनकी नानियों तथा माँ के बहाने विवाह पूर्व यौन सम्बन्धों तथा कामुक वीडियों के सामान्यीकरण का विमर्श चल रहा है? विमर्श में बहुत शक्ति होती है, तथा अभी तक देह की आजादी प्रकार की चीजें मात्र साहित्य का हिस्सा थीं, मात्र कुछ बंद कमरों का विषय होती थीं, अब उन्हें जया बच्चन जैसी औरतों के द्वारा आदर्श बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है, जैसे कि यदि यह नहीं किया गया कि समाज पिछड़ जाएगा!
फ़िल्मी सितारों की बेटियों के उभारों को जानबूझकर उभारकर तस्वीरें एवं वीडियो साझा किए जाते हैं, जैसा कि हाल ही में हमने शाहरुख की बेटी सुहाना खान या फिर अजय देवगन की बेटी के दीवाली पार्टी के फोटो देखे. एक नकली मुस्कान एवं एक नकली देहयष्टि जनता के सामने परोसी जाती है, उसका महिमामंडन किया जाता है, जिसे देखकर हमारी बेटियों के दिल में भी वही होने का सपना उभरने लगता है! एवं यह सपना उन्हें अंतत: एक ऐसी अंधी सुरंग में लेकर जाता है, जिसमें प्रवेश तो सुगम है, परन्तु निकास नहीं है! जो कृत्रिम जीवन वह जीते हैं, वही जीवन हमारे बच्चों को देते हैं!
जया बच्चन एवं रिवा अरोड़ा एक ऐसा विष हमारी बेटियों के लिए बो रही हैं, जो इसलिए घातक है क्योंकि वह कथित आधुनिकता, कथित आजादी, कथित समानता के नाम पर हमारी बेटियों के दिमाग में भरा जा रहा है, यह विष कथित “आजाद फेमिनिज्म” के नाम पर भरा जा रहा है, जिसकी अंतिम मंजिल कहीं न कहीं अवसाद, आत्महत्या, देरी से विवाह, यौन रोग एवं धर्मपरिवर्तन तथा निकाह हो सकते हैं, जैसा हमने कुख्यात फेमिनिस्ट कमला दास के मामले में देखा, जो अंतत: मरने से पहले सुरैया हो गयी थीं!
हिन्दू लड़कियों के दिमाग के साथ खेला जा रहा है क्योंकि हिन्दुओं से ही यह कहा जाता है कि यह सबसे खुला हुआ धर्म है, इसमें कोई नियम नहीं हैं, पहले भी बिनब्याही माएं हुआ करती थीं आदि आदि, और फिर कुंती का उदाहरण दिया जाता है! परन्तु क्या यह संभव है कि धर्म को समझे बिना, हिन्दू धर्म की अवधारणाओं को समझे बिना कुंती, शकुन्तला आदि के उदाहरण द्वारा किसी विषय का सामान्यीकरण किया जाए?
कथित सहिष्णुता के बहाने हर प्रकार की विकृति को धर्म पर लादने की एक शीघ्रता सभी को रहती है, फिर चाहे कितने भी विमर्श विकृत हो जाएं! जया बच्चन की यह पंक्ति कि अब नई पीढ़ी प्रयोग कर सकती है तथा रिवा अरोड़ा की माँ का यह कहना कि उनकी बेटी कक्षा दस की छात्रा है, विषैले प्रयोगों का वह छिड़काव है, जिसका निशाना हमारी बेटियाँ हैं, हमारी लडकियां हैं, हमारे परिवार हैं एवं अंतत: हमारा धर्म है!