अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करते हुए उसके नेता अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-क़ुरैशी को मार गिराया। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा कि।
“बीती रात मेरे निर्देश पर अमेरिकी सेना ने सफलता पूर्वक इस विश्व के लिए एक बड़े सुरक्षा खतरे को मिटा दिया: आईएसआईएस का वैश्विक नेता। हम अपनी सेना की बहादुरी को सलाम करते हैं और अब वह दुर्दांत आतंकवादी इस दुनिया में नहीं है”
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि “हमारे सैनिकों की बहादुरी का कारनामा है कि हमने उत्तर-पश्चिम सीरिया में अमेरिकी नागरिकों और अपने सहयोगियों की रक्षा के लिए इतना बड़ा कदम उठाया और युद्ध के मैदान में इस्लामिक स्टेट के नेता अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-क़ुरैशी को मार कर इस दुनिया को और सुरक्षित कर दिया। मैं आज सवेरे इस मुद्दे पर अमेरिकी लोगों को संबोधित करूंगा। ईश्वर हमारे सैनिकों की रक्षा करे।”
पाठकों को स्मरण होगा कि यह वही व्यक्ति था जो सिंजर की पहाड़ियों में यजीदी नागरिकों के कत्लेआम के लिए जिम्मेदार था। एंडीकिम ने इस विषय में ट्वीट करते हुए लिखा कि
बीती रात हमारी सेना ने आईएसआईएस के वैश्विक नेता अबू इब्राहिम अल हाशमी अल कुरैशी को मार गिराया। आपको इसका नाम नहीं पता होगा, परन्तु यही व्यक्ति है जो सिंजर की पहाड़ियों में यजीदी नरसंहार के लिए जिम्मेदार था।
वहीं इसका विरोध भी होने लगा है क्योंकि सेना के इस हमले में 13 आम नागरिक मारे गए हैं, और उनमें छह बच्चे और चार महिलाऐं हैं।
वहीं अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार इस्लामिक स्टेट के नेता ने खुद को बम से उड़ा लिया, जिसने उसे और उसके परिवार के कई सदस्यों की जान ले ली
बगदादी के बाद वही आईएसआईएस प्रमुख था।
यह भी बहुत ही विरोधाभासी है कि जब आतंकवादी निरीह और निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं, तब मरने वालों के कोई अधिकार नहीं होते, उनपर लोग कम आंसू बहाते हैं, तो वहीं आतंकवादियों के साथ रहने वाले यदि आतंकवाद विरोधी अभियानों का शिकार होते हैं, तो उनके लिए सहानुभूति उत्पन्न की जाने लगती है।
भारत में भी यही दोहराया जाता है। जब कश्मीर में या कहीं और पर इस्लामी आतंकवादी हमला करते हैं, लोगों को अपनी मजहबी कट्टरता का शिकार बनाते हैं, तब तो बहुत शोर नहीं मचता है, परन्तु जैसे ही कोई आतंकवादी पकड़ा जाता है तो उसके मानवाधिकार की बातें आरम्भ हो जाती हैं। इतना ही नहीं भारत में तो आतंकवादियों के लिए रात में भी न्यायालय खुलवाने की प्रक्रिया को देखा गया है।
वहीं रेडियो पाकिस्तान ने एक ट्वीट किया कि यूनाइटेड नेशंस ने सीरिया में अमेरिकी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों पर चिंता जताते हुए जांच की बात की है।
देखना होगा कि भारत में उन लोगों की इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है, जिन्होनें बाइडन के चुने जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की थी, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि बाइडन प्रेम और सौहार्द की बातें करेंगे और जो वैश्विक हिंसा है उसका समाधान वार्ता से निकालेंगे, ट्रंप जैसे उन्मादी वक्तव्य नहीं देंगे।
अब जब बाइडन ने इतना बड़ा कदम उठाया है और उसमें स्पष्ट है कि 13 और लोग मारे गए हैं, तो ऐसे में भारत के कथित लिब्रल्स की प्रतिक्रिया क्या होगी यह देखना रोचक होगा!