भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच का अर्थ होता है कि एक जंग, एक लडाई और ऐसी लड़ाई जिसमें नमाज से लेकर हिन्दुओं पर अधिकार जैसी बातें भी शामिल होती हैं। हम सभी के मस्तिष्क में विश्व कप के वह दृश्य अभी तक ताजा ही होंगे जिनमें पाकिस्तान की पुरुष टीम ने भारत की पुरुष टीम को दस विकेट से पराजित किया था और उसके बाद पूरे भारत में पकिस्तान प्रेमियों ने जो किया था, वह तो किया ही था, साथ ही पाकिस्तान की ओर से कई अजीबोगरीब तर्क आए थे, कि जैसे यह हिन्दुओं पर उनकी जीत है।
यहाँ तक कि वकार यूनुस तक ने यह कहा था कि रिजवान ने जिस प्रकार से मैदान में बैठकर नमाज पढ़ी थी, वह मैदान में एक अद्भुत मोड़ था, बहुत ही सुन्दर दृश्य था
हालांकि इस पर उनकी बहुत आलोचना हुई थी और एक समय के बाद जैसे सब थम गया, परन्तु रिकॉर्ड हो गया वह मजहबी जूनून, वह मजहबी नफरत! यह कि उन्हें हिन्दुओं से किस हद तक घृणा है। समय बीत जाता है, घाव रह जाते हैं। फिर उन घावों पर मरहम लगाने के लिए कोई नर्म हाथ आते हैं, वह स्पर्श बड़प्पन का स्पर्श होता है, वह स्पर्श महानता का स्पर्श होता है और वह स्पर्श हिन्दू भूमि भारत का स्पर्श होता है।
भारत द्वारा पाकिस्तान को जब खेल के मैदान में मात दी जाती है, तो उसमें कोई धार्मिक उन्माद नहीं होता, क्योंकि भारत अभी तक यह जानता ही है कि पाकिस्तान है तो उसी का हिस्सा। पाकिस्तान के साथ भारत का जो सम्बन्ध है वह एक ऐसे दर्द का सम्बन्ध है, जिसे एक बड़ा भाई या परिवार की वह परम्परा ही समझ सकती है, जिसने किसी अपने को खोया हो, या जो कट तो गया है, पर अधूरा है। क्योंकि हमारी संस्कृति और धर्म के कई पहचान चिन्ह तो वहीं रह गए हैं, जिनके बिना हम अधूरे हैं।
और यह दर्द चेतना का दर्द है, यह पीड़ा चेतना की पीड़ा है, इसे किसी ऊपरी आवरण से नहीं समझा जा सकता है।
भारत की महिला क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम को 107 रनों से पराजित किया
भारत की महिला क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम को पूरे 107 रनों से पराजित किया और वह विश्व कप की तालिका में टॉप पर पहुँच गयी है। भारत ने जहाँ पहले बल्लेबाजी करते हुए 245 रन बनाए थे तो वहीं पाकिस्तान की टीम इस स्कोर का पीछा करते हुए मात्र 137 रन ही बना सकी। मैच में भारत की ओर से जहाँ स्नेह राणा ने 53 तो वहीं पूजा वस्त्रकार ने 67 रन बनाकर अपनी टीम को तब उबारा जब मात्र 114 रनों पर 6 विकेट गिर चुके थे।
वहीं पाकिस्तान की टीम की ओर से पहला विकेट 28 रन पर गिरा और फिर वह सम्हल नहीं पाईं।
परन्तु कहानी उसके बाद की है
भारत की महिला टीम ने पाकिस्तान की टीम को परास्त किया, परन्तु ऐसा कुछ भी अपमानजनक नहीं कहा या किया, जिससे पाकिस्तान की महिला टीम को चोट पहुंचे। बल्कि मैदान के बाहर उन्होंने ऐसा कुछ किया जिसे देखकर लोगों को भारतीयों की सहज निश्छलता का अनुमान प्राप्त होगा।
पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम बिस्मा मारूफ अपने बच्चे के साथ ही गयी हैं, जो अभी मात्र छ महीने का है।
मैच के बाद जब वह सभी एक साथ थे, तो भारत की महिला टीम की खिलाड़ी उस बच्ची के साथ खेलती हुई दिखाई दीं
बार बार इस वीडियो को साझा किया जा रहा है।
इस सहज भाव की प्रशंसा हर कोई कर रहा है। फौजिया दुर्रानी ने लिखा कि, यह देखना बहुत शानदार है जिसमें भारतीय महिला क्रिकेट टीम पाकिस्तान की कैप्टन बिस्माह मारूफ और उसकी बेटी के साथ है
पाकिस्तान की ओर से कई लोग प्रशंसा में ट्वीट कर रहे हैं
पाकिस्तान से ही एक और यूजर ने कहा कि भारत की महिला क्रिकेट टीम का धन्यवाद कि उन्होंने इतना प्यार पाकिस्तान से क्रिकेटर और उसके बच्चे को दिया, यह शानदार भावना है:
यही भारत है, यही भारत की संस्कृति है, जिसमें वह आत्मसात करती है! वह सृजन को आत्मसात करती है। वह जीत के बाद पराजित पक्ष को लज्जित नहीं करती। वह जीत के बाद दूसरे पक्ष को स्नेह देती है! भारत जब जीतता है वह विश्व को स्नेह देता है, यही वह कर्म का सिद्धांत है जो श्रीमदभगवत गीता में श्री कृष्ण देते हैं, यही वह सिद्धांत है जिसके कारण भारत अभी भी भारत है, किसी मजहबी उन्माद का हिस्सा नहीं!
भारतीय टीम की इस भावना को और कुछ महीने पहले पाकिस्तान की पुरुष टीम की जीत के बाद उत्पन्न हुए उन्माद की तुलना कीजिये!
किसी को अपमानित नहीं किया गया है, न ही किसी महिला ने यह कहा कि “यह किसी विशेष धर्म की जीत है!”
हाँ, जीत है, उसकी प्रसन्नता तो है, परन्तु वह प्रसन्नता उस उल्लास से व्यक्त हो रही है, जो सहज स्नेह बनकर उस बच्ची पर बरस रहा है!