देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे मेरठ नगर में अवैध धर्मांतरण कराने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। एक सुनियोजित षड्यंत्र और विदेशी आर्थिक सहायता के उपयोग से मेरठ में 400 हिन्दुओं का जबरन धर्मांतरण करवाया गया है । पुलिस के अनुसार इस षड्यंत्र में एक एक विदेशी महिला भी सम्मिलित थी, जो गरीब हिन्दुओं को बहला-फुसलाकर और लालच देकर धर्मांतरण करवाती थी।
यह आश्चर्यजनक और दुखद मामला मेरठ के थाना ब्रह्मपुरी क्षेत्र के मंगतपुरम क्षेत्र का है । इस गिरोह ने इस क्षेत्र के अत्यंत गरीब लोगों, कूड़ा बीनने वाले और जगह-जगह से कचरा बटोर कर अपना जीवनयापन करने वाले लोगों को निशाना बनाया और उनका धर्मांतरण कर दिया । पीड़ित लोगों के अनुसार कोरोना काल में इनके काम-धंधे बंद हो गए थे और इनके खाने के लाले पड़ गए थे। ऐसे में कुछ ईसाई रिलिजन से सम्बंधित कुछ लोग उनके पास आये और उन्हें खाने पीने की वस्तुयें भी दी गईं।
धर्मांतरण गिरोह ने इन लोगो के बच्चों के लिए शिक्षा और अच्छी नौकरी लगवाने का वचन भी दिया, और जब एक बार विश्वास अर्जित कर लिया, तब इन्होने अपने काले कारनामे करने शुरू कर दिए। इन लोगों ने बस्ती में ही एक अस्थायी चर्च बनवा दिया, जहां प्रार्थना सभा करवाई जाती थी। इसके अतिरिक्त यह लोग हिन्दुओं को अपना धर्म छोड़ ईसाई रिलिजन अपनाने का दबाव डालने लगे। लेकिन हद तब हो गई जब उन्होंने मूर्ति पूजा और हिन्दुओं के त्योहारों का विरोध करना शुरू कर दिया। इससे व्यथित हो स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस से की और उचित धाराओं के अंतर्गत 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया।
दो भाइयों ने बनाया यह धर्मांतरण गिरोह
पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार यह गिरोह दो भाई अनिल मसीह और बसंत मसीह मिल कर चला रहे थे । इन दोनों ने 2015 में ईसाई रिलिजन अपना लिया था और तत्पश्चात वह पादरी अनिल और पादरी मुकेश के नाम से पहचाने जाने लगे। दोनों ने ईसाई रिलिजन अपनाने के पश्चात प्रचार करने और हिन्दुओं के धर्मांतरण करने के लिए अलग अलग शहरों की यात्रा कर रहे थे। उन्होंने कोरोना काल में सहायता के नाम पर गरीब हिन्दुओं से संपर्क किया, उन्हें लालच देकर प्रार्थना सभा में बुलाया गया और अंततः उनका धर्मांतरण कर दिया गया।
इस मामले में पुलिस अब तक 8 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिसमें 3 महिलाएं भी सम्मिलित हैं । वहीं गिरोह के मुखिया अनिल और बसंत इस समय फरार हैं। इनके अतिरिक्त एक विदेशी महिला का भी नाम सामने आ रहा है । दोनों ही भाइयों को विदेशों ने आर्थिक सहायता भी मिली थी। पुलिस इन दोनों भाइयों के बैंक खातो की भी जांच कर रही है, जिनमे इन्हे करोडो रूपए भेजे गए थे।
कोरोना महामारी के समय जब भुखमरी की नौबत आयी, तब इन भाइयों ने दिल्ली से एक अन्य पादरी महेश को सहायता करने के बहाने वहां पहुंचे । कुछ अन्य ईसाई लोगों ने लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था की। इसका लाभ उठा कर पादरी महेश ने कुछ हिन्दुओं को ईसाई रिलिजन स्वीकारने हेतु प्रेरित किया। इस गिरोह ने 400 हिन्दुओं का ना मात्र धर्म परिवर्तन किया बल्कि ईसाई समाज के युवकों से धर्म परिवर्तित लोगों की लडकियाें के विवाह भी करवा दिए।
स्थानीय लोगों और बजरंग दल ने गिरोह का भंडाफोड़ किया
पिछले ही दिनों इस गिरोह ने इन धर्मान्तरित किये गए लोगो को हिन्दू देवी देवताओं की पूजा करने, उनके चित्र घरों में रखने के लिए मना किया । पादरी उन्हें कहते थे कि ‘अब आप ईसाई हो गए हो, आप अब हिन्दू देवताओं की पूजा नहीं कर सकते।’
दीपावली के अवसर पर इस गिरोह के लोगों ने हिन्दुओं के घरों से देवताओं के छायाचित्रों को हटा कर उन्हें फाड डाला। इस अप्रत्याशित घटना से स्थानीय हिन्दुओं में क्रोध उत्पन्न हो गया, वहीं रहने वाले चैंपियन नामक युवक ने इस कार्यवाही का पुरजोर विरोध किया और पुलिस से संपर्क कर परिवाद प्रविष्ट किया। हिन्दुओं ने बजरंग दल की स्थानीय शाखा से भी संपर्क किया, उसके पश्चात बजरंग दल के दिलीप सिंह तथा सचिन सिरोही वहां पहुंचे, साक्ष्य जुटाए और पुलिस को सौंप दिए।
जांच में पुलिस की भूमिका संदिग्ध
धर्मांतरण का मामला सामने आने और हिन्दुओं द्वारा साक्ष्य दिए जाने के बाद भी स्थानीय पुलिस इस मामले पर गहनता से जांच की बजाय लीपापोती करने में लगी हुई थी। प्राथमिकी में नामजद लोगों को जेल भेजकर पुलिस इस मामले को निबटाना चाह रही है, लेकिन यह मामला उतना छोटा नहीं है। अगर इसकी गहनता से जांच की जाए तो एक बड़ा अंतर्राष्ट्रीय संगठित गिरोह उजागर हो सकता है, जो इस तरह हिन्दुओं को लक्षित कर अवैध धर्मांतरण का षडयन्त्र कर रहा है।
उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहाँ पर एक योगी का शासन है, कानून व्यवस्था भी अब पटरी पर आ रही है एवं अब हिन्दुओं की समस्याओं पर सुनवाई भी होने लगी है, तो वहीं ऐसे वातावरण में इस प्रकार का मामला आना अपने आप में एक ऐसा गंभीर विषय है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है!