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Friday, April 19, 2024

तीन हिंदू टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) कार्यकर्ताओं की मुस्लिम टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा हत्या?

पश्चिम बंगाल में एक और स्तब्ध करने वाली घटना सामने आई है, जिसकी चर्चा मुख्यधारा मीडिया में नहीं हो रही है, क्योंकि कहीं न कहीं यह एक ऐसी बहस को जन्म दे सकती है, जो सभी को असहज करेगी। वहां पर गोपालपुर ग्राम पंचायत सदस्य स्वपन मांझी समेत तीन हिंदू टीएमसी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है। घटना गुरुवार 7 जुलाई को दक्षिण 24 परगना जिले के कैनिंग में पीर पार्क के पास हुई। रिपोर्ट के अनुसार, मांझी की हत्या छह लोगों ने की। इसी घटना के अन्य दो शिकार झंटू हलदर और भूतनाथ प्रमाणिक हैं।

 कहा जा रहा है कि कथित तौर पर हमलावरों ने पहले तीनों पर एक देसी बम फेंका। इसके बाद स्वपन माँझी को दो और भूतनाथ प्रमाणिक को एक गोली मारी। गोलियाँ खत्म हो जाने पर उन्होंने झंटू हलदर को बेरहमी से काट डाला। एक आफताबुद्दीन शेख ने कथित तौर पर हत्यारों से कहा था कि इन पीड़ितों का क्या करना है? उसे शुक्रवार 8 जुलाई कुल्तुली थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया। रिपोर्ट बताती है कि हत्यारों ने तीनों पीड़ितों की हत्या करने के बाद उन सबका सिर धड़ से अलग करने की कोशिश की।

एफआईआर में छह लोगों  रफीकुल सरदार, बापी मोंडल, बसीर शेख, अली होसैन नस्कर, एबायादुल्लाह मोंडल और जलालुद्दीन अखंड को आरोपी नामित किया गया है।स्वपन माँझी के बड़े भाई मधु की शिकायत के आधार पर कैनिंग पुलिस में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

टीएमसी ने शुरू में इन जघन्य हत्याओं के लिए भाजपा पर दोष मढ़ने की कोशिश की। जवाब में, भाजपा ने सत्तारूढ़ सरकार के विधान पर पार्टी के भीतर फूट को ट्रिपल मर्डर केस का कारण बताया।आखिरकार तीन हिंदू टीएमसी पुरुषों की हत्या के तुरंत बाद यह पता चला कि हत्याओं का मुख्य आरोपी रफीकुल सरदार तृणमूल कांग्रेस का ही कार्यकर्ता है।

 “मेरे दोनो बेटे और पति टीएमसी कार्यकर्ता हैं। लेकिन वे स्वप्न मांझी से जुड़े हुए नहीं थे। वे दूसरे गुट के थे।” रफीकुल की मां आयशा सरदार ने बताया।

 भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने टिप्पणी की ,”अब यह स्पष्ट हो गया है कि यह टीएमसी की गुटबाजी थी। गुट अपने प्रभुत्व का प्रयोग करना चाहते थे और पंचायत चुनाव से पहले क्षेत्र पर नियंत्रण करना चाहते थे।”

 हालांकि टीएमसी का ऊपरी नेतृत्व अभी भी मुख्य आरोपी के टीएमसी सदस्य होने के दावों को खारिज करने की कोशिश कर रहा है।

 स्थानीय टीएमसी विधायक सोकत मोल्ला ने घोषणा की, “कैनिंग में रफीकुल के नाम से कोई पार्टी कार्यकर्ता नहीं है। असामाजिक तत्व हमारी पार्टी के सदस्य नहीं हो सकते।” फिर उन्होंने पूछा,”अगर रफीकुल टीएमसी का हिस्सा होते तो वह अपनी पार्टी के ही एक साथी नेता की हत्या क्यों करते ?”

 मोल्ला टीएमसी का एक मजबूत नेता है जिस पर पिछले साल के विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव ड्यूटी पर तैनात सीआरपीएफ कर्मियों पर हमला करने के लिए मुस्लिम भीड़ को उकसाने का आरोप है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार उसे फटकार लगाते हुए कहा था-” हिंसा और बम बनाने के अलावा आप और क्या काम करते हैं?” कोयला चोरी मामले में भी सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है।

 कोलकाता के मेयर और राज्य मंत्री फिरहाद हकीम ने रफीकुल की मां पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा- “इस तरह के बयान कोई भी दे सकता है। यह पता लगाना पुलिस का काम है और फिर अदालत फैसला करेगी। बीजेपी पश्चिम बंगाल में भी गुजरात की तरह हत्या की राजनीति शुरू करने की कोशिश कर रही है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।”

 पिछले साल हकीम ने बीजेपी और सीआईएसएफ को “सूअरों की संतान” कहा था। वह पहले भी सेना और केंद्रीय सुरक्षाबलों पर अभद्र टिप्पणी कर चुके हैं। 

वहीं दूसरी ओर, टि्वटर हैंडल @DilipGhoshOff द्वारा प्रकाशित एक वीडियो में पीड़ित परिवार को उनकी मौत पर विलाप करते और अधिकारियों को उनकी लापरवाही के लिए दोषी ठहराते हुए देखा जा सकता है।झंटू हलदर की माँ हंसी हलदर ने कहा कि राज्य में इस्लामवादियों ने उनके जीवन को नरक बना दिया है। वह कहती हैं कि उनका एक ही बेटा था जो पूरे परिवार के लिए रोजी रोटी कमाता था, और रफीकुल के लिए कड़ी सजा की मांग करती हैं। हंसी हलदर ने यह भी आरोप लगाया कि रफीकुल ने 108 हत्या की हैं और महिलाओं को भी परेशान करता है लेकिन हर बार वह जेल जाता है और तुरंत बाहर निकल जाता है।

 इन मजहबी कट्टरपंथियों ने पास के एक काली मंदिर को भी निशाना बनाया है।”अगर हम काली मंदिर के मैदान से गुजरते तो वह हम पर हमला करते हैं।” स्वपन मांझी ने हमेशा हिंदुओं पर इन हमलों का विरोध किया। वह बेसहारा महिलाओं की सहायता करते थे। उनके वहाँ होने से हम महिलाएँ सुरक्षित महसूस करती थीं। उन्होंने (रफीकुल के गिरोह ने) काली मंदिर पर बम फेंके हैं।क्यों ? उनकी भी तो मस्जिदें हैं। क्या हम कभी उनकी मस्जिदों पर बम फेंकने जाते हैं? हम सो नहीं पाते; हम बहुत डरे हुए हैं। पुलिस उन्हें कब गिरफ्तार करेगी? उन्हें फांसी क्यों नहीं दी जाती ?”

 मृतक टीएमसी कार्यकर्ता की मां द्वारा उठाए गए प्रश्न हिंदू नफरत को उजागर करते हैं जो पूरे तृणमूल कांग्रेस में व्याप्त हो चुकी है। जो पार्टी अपने हिंदू नेताओं को अपने इस्लामी सदस्यों से सुरक्षित नहीं रख सकती वह पश्चिम बंगाल के सभी हिंदुओं को कैसे सुरक्षित रखेगी ? क्या ऐसे अपराधियों को कभी न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और न्याय होगा ?

 मार्च में, एक प्रभावशाली मुस्लिम टीएमसी नेता की हत्या का बदला लेने के लिए बीरभूम जिले के रामपुरहाट में नौ टीएमसी कार्यकर्ता और उनके परिवार के सदस्यों, जिसमें आठ महिलाएँ और एक बच्चे को जिंदा जला दिया गया था। घटना के बाद फिरहाद हकीम ने दावा किया था कि यह पश्चिम बंगाल को बदनाम करने के लिए एक ‘राष्ट्रीय साजिश’ थी, जबकि पश्चिम बंगाल के डीजीपी ने कहा कि यह घटना ‘राजनीतिक’ प्रकृति की नहीं थी। बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने इस मामले में कई गिरफ्तारियां की जिनमें चार मुंबई भागे हुए अपराधी भी थे।

*अनुवाद – रागिनी विवेक अग्रवाल

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