भारत में कोरोना की दूसरी लहर में विदेशी मीडिया एवं मीडिया का एक विशेष वर्ग भारत की केंद्र की सरकार और भारत की वैक्सीन को असफल बताने पर तुल गया है। एवं इस वैश्विक महामारी में भारत सरकार के विरोध में लेख लिखने की होड़ लग गयी है, जबकि भारत की केंद्र सरकार ने पिछले ही वर्ष से इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं।
हाल ही में लांसेट (Lancet) में सम्पादकीय में लेख था India’s Covid 19 Emergency। तथा इसमें भी भारत सरकार की आलोचना ही की गयी है। फिर से इस सम्पादकीय में यही लिखा है कि भारत के स्वास्थ्य मंत्री ने यह घोषणा कर दी थी कि अब महामारी समाप्त हो गयी है एवं इस महामारी के विरोध वह युद्ध जीत चुके हैं। एवं इसमें प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना इस बात को भी लेकर की गयी है कि वह महामारी नियंत्रण करने के स्थान पर आलोचना मिटाने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
हाँ, इसमें भी लगभग हर रिपोर्ट की तरह कुम्भ को ही निशाना बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार ने धार्मिक उत्सव किये जाने की अनुमति की, जिसमें पूरे देश से लोग पहुंचे, और साथ ही विशाल राजनीतिक रैली भी की, जिनके कारण कोविड 19 फैला। इसके साथ ही इस्मने वैक्सीन योजना को लेकर भी चर्चा है एवं साथ ही सरकार किस प्रकार वैक्सीन लगाने की योजना बनाने में विफल रही, वैक्सीन की आपूर्ति नहीं है आदि के विषय में लिखा है।
इसी प्रकार एक और वेबसाईट है कन्वर्सेशन.कॉम, इसमें एक लेख कोविड 19 और भारत के विषय में है, जिसमें नरेंद्र मोदी सरकार को दोषी ठहराते हुए हिंदुत्व पर प्रहार किया गया है। इसमें सरदार पटेल की मूर्ति के निर्माण पर प्रश्न है साथ ही इसमें सेन्ट्रल विस्ता प्रोजेक्ट निर्माण को बेकार बताया गया है एवं साथ ही राम मंदिर पर प्रश्न है।
लिखा है कि “हिन्दू भगवान का एक विशाल मंदिर (राम मंदिर) अयोध्या में बन रहा है और यह अयोध्या में बन रहा है, जहाँ पर कई वर्षों से हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच भूमि का विवाद था। यह सर्वाधिक जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में बन रहा है। इस प्रदेश में चरम दक्षिण पंथी योगी आदित्यनाथ की सरकार है जो नरेंद्र मोदी की एक प्रतिलिपि हैं। राम मंदिर का निर्माण उस नैरेटिव का महत्वपूर्ण भाग है जो यह पुष्टि करता है कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है। इस मंदिर की नींव प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 5 अगस्त 2020 को रखी गयी थी, जो मोदी सरकार द्वारा मुस्लिम बहुमत वाले कश्मीर के राज्य का स्टेटस खोने और उनकी स्वायत्तता समाप्त करने की प्रथम बरसी थी।”
यहाँ पर इन शब्दों पर ध्यान देना आवश्यक है। इस लेख में निताशा क़ौल को समस्या किससे है? क्या यह लेख कोविड की त्रासदी पर है या फिर हिंदुत्व पर? राम मंदिर का निर्माण किस प्रकार कोविड के कुप्रबंधन से जुड़ा हुआ है। और जिन राज्यों में कोविड से मृत्यु के मामले सामने आए हैं, उनमें कौन से मंदिर बन रहे थे? इस विषय में लेखिका का ज्ञान शून्य है और हिन्दू विरोधी इस लेख की लेखिका निताशा कौल पिछले दो दशकों से लोकतंत्र, राजनीतिक अर्थव्यवस्था, पहचान, दक्षिण पंथी राष्ट्रवाद के उदय और फेमिनिस्म पर लिख रही हैं।
फिर इसी लेख में यह “भारत” के नाम से आपत्ति व्यक्त करती हैं। उनका कहना है “भारत (इंडिया के लिए हिंदी शब्द) इंडिया के लिए हिंदुत्व या हिन्दू राष्ट्रवादी का संस्करण एक देश के रूप में ही नहीं है बल्कि यह हिंदुत्व नैतिकता को इस प्रकार जोड़ता है कि यहाँ पर पश्चिमीकरण या उससे जुड़ी बुराइयां न रहें। मोदी स्वयं अपने विरोधियों को टुकड़े टुकड़े गैंग, स्यूडोसेक्लयुर और आन्दोलनजीवी कहते हैं।”
हालांकि वायर आदि में कई लेख प्रकाशित हैं, इसी नैरेटिव को लेकर। परन्तु प्रश्न इस बात को लेकर है कि इन्हें समस्या किससे है? समस्या कोविड कुप्रबंधन को लेकर है तो राज्य के मामलों के लिए केंद्र सरकार को दोषी क्यों ठहराया जा रहा है? और इस महामारी के सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक किसान आन्दोलन को दोषी क्यों नहीं ठहराया है?
लांसेट की रिपोर्ट पर प्रश्न उठाते हुए एक और वेबसाईट ईयूरिपोर्टर.को में एक लेख प्रकाशित हुआ है। इसमें कॉलिन स्टीवेंस ने कहा है कि लांसेट की हालिया रिपोर्ट जो भारत सरकार के कोविड 19 के प्रबंधन के चर्चा करती है, वह एक विकासशील देश की क्षमताओं को नीचा दिखाने के लिए बड़ी फार्मा लॉबी द्वारा किया गया एक और प्रयास है, जिससे वह इन देशों को अपनी वैक्सीन महंगे और मनचाहे दामों पर बेच पाएं।
इसमें लिखा गया है कि अभी तक भारत ने केवल रूस की स्पुतनिक वैक्सीन को ही अपने वैक्सीन अभियान में शामिल किया है और फाइजर एवं मॉडर्ना को इसलिए सम्मिलित नहीं किया गया है क्योंकि इनके रखरखाव के लिए बहुत ही कम तापमान अर्थात (-70 डिग्री सेंटीग्रेड) के तापमान की जरूरत होती है, एवं अभी तक कंपनी ने इसके लिए कोई भी ठोस योजना भारत सरकार के पास प्रस्तुत नहीं की है कि वह यह कैसे करेंगी।
आगे इसमें लिखा है कुछ वर्षों के दौरान भारत एक फार्मा निर्यात देश के रूप में उभरा है और यहाँ पर इसकी उत्पादन लागत में कमी आई है। भारतीय दवाइयां इन कारकों के कारण विकासशील देशों में काफी लोकप्रिय रही हैं।
और भारतीय वैक्सीन को नीचा दिखाने और उनके द्वारा रिक्त हुए स्थानों को भरने के लिए भारतीय वैक्सीन के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में नए नए लेख और रिपोर्ट लिखी जा रही हैं, और वैक्सीनेशन ड्राइव पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं एवं साथ ही भारत की उस क्षमता को नीचे करके आंका जा रहा है, कि वह अपने देश के नागरिकों के लिए वैक्सीन बना पाएगा।
विदेशी मीडिया में जिस प्रकार से हिन्दूफोबिया खड़ा किया जा रहा वह कहीं न कहीं इस बात की पुष्टि करता है कि इस महामारी के बहाने हिन्दू विरोधी पत्रकारों को एक अवसर मिला है और वह इस अवसर का हर प्रकार से लाभ उठा लेना चाहते हैं। नहीं तो कुम्भ पर तमाम प्रश्न उठाने वाले ईद पर एक भी प्रश्न करने से बचे है। किसान आन्दोलन के नाम पर जो भीड़ एकत्र हो रही है एवं जिस प्रकार से वहां से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, वह इन कथित हिन्दूफोबिया पैदा करने वाले पत्रकारों पर प्रश्न उठाते हैं कि आखिर सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, राम मन्दिर निर्माण से ही समस्या क्या है? दरअसल समस्या इन्हें भारत की हिन्दू पहचान से है और भाजपा के बहाने यह हिन्दुओं को कोस रहे हैं!
जबकि पंजाब के ही जालंधर में विश्व का चौथा सबसे बड़ा चर्च बन रहा है, उस पर कोई बात नहीं होती!
Ankur Narula is building 4th Largest church of World in Jalandhar Punjab , Capital of christian missionaries in North India….foreign church are funding this through Hawala #noconversion pic.twitter.com/VJVlfYgPZg
— No Conversion (@noconversion) November 2, 2020
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