भारत में कट्टरपंथी मुल्सिमों और लिब्रल्स का बाबर और औरंगजेब के प्रति प्रेम किसी से छिपा नहीं है। हिन्दुओं और पठानों के सिरों की मीनारें बनाने वाला बाबर और अपने ही बड़े भाई का कटा सिर कैद में अपने अब्बू को भेजने वाला औरंगजेब ही उन्हें अपना इतिहास और पहचान लगता है। जो भी कट्टरपंथी मुस्लिम शासकों के खिलाफ कुछ भी लिखता है तो वही उनके लिए एंटी-मुस्लिम है।
आज कथित रूप से फैक्ट चेक करने वाली ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक एवं कट्टर मुस्लिम मोहम्मद जुबैर ने कई वीडियो साझा किये। जिनमें एक वीडियो इस दावे के साथ साझा किया गया कि इस वीडियो में छोटे बच्चे और महिलाएं भी एंटी-मुस्लिम गानों पर डांस कर रही हैं। और यह सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल से है।
जबकि इस वीडियो में कहीं भी एंटी-मुस्लिम नहीं है, बल्कि यह कहा गया है कि रहीम और रसखान बनकर मुस्लिम रहें, बाबर और औरंगजेब बनकर रहेंगे तो काटकर रख देंगे! क्या मोहम्मद जुबैर को रहीम और रसखान की प्रशंसा नहीं दिखाई दी? क्या वह मुस्लिम नहीं हैं? यदि वह रहीम और रसखान को मुस्लिम मानते हैं तो इस वीडियो को मुस्लिम विरोधी कैसे और क्यों कहा गया?
यही बात लोग पूछ रहे हैं कि आखिर इस वीडियो में मुस्लिम विरोधी क्या है?
मोहम्मद जुबैर को इस वीडियो में क्या मुस्लिम विरोधी लगा यह समझ नहीं आ रहा है? बाबर ने जो भारत के साथ किया, वह उसने खुद ही बाबरनामा में लिखा है। बाबरनामा में उसने लिखा है कि
““अफगानों के खिलाफ हमने युद्ध किया और उन्हें हर ओर से घेर कर मारा। जब चारों ओर से हमला किया तो वह अफगान लड़ भी नहीं सके; सौ-दो सौ को पकड़ा गया। कुछ ही जिंदा आए, अधिकांश का केवल सिर आया। हमें बताया गया कि जब पठान लड़ने से थक जाते हैं, तो मुंह में घास लेकर अपने दुश्मन के पास जाते हैं कि हम तुम्हारी गायें हैं। यह रस्म वहीं देखी गयी है!” यहाँ भी हमने यह प्रथा देखी, हमने देखा कि अफगान अब आगे नहीं लड़ सकते हैं तो वह मुहं में तिनका रखकर आए। मगर जिन्हें हमारे आदमियों ने बंदी बनाया था, हमने उन सभी का सिर काटने का हुकुम दिया और उनके सिरों की मीनारें हमारे शिविरों में बनी गयी!”
*इसके अंग्रेजी अनुवाद में यह भी लिखा है कि एक कट्टर हिन्दू से तो गाय बन कर याचना करने से बच सकते थे, पर बाबर से नहीं!”
उसके बाद इसीमें बाबर ने लिखा है कि अगले दिन वह हंगू की ओर गया, जहाँ स्थानीय अफगान पहाड़ी पर एक संगुर बना रहे थे। उसने पहली बार इसका नाम सुना था। हमारे आदमी वहां गए, उसे तोड़ा और एक या दो सौ अफगानियों के सिरों को काट लिया और फिर मीनारें बनाई गईं!”
वर्ष 1527 में राणा सांगा के साथ युद्ध के बाद हिन्दुओं के कत्लेआम के बाद उसने गाजी की उपाधि धारण की थी। (गाजी माने इस्लाम के लिए काफिरों का कत्ले आम करने वाला) बाबरनामा में लिखा है कि
“हिन्दू अपना काम बनाना मुश्किल देखकर भाग निकले, बहुत से मारे जाकर चीलों और कौव्वों का शिकार हुए, उनकी लाशों के टीले और सिरों के मीनार बनाए गए। बहुत से सरकशों की ज़िन्दगी खत्म हो गयी जो अपनी अपनी कौम से सरदार थे। ”
यह तो है बाबर की बात, मगर औरंगजेब तो उससे भी कई कदम आगे था। औरंगजेब ने तो अपने भाइयों का क़त्ल करने के साथ-साथ अपने अब्बू को ही कैद कर लिया था और सबसे प्रिय बेटे दारा का सिर काटकर तोहफे में दिया था।
शिवाजी द ग्रांड रेबेल में डेनिस किनकैड ने पृष्ठ 213 पर लिखा है कि औरंगजेब हर रोज़ आगरा के किले की उस दीवार पर जोर जोर से ढोल नगाड़े बजवाता! जब शाहजहाँ के मरने की खबर नहीं आती तो वह फिर अगले दिन और तेज आवाज़ में ढोल नगाड़े, बजाने लगता। भीतर शाहजहाँ के कानों के पर्दे फटते रह जाते और फिर वह असहाय सा लेट जाता! और ऐसा एक या दो बरस नहीं बल्कि सात बरस चला।
डेनिस किनकैड के अनुसार शाहजहाँ को औरंगजेब ने कई बार जहर देने की कोशिश की, मगर मृत्यु नहीं हुई। डेनिस ने मानुकी के हवाले से लिखा है कि दरबार में दबी ज़बान से यह कहा जाने लगा था कि शाहजहाँ के पास उसकी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कनीज़ें जाती थीं।
जिस बाबर ने हिन्दुओं के सिरों की मीनार बनाई और जिस औरंगजेब ने हिन्दुओं पर चुन चुन कर जजिया के साथ और भी कर इसलिए लगाए थे जिससे हिन्दू परेशान होकर मुसलमान बन जाएं तो क्या हिन्दू अब इस बात को भी नहीं कह सकते कि अब बाबर और औरंगजेब बनकर आप हमें मार नहीं सकते?
यदुनाथ सरकार अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब, मेनली बेस्ड ऑन पर्शियन सोर्सेस में जजिया के विषय में लिखते हैं कि “औरंगजेब ने जब जजिया लगाया तो उसने दया याचना की ओर से आँखें फेर ली थीं और वह लोगों की यातनाओं की ओर से पूरा बहरा बन गया था। दक्कन में यह कर केवल बलात ही लिया जा सकता था, और विशेषकर बुरहानपुर में, मगर औरंगजेब विचलित नहीं हुआ और उसने नगर पुलिस को आज्ञा दी कि हर व्यक्ति से जबरन कर वसूले”
औरंगजेब ने जजिया के लिए हर प्रकार की छूट से इंकार कर दिया था”आप किसी भी कर से छूट दे सकते हैं: परन्तु जजिया से नहीं!” और इसके परिणाम क्या हुए थे: वह पढ़ें कि जजिया का क्या परिणाम हुआ, क्या यह आर्थिक था या धार्मिक? सर यदुनाथ सरकार लिखते हैं कि
“जिस प्रकार जजिया कर लगाया गया, उसका परिणाम यह हुआ कि हिन्दू अधिक संख्या में मुस्लिम बन गए क्योंकि जो गरीब लोग जजिया नहीं दे पाए वह कर से बचने के लिए मुसलमान हो गए। औरंगजेब का मानना था कि ऐसे अत्याचारों से हिन्दू अधिक से अधिक संख्या में मुस्लिम बनेंगे!”
यह बहुत ही दुःख की बात है कि भारत में मुस्लिमों का एक बहुत बड़ा वर्ग स्वयं को रहीम और रसखान जैसे उदार मुस्लिमों के साथ न जोड़कर बाबर और औरंगजेब के साथ जोड़ता है यही कारण है कि जब वह बाबर और औरंगजेब की बुराई को मुस्लिम विरोधी कहता है तो लोग पूछते हैं कि “भाई इसमें मुस्लिम विरोधी क्या है?”
लोग यही रिट्वीट कर रहे हैं कि जब मुहर्रम में मंदिर के सामने से जुलूस निकलते हैं तो मंदिर तो ऐसा नहीं करते, जबकि भाषा देखी जाए उन वीडियो की:
लोग यह भी पूछ रहे हैं कि भारत माता की जय कब से साम्प्रदायिक हो गया;
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भारत में कट्टर इस्लामी पत्रकार माहौल खराब करने के लिए सब कुछ करने के लिए जैसे तैयार हैं