ऐसा माना जाता है कि हिन्दू समाज दुनिया के सबसे अधिक शोषित और पीड़ित समाजों में से एक है। भूतकाल में सैंकड़ो वर्षो तक हिन्दू समाज ने उत्पीड़न सहा है, और दुर्भाग्य से अभी भी यह उत्पीड़न कम नहीं हुआ है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि हिन्दुओं का राजनैतिक और धार्मिक नेतृत्व इन विषयों पर एक असहनीय और सुविधाजनक सा मौन रखता है। ऐसा कम ही दिखता है जब हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर कोई चर्चा हो, उनके साथ हुए अन्यायों और उन्हें न्याय दिलाने के बारे में कोई गंभीर चर्चा हो।
ऐसे में डच सांसद गीर्ट वाइल्डर्स ने हिन्दुओं के शोषण के विषय को पुरजोर तरीके से उठाया है। उन्होंने हिन्दुओं के विरुद्ध हो रही हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है और नीदरलैंड सरकार से बांग्लादेश और भारत में हिंदुओं के विरुद्ध नस्लीय हिंसा पर उनके विचार जानने का प्रयास किया है। गीर्ट वाइल्डर्स ने अपनी सरकार को सम्बोधित करते हुए पूछा है, कि क्या आप बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए भयावह हिंसक हमलों से अवगत हैं? इस बारे में आपकी क्या राय है? क्या आप जानते हैं कि ये हमले मुसलमानों द्वारा किए जाते हैं? क्या आप जानते हैं कि बांग्लादेश में हिन्दुओं के घरों, पूजा स्थलों और दुकानों को ध्वस्त किया जा रहा है, जलाया जा रहा है?
गीर्ट ने संसद को यह भी बताया कि मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले पिछले कुछ वर्षों में बहुत बढ़ गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को पश्चिम के देशों में प्रचारित भी नहीं किया जाता है, इस कारण अधिकांश लोग इनके बारे में अवगत भी नहीं हैं। उन्होंने प्रश्न पूछा, “क्या आप इस बात से सहमत हैं कि यह आश्चर्यजनक है कि मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा अक्सर मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट की जाती है, लेकिन साथ ही मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं के विरुद्ध की गयी हिंसा को छुपा दिया जाता है?
मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं पर किये जा रहे अत्याचारों को कम प्रचारित किये जाने के प्रश्न पर जवाब देते हुए डच सरकार ने कहा, “यह कैबिनेट पर निर्भर नहीं है कि वह उस सापेक्ष आवृत्ति के बारे में निर्णय ले, जिसके साथ विशिष्ट हिंसा मीडिया में ध्यान आकर्षित करती है। जैसा कि बताया गया है, हर व्यक्ति को अपने दार्शनिक या धार्मिक विकल्प अपनाने के अधिकार डच मानवाधिकार नीति का एक महत्वपूर्ण भाग है। उस संदर्भ में, कैबिनेट अपराधियों की पृष्ठभूमि की चिंता किए बिना दुनिया भर में धार्मिक हिंसा की निगरानी करता है”।
गीर्ट ने कट्टर इस्लामी तत्वों द्वारा भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा को धमकी देने और उनका बहिस्कार करने जैसे विषयों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने पुछा कि क्या आपको साहसी नूपुर शर्मा याद, जिन्हे एक टेलीविज़न बहस में इस्लामिक तत्वों द्वारा उनके भगवान शिव का अपमान करके भड़काया गया था, बाद में उनके द्वारा पैगम्बर मोहम्मद के बारे में बताये गए कुछ तथ्यों के आधार पर धमकाया गया ? क्या आप मेरे विचार से सहमत हैं कि उन्हें सच बोलने के लिए आपराधिक आरोपों और धमकियों का सामना करना पड़ा? क्या आप नूपुर शर्मा के प्रति अपना समर्थन भारत सरकार को दिखाने के लिए तैयार हैं?
इसका उत्तर देते हुए नीदरलैंड सरकार ने कहा कि वह सुश्री नूपुर शर्मा द्वारा दिए गए वक्तव्यों से परिचित है और उनके विरुद्ध किये गए दुष्प्रचार और जान से मारने की धमकियों को दृढ़ता से अस्वीकार करती है। उन पर मुकदमा चलाने या नहीं चलाने का निर्णय भारतीय सरकार और न्यायपालिका पर निर्भर करता है। हमे ज्ञात है कि भारतीय न्यायपालिका ने उन्हें अस्थायी तौर पर गिरफ्तार नहीं करने की व्यवस्था कर दी है, साथ ही उन्हें उचित सुरक्षा भी प्रदान कर दी गयी है।
गीर्ट ने नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर राजस्थान के उदयपुर में कट्टर इस्लामिक तत्वों द्वारा कन्हैयालाल की हत्या का विषय भी उठाया। वह चाहते थे कि डच सरकार बांग्लादेश और भारत के हिंदुओं का खुलकर समर्थन करे। उन्होंने पुछा कि क्या आप हिंदुओं के विरुद्ध मुसलमानों द्वारा की जा रही हिंसा की खुलकर निंदा करने के लिए तैयार हैं? क्या आप भारत और बांग्लादेश दोनों की सरकारों से उनके देशों में हिंदुओं की बेहतर सुरक्षा के लिए निवेदन करने के लिए तैयार हैं?
गीर्ट ने बताया कि नीदरलैंड सरकार की कैबिनेट इस विषय से पूरी तरह अवगत है, और वह इस प्रकार की भयावह हिंसा को पुरजोर तरीके से विरोध करती है। उन्हें यह भी ज्ञात है कि इन घटनाओं की भारतीय राजनीतिक दलों ने एकजुट हो कर भर्त्स्ना की है। कन्हैयालाल की हत्या के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने कहा, ‘अपराधियों को हत्या के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर भारतीय आपराधिक कानून के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है, जिससे वह संतुष्ट हैं।
वहीं सरकार ने गीर्ट वाइल्डर्स को मिल रही जान से मारने की धमकियों की कड़ी निंदा करते हुए कहा, ‘धमकियां, खासकर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राजनेताओं को, अस्वीकार्य हैं और डच लोकतांत्रिक कानूनी व्यवस्था में उनकी कोई जगह नहीं है। “नीदरलैंड, सीधे और यूरोपीय संघ के माध्यम से, सभी व्यक्तियों के अधिकारों पर ध्यान देता है, चाहे वे किसी भी धर्म या पहचान के हों। हमारी सरकार सभी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता की रक्षा पर विशेष ध्यान देती है।
गौरतलब है कि गीर्ट वाइल्डर्स पहले भी भारत और बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ-साथ नूपुर शर्मा के समर्थन में सामने आ चुके हैं। उनका मानना है कि सांस्कृतिक सापेक्षवाद एक भ्रामक अवधारणा है, लोग समान हो सकते हैं, लेकिन संस्कृतियां समान नहीं होती हैं। मानवता और स्वतंत्रता पर आधारित संस्कृति असहिष्णुता और समर्पण पर आधारित संस्कृति से हमेशा अच्छी ही होती है।