समीक्षक-अरविन्द पथिक
अपनी रचनाओं में सत्य को स्वर देने का साहस बहुत कम रचनाकारों में होता है । हिंदी जगत की स्थिति तो और भी दयनीय है ।समकालीनो और वरिष्ठ लेखकों –आलोचको में व्याप्त ईर्ष्या,खेमेबाजी ,एक दूसरे को नीचा दिखाने और उपेक्षित कर देने की प्रवृत्ति को जानते हुए भी जब कोई रचनाकार ऐसा कुछ रचता है जो पूरी पीढ़ी को जगाने की ही नहीं, झिंझोड़ने की सामर्थ्य रखता है तो उस कृति का नाम–‘नेहा की लव स्टोरी’ और कृतिकार का नाम होता है ‘सोनाली मिश्रा’
‘इनफिडेल नेक्स्ट डोर’ पुस्तक की अनुवादक‘, ‘महानायक शिवाजी’ जैसे चर्चित उपन्यास की लेखक सोनाली मिश्रा’ का नवीनतम उपन्यास ‘नेहा की लव स्टोरी ‘ एक ऐसी समस्या के जड़ तक जाता है, जिसने हमारे समय को आशंकित और समाज को भयाक्रांत कर रखा है । जब लेखकों और साहित्यकारों का तथाकथित प्रगतिशील वर्ग ‘लव जिहाद ‘को न सिर्फ काल्पनिक अपितु आर एस एस जैसे दक्षिणपंथी संगठनों का प्रोपेगंडा मात्र घोषित करने में करीब करीब सफल हो गया हो ‘नेहा की लव स्टोरी ‘ इस कथित प्रगितिशील नैरेटिव को इतनी निर्ममता से तार तार करती है कि न सिर्फ ‘लव जिहाद’ बल्कि ‘भाषाई जिहाद’ की तुरपन भी पूरी तरह उधड जाती है ।
जिहादी बलात्कारियों के चंगुल से जान बचाकर भागती हुयी एक अनजान लड़की की विवशता और जीने की जिद से प्रारम्भ हुयी कहानी ‘नेहा की लव स्टोरी ‘के साथ आगे बढ़ते हुए जिस तरह से उर्जावान चर्चित टी वी पत्रकार नेहा और उसके प्रेमी अकरम के मनोभावों को चित्रित करते हुए आगे बढती है, उससे लेखिका की मानव मन को समझने की क्षमता के साथ साथ ,जिहादी सोच वालों द्वारा बारीकी से रचे जाने वाले षड्यंत्रों को सूंघ लेने की लेखिका की कुशलता भी परिलक्षित होती है ।किस तरह आँखों में इन्द्रधनुषी सपने सजाये छोटे शहरों से महानगरों में आने वाली लडकियाँ जरा सी सहानुभूति ,जरा से प्रेम और अपने धर्म की छोटी छोटी रुढियों और बुराइयों के चलते कब अपनी स्वतंत्रता,सम्मान , अपने माता पिता परिवार और अंत में अपना जीवन तक निरंतर गंवाती जा रही हैं इसे ‘नेहा की लव स्टोरी ‘जिस स्वाभाविकता और सहजता के साथ बताते चलती है, वह लेखिका सोनाली मिश्रा की विषय और मानव मनोविज्ञान पर उनकी पकड़ का प्रमाण है ।
‘लव जिहाद ‘के दुष्चक्र में फंसी लड़कियों को उनके माता पिता सहारा देने के बजाय उपेक्षित करके किस तरह जिहादियों का काम आसान कर रहे है, ‘नेहा की लव स्टोरी‘ इस ओर भी संकेत करती है ।
इस्लाम के आगमन के साथ ही जो जिहाद पहले केवल तलवार के जोर पर हो रहा था आज वह कितना बहुआयामी और संगठित हो गया है इसे ‘सुल्तान ‘जैसे शायर और बुद्धिजीवी अपनी कविताओं और आयोजनों से और अकरम जैसे युवा ‘परिंदा ‘जैसी संस्थाओ के माध्यम से कैसे निरंतर विस्तृत कर रहे है ,चित्रित करते हुए लेखिका ने बरसों से हो रहे सुनियोजित षड्यंत्रों को एक झटके में ही पूरा का पूरा उघाड़ कर रख दिया है ।
उपन्यास में घट रही घटनाएँ ऐसा लगता है मानों आज कल की ही और हमारे आस पास ही घटित हुयी लगती ,है ।जब कोई रचना अपने काल को जीने लगे तो उसे कालजयी होने से कोई नहीं रोक सकता ।सोनाली मिश्रा ‘नेहा की लव स्टोरी ‘में सिर्फ षड्यंत्रों को बेनकाब करके थम नहीं जाती बल्कि इन षड्यंत्रों से कैसे निपटा जाए इसका तरीका भी बताती है ।
उपन्यास का एक पात्र ‘विश्वास ‘सिर्फ नाम से ही ‘विश्वास’ नहीं है बल्कि कथित प्रगतिशील साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों के फेक नैरेटिव्स को एक दिन नेस्तनाबूद कर देने का ‘विश्वास’ जगाने वाला विश्वास है ।
जाग्रत चेतना के विश्वास ‘के आगे ‘जिहादी ‘षड्यंत्रों ‘के ‘सुल्तान’ कैसे दुम दबाकर भागते हैं ,चित्रित कर लेखिका ने परिवेश में व्याप्त अंधकार भीतर से आशा का दीपक प्रज्ज्वलित किया है ।
सोनाली मिश्रा का यह उपन्यास न सिर्फ बौद्धिक लड़ाई लड़ने के तरीके सुझाता बल्कि ‘लव जिहाद’ का शिकार हो जाने के बाद लडकियों को रेखा की तरह आग की लपटों में जलने की नहीं जिहादी ‘अकरमों’को उनके उचित अंजाम तक पहुँचाने की प्रेरणा भी देता है ।
बहुत कम लेखकों में अपने समय के संकट को कलमबद्ध करने की क्षमता होती है और उससे भी बहुत कम रचनाकारों में उस संकट को कहने का लिखने का साहस होता है ।’नेहा की लव स्टोरी ‘की रचनाकार में यह इस संकट को बताने की क्षमता और साहस कूट कूट कर भरा है ।
यों तो लेखिका ने छली गयी नेहा द्वारा छल से लिए गये प्रतिशोध के माध्यम से तमाम ‘नेहाओं’ को ‘अकरमों से निपटने का एक तरीका सुझाया है ।पर बेहतर होता लेखिका ऐसे अन्य रास्तों और तरीकों को भी तलाशने का प्रयास करती जो व्यावहारिक भी होते ।शायद उपन्यास की बढती हुयी पृष्ठ संख्या या किसी अन्य कारण से लेखिका ने इस संबंध में अन्य विकल्पो पर समुचित विचार नहीं किया ।मुझे लगत है कि अपनी आगामी कृतियों में लेखिका ऐसे समाधान खोजते समय अधिकतम संभव विकल्प प्रस्तुत कर पाठक को और अधिक जागरूक और शिक्षित करने में सफल होगी ।
गरुड प्रकाशन गुरुग्राम से पेपर बैक में प्रकाशित ‘नेहा की लव स्टोरी ‘के पेपर संस्करण का मूल्य 299/-मात्र है जो इस 220 पृष्ठ के उपन्यास के लिए उचित मूल्य है ।