रमजान के पाक महीने में जहां भारत में हिन्दुओं पर हमले करके उन्हें निशाना बनाया गया तो वहीं पड़ोसी अफगानिस्तान में जहाँ पर केवल मुस्लिम ही जनसँख्या है, वहां पर शियाओं को निशाना बनाया जा रहा है। जहाँ कुछ दिन पहले शिया समुदाय के स्कूल जाने वाले बच्चों को निशाना बनाया गया और जिसमें कई बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह विस्फोट किसी हिन्दू ने नहीं किये थे, वहां पर तो हिन्दू और सिख शायद अब इतिहास की पुस्तकों में भी मिलेंगे। फिर भी यह विस्फोट हो रहे हैं, शियाओं को मारने के लिए! कौन मार रहा है? कौन है उत्तरदायी?
एक यूजर ने इसके लिए देवबंदी विचार को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा कि
काबुल अफगानिस्तान में आत्मघाती हमलावरों द्वारा 30 शिया स्कूली बच्चों की हत्या कर दी गई थी। वे हिंदुओं द्वारा नहीं मारे गए थे। वे देवबंद की विचारधारा के आधार पर सुन्नी मुसलमानों द्वारा मारे गए शिया मुसलमान थे। क्या आप हिंदुओं और शियाओं के खिलाफ देवबंद और उसकी घृणित विचारधारा की निंदा करेंगे?
जो जावेद बेग नामक यूजर ने प्रश्न उठाया है, वह बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि कई लोग इस बात को उठाते हैं कि देवबंद की विचारधारा के आधार पर कट्टरता फैलती है। वह शियाओं और हिन्दुओं के खिलाफ जहर फैलाते हैं! देखने वाली बात यह है कि भारत में ऐसी कोई आवाज सामने नहीं आती है जो इस बात को उठाए कि दरअसल समस्या कहाँ पर है?
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पश्चिमी क्षेत्र में हाईस्कूल के पास लगातार तीन धमाके हुए। uयह विस्फोट हजारा समुदाय को निशाना बनाकर किए गए थे। लोग प्रश्न कर रहे हैं कि आखिर हजारा समुदाय ही क्यों इस सुनियोजित तरीके से किये जा रहे नरसंहार का निशाना बन रहा है?
हिन्दुओं के बीच बार बार वर्ग विभेद का विमर्श पैदा करने वाले अशराफ वर्ग के पास यह समय नहीं है कि वह शिया और सुन्नी के बीच जो यह विस्फोट हो रहे हैं, उन पर बात करें? अभी कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान में जब शिया समुदाय को निशाना बनाया गया था तो एक वीडियो में कहा गया था कि शिया मरा है, उसकी हिफाजत करना फर्ज है, क्योंकि वह जिम्मी बनकर हमारे मुल्क में रहते हैं, उनकी हिफाजत करना हमारा फर्ज है, पर उन्हें मुसलमान तो नहीं कह सकते न?
तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता सम्हालते ही हजारा शिया समुदाय का कत्लोआम शुरू हो गया था। एक यूजर ने शिया समुदाय के स्कूलों पर हमले के बाद कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सत्ता में कौन है, हजारा समुदाय का नरसंहार चलता रहता है:
आज शिया समुदाय की मस्जिद में धमाके से दहला अफगानिस्तान
अभी दो दिन पहले स्कूल पर हुए हमलों की आग ठंडी भी नहीं हो पाई थी कि शिया समुदाय की एक मस्जिद मजार-ए-शरीफ में धमाका हुआ और जिसमें कई लोगों के मरने की आशंका है।
उत्तरी अफगानिस्तान में 21 अप्रेल को एक-एक कर तीन धमाके हुए। उत्तरी अफगानिस्तान में एक मस्जिद में गुरुवार को एक विस्फोट हुआ, जिसमें कई लोग मारे गए। टोलो न्यूज़ के अनुसार पांच लोग मारे गए हैं, परन्तु twitter पर लोग मारे गए लोगों की संख्या कहीं अधिक बता रहे हैं। इससे पहले राजधानी काबुल में भी सडक के किनारे हुए विस्फोट में दो बच्चे घायल हुए थे।

लोग यह भी कह रहे हैं कि रमजान के महीने में हजारा समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि हजारा समुदाय को अभी ही निशाना बनाया जा रहा है। पहले भी हजारा महिलाओं को सेक्स स्लेव बनाया जाता था और वर्ष 1893 में एक घटना ऐसी हुई थी, जिसे हजारा समुदाय के लोग अभी भी याद रखते हैं। 47 हजारा महिलाएं सुन्नी अफगान सैनिकों के हाथों से बचने के लिए पहाड़ से कूद गयी थीं। और इन महिलाओं का आज भी सम्मान किया जाता है।

आज के धमाकों को लेकर विश्व समुदाय ने भी निंदा की है एवं हजारा समुदाय के साथ हो रहे इस अत्याचार को रोकने की मांग की है:
यह कहा जाता है कि पहले गैर मुस्लिमों को निशाना बनाने के बाद मुस्लिम आपस में ही कई फिरकों में लड़ाई करते हैं। यह मूलत: वर्चस्व की लड़ाई कही जा सकती है। जैसे पाकिस्तान बनाने में न ही शिया, अहमदिया और सुन्नी आदि का भेद देखा गया। परन्तु पाकिस्तान बनने के बाद पहले हिन्दुओं को निशाना बनाया गया और फिर उसके बादअहमदिया एवं उसके बाद शियाओं को।
जब पाकिस्तान में भी शिया समुदाय पर हमला हुआ था और लोग मारे गए थे, तो कई भारतीय यूजर्स ने सोशल मीडिया पर कहा था कि हिन्दुओं के खिलाफ सुन्नी और शिया दोनों एक होते हैं, परन्तु बाद में वह आपस में एक दूसरे का खून बहाते हैं।
आज हुए धमाकों पर लोग प्रश्न पूछ रहे हैं कि आखिर अफगानिस्तान में तो कोई भाजपा, बजरंग दल या विश्व हिन्दू परिषद नहीं है तो फिर वहां पर धमाके कौन करा रहा है और क्यों हो रहे हैं?
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच अमरोहा के जिला संयोजक ने ट्वीट किया कि
अगर आपकी मस्जिद के आगे कोई DJ बजाने लगे तो आप पत्थर बरसाने लगते हैं, दूसरी तरफ़ आप शिया समुदाय की मस्जिदों और दूसरी संस्थाओं को निशाना बनाते हैं।
हम अफगानिस्तान में हुए हमले की कड़ी निन्दा करते हैं।
इस प्रश्न का उत्तर तो अफगानिस्तान पर हुए इन हमलों पर रोने वाले सेक्युलर लोगों को देना ही होगा कि जब वहां पर सेक्युलर लोगों की प्रिय तालिबानी सरकार है तो ऐसे में कौन सी विचारधारा है जो आपस में ही एक दूसरे को मार रही है, एक दूसरे को नहीं बल्कि वहां के कथित अल्पंख्यक को? जो लोग बार बार यह कहते हैं कि इस्लाम समानता की बात करता है तो फिर हजारा समुदाय को निशाना क्यों? इस का उत्तर तो देना ही होगा कि वहां तो मस्जिद के सामने कोई डीजे नहीं बजा रहा तो वहां के बच्चों को निशाना क्यों बनाया जा रहा है?