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Friday, June 2, 2023

भाजपा नेताओं का विरोधियों के प्रति प्रेम और हिन्दू समर्थकों से दूरी: कारण क्या?

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा उन लोगों को इनाम देने की परम्परा पुरानी है जो भाजपा को कोसने के साथ साथ हिंदुत्व को भी कोसते हैं, जो गाय, गंगा आदि पर प्रश्न उठाते हैं। जिनके लिए आयुर्वेद एक झूठ है, संक्षेप में कहें तो वह एक औपनिवेशिक मानसिकता से भरे होते हैं, जिनके लिए हिन्दू होने का अर्थ पिछड़ा होना है।

मगर मजे की बात यही है कि यह लोग भाजपा के नेताओं को कोसते हैं, मगर इनका ईको सिस्टम इतना मजबूत होता है कि यह लोग हर सरकार में मजे करते दिखाई देते हैं। अभी उत्तराखंड में दिनेश मानसेरा वाला विवाद हल हो ही पाया था कि मध्यप्रदेश में भी हिन्दुओं से घृणा करने वाले एक व्यक्ति को ओएसडी बना दिया।

तुषार पांचाल, जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी का सोशल मीडिया अकाउंट देख रहे हैं, और वार रूम कम्युनिकेशन स्ट्रेटजीज प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक हैं और उन्होंने ही पिछले चुनावों में शायद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चुनावी अभियान सम्हाला था।

इसका अर्थ यह है कि वह भाजपा के साथ पहले से जुड़े हुए हैं। परन्तु शायद किसी अधिकारिक पद पर नहीं है। दिनांक 7 जून को जैसे ही उनके ओएसडी के पद पर नियुक्ति की सूचना आई और उन्होंने खुद ही इसकी घोषणा की थी, वैसे ही उनके पिछले कई ट्वीट घूमने लगे। सबसे पहले भाजपा नेता तजिंदर पाल बग्गा ने ट्वीट करके पूछा कि क्या ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है?

तुषार पांचाल के भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विषय में जो ट्वीट वायरल हुए हैं, वह सभी वर्ष 2014 के हैं, अर्थात तुषार ने बदलने माहौल को देखते हुए वर्ष 2015 में एक राजनीतिक वेंचर आरम्भ किया, जिसमें प्रशांत किशोर की तरह राजनीतिक परामर्श दिया जाता है, रणनीति बनाई जाती हैं। इसमें वह अपनी टीम बनाते हैं, जिनका झुकाव मात्र कंपनी में अपने पैसों के लिए होता है। क्या इनमें उस दल के लिए प्राथमिकताएं होती हैं? शायद नहीं!

खैर! ऐसा नहीं है कि तुषार पांचाल केवल नरेंद्र मोदी का विरोध करते हैं, वह दरअसल गाय, आयुर्वेद और यहाँ तक कि प्रभु श्री राम तक का विरोध करते हैं। एक बात समझ में नहीं आती है कि सांस्कृतिक जागरण की बात करने वाली भाजपा के सामने जब नियुक्ति या कार्य कराने के लिए विश्वसनीय लोगों की बात आती है तो वह संस्कृति विरोधियों को ही नियुक्त क्यों करती है?

और नरेंद्र मोदी, जिनके नाम पर भाजपा वर्ष 2014 से लगभग हर चुनाव लड़ती आ रही है, अर्थात वह भाजपा के सबसे विश्वसनीय चेहरे हैं, जिन पर जनता विश्वास करती है, उनके विषय में आपत्तिजनक लिखने वाले व्यक्ति को पूरा चुनावी अभियान सौंप दिया जाता है? ऐसे में क्या यह अपेक्षा की जा सकती है कि दो ऐसे व्यक्ति एक आम लक्ष्य के लिए कार्य कर सकते हैं जो एकदम विपरीत हैं? अर्थात एक जो राम जी का मंदिर बनाने के लिए हर संभव विकल्प तलाश रहे हैं और दूसरा वह जिसके लिए राम मात्र एक घृणा हैं?

तुषार पांचाल के वायरल ट्वीट में से एक का वायरल स्क्रीन शॉट

आखिर ऐसे लोगों में भाजपा को क्या दिखाई देता है? क्या यह मूल्यों के प्रति आत्महीनता है? या नेतृत्व के प्रति असमंजस? जो भी हो, तुषार पांचाल की नियुक्ति से विपक्षी कांग्रेस को भी भाजपा पर निशाना साधने का मौक़ा मिला और कांग्रेस ने भी यही कहा कि शिवराज सिंह चौहान को नरेंद्र मोदी पर विश्वास नहीं है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता नरेंद्र सलूजा ने और भी कई ट्वीट किये:

हालांकि विरोध के बाद तुषार पांचाल ने अपने आप ही पद स्वीकारने से इंकार कर दिया है, परन्तु यह कहा जा रहा है कि दिल्ली तक यह ट्वीट पहुंचे हैं और दिल्ली भी खुश नहीं है! क्योंकि इस नियुक्ति के बाद कांग्रेस ने अपना यह अभियान तेज कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी का विरोध शिवराज कर रहे हैं और वह मोदी को गाली देने वाले को सम्मानित कर रहे हैं:

जिस गिलोय को लेकर भारत सरकार का आयुष मंत्रालय उत्साहित है, उस गिलोय के विषय में भी तुषार के विचार मध्यप्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट किये:

अपने नेतृत्व पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने वालों को सम्मान देने वाले मात्र भाजपा में ही शायद हो सकते हैं! कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अपनी संस्कृति, अपनी चिकित्सा पद्धति और अपने नेतृत्व सहित पूरे हिन्दुओं को कोसने वालों को पद देने की भाजपा में होड़ लगी है और वहीं उसके हिन्दू समर्थक केवल ट्वीट करके ही संतुष्ट हैं!


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