बिहार के पूर्णिया में महादलित हिन्दू समुदाय पर हुई हिंसा को हुए अब कुछ दिन बीत चले हैं, और अब प्रशासन की ओर से कार्यवाहियों का दौर है। और अब मौक़ा है राजनीति का और विश्लेषण का। जिसमें सबसे पहले बात असदुद्दीन औवेसी के विधायक की, जो वहां से विधायक हैं। उन्होंने इसे धर्म का रूप देने से इंकार किया है और कहा है कि यह पूरी तरह से जमीन का विवाद है और इसमें धर्म का रंग न खोजा जाए।

वहीं इसे लेकर और बहस तेज हो गयी है कि क्या पूर्णिया में बायसी थाना क्षेत्र में स्थित मझुवा गाँव में महादलित हिन्दुओं पर हुए हमले को “चिकेन नेक” काटने के षड्यंत्र के अंतर्गत करवाया गया।
क्या है “चिकन नेक” विवाद?
सभी को शर्जील इमाम का वह वीडियो और समाचार याद होगा जिसमें वह चिकन नेक काटने की बात कर रहा था। शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन क़ानून की आड़ में मुसलमानों को भड़काते हुए कहा था कि यदि भारत के पूर्वोत्तर को काटकर अलग कर दिया जाए तो भारत सरकार को सबक सिखाया जा सकता है। उसने कहा था कि असम को काटकर अलग करना है!
अब यह देखना है कि क्या पूर्णिया चिकेन नेक के मार्ग में आता है?
चिकन नेक, भारत के पश्चिम बंगाल में स्थित लगभग 27 किलोमीटर का एक संकीर्ण रास्ता है जो भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है। इसी चिकन नेक के माध्यम से असम शेष भारत से जुड़ा रहता है। एवं इसमें बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र भी आते हैं। बताया जा रहा है कि बिहार के पूर्णिया जिला का बायसी थाना क्षेत्र भी इसी चिकेन नेक से मात्र 8 किलोमीटर दूर है।
मामला क्या था?
बिहार में पूर्णिया में महादलित बस्ती में मुस्लिम समाज के 150-200 लोगों ने जम कर उत्पात मचाया था तथा महादलित बस्ती को आग के हवाले कर दिया था। 19 मई को अचानक से ही रात में मझुवा गाँव में आतंक का फ़ैल गया। इस आतंक ने किसी को नहीं छोड़ा। सैकड़ों की भीड़, जो हाथ में पेट्रोल और हथियार लिए थी, उन सभी ने अचानक से ही मझुवा गाँव की महादलित बस्ती पर हमला कर दिया। एक मजहब के लोगों ने उस पूरी बस्ती को चारों ओर से घेर लिया और पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी। फिर वह घरों में घुसे और उन्होंने महिलाओं का यौन शोषण भी किया।
दो दिनों पहले तक महिलाएं इस हमले के आतंक की कहानी को याद करके सिहर रही थीं। लोगों का कहना था कि वह अभी तक डर के साए में हैं। वह न ही रातों को सो पा रहे हैं और न ही किसी काम से बाहर जा पा रहे हैं। वह अपने बच्चों के लिए खुले आसमान के नीचे खाना पका रहे हैं।
मझुवा गाँव की एक महादलित महिला ने बताया कि हालांकि वह चार महीने की गर्भवती है, फिर भी उसके बावजूद 19 मई की रात को जब 11 बजे सैकड़ों की संख्या में उन पर हमला किया और जिनमें इलियास, जावेद, नदीम और गाँव के ही और कट्टर इस्लामी शामिल थे तो पीडिता के अनुसार इलियास ने उसे अपने घर में खींचा और फिर उसका बलात्कार करने की कोशिश की।
जब वह बलात्कार में सफल नहीं हुआ तो इलियास ने उसे बाइक की चेन से बुरी तरह पीटा। उस महिला ने किसी तरह से भागकर अपनी जान बचाई। हालांकि उसके शरीर पर अभी भी उस चोट के दाग हैं।
आशा की एक कार्यकर्ता ने तो प्रश्न किया कि वह तो आशा की कार्यकर्ता होने के नाते हमलावरों के परिवारों में ही कितने प्रसवों की साक्षी रही थीं, फिर भी उन्हें इस सेवा के बदले में क्या मिला? इस सेवा के बदले में उनका उत्पीडन किया गया और उन पर एक हमलावर ने तलवार से हमला भी किया। वह अपनी जान बचाने के लिए अधनंगी अवस्था में भागी थी।
ऐसा नहीं है कि बस्ती में और महिलाओं की स्थिति कुछ अलग हो।
जहां प्रशासन की ओर से इसे जमीन से सम्बन्धित विवाद बताया जा रहा है कि इन पर इसलिए हमला हुआ क्योंकि इन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत भूमि और आवास प्रदान किये गए थे, तो वहीं हिंदुत्व वादी संगठनों का कहना है कि यहाँ से हिन्दुओं को भगाने की योजना काफी वर्षों से बनाई जा रही है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ धर्म जागरण के प्रांत प्रशासनिक प्रमुख राजीव श्रीवास्तव के अनुसार यहाँ से हिन्दुओं को भगाकर बिग बांग्लादेश की अवधारणा को बनाया जा रहा है। और उन्होंने कहा कि सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए।
पूर्णिया का मझुआ कांड #दैनिकजागरण pic.twitter.com/Hpd5uZ1sOl
— अनंत विजय/ Anant Vijay (@anantvijay) May 25, 2021
भाजपा का भी यही कहना है कि इस क्षेत्र में हिन्दुओं के साथ अत्याचार किया जा रहा है। विश्व हिन्दू परिषद ने भी इस घटना की निंदा करते हुए “भीम-मीम” के नारे की निरर्थकता पर प्रश्न उठाए और लिखा है कि इस जघन्य हमले में भीम-मीम के नारे की भी पुन: पोल खोल दी है। क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे झूठे नारों की आड़ में ही हिन्दू समाज के इस पराक्रमी दलित समुदाय को हिंसा का शिकार बनाया जाता रहा है।
प्रेस वक्तव्य:
पूर्णिया के जिहादियों पर कठोर कार्यवाही कर पीड़ित महा-दलितों को मिले न्याय: विहिप @MParandeVHP pic.twitter.com/p7dkW9vOAw— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) May 22, 2021
हालांकि स्थानीय लोगों और प्रेस का मानना है कि यदि समय पर कार्यवाही होती तो इस घटना को टाला जा सकता था।
24 अप्रेल को भी गाँव में महादलितों के दो घरों में आग लगाई गयी थी, और इसे लेकर भी शिकायत दर्ज कराई गयी थी। इसी घटना को लेकर ही स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि इस घटना पर कदम उठाया जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र आर्गेनाइजर के अनुसार इस क्षेत्र में मुस्लिम महादलितों पर यह अत्याचार स्थानीय विधायक एवं एआईएमआईएम के नेता सैयद रुकुनुद्दीन अहमद के समर्थन के साथ हो रहे हैं. अहमद के कारण ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए हैं.
अभी तक प्रशासन द्वारा काफी कदम उठाए जा चुके हैं, जिनमें बायसी थाने के थाना प्रभारी अमित कुमार को उनके पद से हटाया जाना, प्रभावी गाँव में पुलिस पिकेट स्थापित करना जैसे कदम शामिल हैं। अब तक कुल 60 नामजदों में से 11 को हिरासत में लिया जा चुका है।
गुमशुदा बच्चे के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा भी नोटिस लिया जा चुका है और पूर्णिया के एसपी को कदम उठाने के लिए पत्र लिखा गया है:
I spoke to district police chief of Purnia for necessary action,Notice has been issued to lodge FIR and submit an ATR within 48 hours. https://t.co/7RxHDBMOOY
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) May 22, 2021
हालांकि एक सप्ताह बाद भी अभी तक महिलाओं में डर का माहौल है। डर दरअसल होता है विश्वास का नष्ट हो जाने का, जैसा उस आशा की कार्यकर्ता के साथ हुआ। जिनके यहाँ उन्होंने जीवन दिया, उन्होंने उन्हें मौत देने की कोशिश की!
फीचर्ड इमेज: साभार ट्विटर
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