जहाँ एक ओर करण जौहर एवं उनकी टीम अपनी आने वाली फिल्म ब्रह्मास्त्र को लेकर आम लोगों पर हमला करती जा रही है और उनकी बौखलाहट दिखती रहती है जब आलिया भट ने कहा था कि इस बॉयकाट ट्रेंड का असर नहीं पड़ता है। वहीं रणबीर कपूर का बीफ वाला वीडियो भी वायरल हो रहा है। लोगों के दिल में गुस्सा है क्योंकि रणबीर अभी तक पेशावरी पहचान लेकर चल रहे हैं। वह खुद को भारतीय नहीं मानते हैं। अर्थात अपनी पहचान वहीं की रखे हुए हैं! परन्तु क्या यदि पहचान वही है तो वहीं के लोगों के लिए फिल्म नहीं बनानी चाहिए?
ऐसा ही एक प्रश्न ऋषि कपूर ने भी किया था कि वह भी गौमांस खाने वाले हिन्दू हैं, उनका कहना था कि खाने को धर्म से क्यों जोड़ा जाता है? मैं क्या खाता हूँ, किसकी पूजा करता हूँ, इससे किसी को क्या मतलब है?
यहाँ तक कि सोशल मीडिया इस बात से भी भरा पड़ा है कि ऐसे ऋषि कपूर को दाऊद इब्राहिम से कोई समस्या नहीं थी और उन्हें उससे मिलने में कोई समस्या नहीं थी और वह उससे प्रेरणा लिया करते थे
सोशल मीडिया के आने से लोगों के सामने इन लोगों की सच्चाई आ गयी है, जो अब तक सामने नहीं आ पाती थी। यह लोग मीडिया आदि को अपने पक्ष में करके फिल्म सुपर हिट कराते हुए रहते थे। इनकी सत्यता सामने नहीं पा पाती थी। जो एजेंडा वह चलाया करते थे, वह चलता रहता था। जब तक विरोध होता था, तब तक फिल्म सुपरहिट हो ही जाती थी।
लोग अंडरवर्ल्ड के लोगों से मिलते थे, हिन्दुओं के विरुद्ध फ़िल्में बनाया करते थे, और सबसे मजे की बात कि वह पैसा भी हिन्दुओं की ही जेब से जाता था। बीफ अर्थात गौमांस को खाना भी सहज बनाया जाता था। जैसा कि अभी भी हम देखते हैं कि एक बड़ा वर्ग गौ मांस को सहज बना रहा है। सेक्युलर मीडिया अब यह कहते हुए हिन्दू संगठनों को घेर रहा है कि बीफ विरोधी लोग अब बॉलीवुड को घेर रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि महाकाल अर्थात शिव तो देव एवं दानवों दोनों के हैं, इसलिए गौ मांस खाने के आधार पर भेदभाव क्यों करना?
जो लोग यह कहते हैं कि देव एवं दानवों दोनों के ही महादेव हैं, तो वह यह भी ध्यान रखें कि महादेव की आराधना करने वाले दैत्य जब महादेव की तपस्या करते थे, उस समय वह तप करते हुए एवंऐसे खानपान का पालन करते थे, जो तामसिक नहीं होता था। एवं जैसे ही वह वरदान लेकर पुरानी शैली अर्थात हिंसा, गौ हत्या अदि में वापस जाता था, वैसे ही उसके विनाश के लिए प्रक्रिया आरम्भ हो जाती थी।
यह ऐसा ही कहना है जैसे कि महादेव को गौभक्षकों का समर्थक घोषित कर देना! जबकि गौ ह्त्या हिन्दुओं के हर ग्रन्थ में पाप माना गया है। इतना ही नहीं यह भी शोध में प्रमाणित हुआ है कि गाय की हत्या ही कहीं न कहीं उस पेशावर की जलवायु परिवर्तन का कारण है, जहां से रणबीर खुद को बताते हैं।
क्या कहता है इतिहास?
रणबीर खुद को बीफ ईटर गर्व से बताते हैं, तो वहीं आखिर इतिहास क्या कहता है? क्या है बीफईटर्स अर्थात गौ मांस खाने वालों एवं जलवायु बर्बाद करने वालों के मध्य सम्बन्ध? आइये जानते हैं!
एक रिपोर्ट है वर्ष 1915 में प्रकाशित नोट्स ऑन द एंशीएंट ज्योग्राफी ऑफ गांधार, (अ कमेंट्री ऑन अ चैप्टर ऑफ ह्वेन सांग), ए फाउचर, अनुवाद एच हार्ग्रीव्स, सुपेरिटेनडेंट, हिन्दू एंड बुद्धिस्ट मोन्यूमेंट, नोर्दर्न सर्कल, इसमें गांधार (कंधार) के इतिहास पर बात की गयी है। इसमें फाउचर ने गांधार क्षेत्र में हुए जलवायु परिवर्तन, हिन्दुओं की हत्याओं आदि के ऐतिहासिक सन्दर्भों पर बात की है। इसमें उन्होंने लिखा है कि जब उनके अर्थात अंग्रेजों के शासन में गांधार फिर से भारत का हिस्सा बना, उस समय उस संस्कृति के चिन्ह खोजना अत्यंत दुर्लभ हो गया था, जो एक समय में व्याप्त थी। अब वहां पर प्राकृत के स्थान पर पश्तु बोली जाती है, जो “पाणिनि” का जन्मस्थान था।
इसमें बाबर द्वारा पेशावर के हरे भरे बगीचों का उल्लेख है, जिसमें बाबर ने कहा था कि “बसंत में पेशावर के बगीचों से सुन्दर कुछ नहीं हो सकता!” फिर उससे पहले ह्वेनसांग द्वारा उस क्षेत्र की जलवायु का वर्णन करते हुए लिखा है कि ह्वेनसांग ने इस क्षेत्र में गन्नों की खेती की बात की थी, वह अब गायब हो चुकी है और साथ ही लिखा है कि पेशावर और मरदान में कई प्रकार के फूल और फल पैदा होते हैं।
जहाँ एक समय में नदियाँ उन्मुक्त होकर बहा करती थीं, अब वहां पर पानी के लिए लोग तरसते हैं! और ऐसा क्यों हुआ तो यहाँ के लोगों का कहना है कि बुतपरस्तों के कारण ऐसा हुआ है! उनका कहना है कि यह देश छोड़ते समय बुतपरस्त लोग जल के स्रोत बंद करके चले गए हैं!
गाय के कंडे जलाने वालों के गायब होने से परिवर्तित हुई जलवायु?
फिर इस रिपोर्ट में लिखा है कि “क्या हमें पूरे मध्य एशिया में हुए जलवायु परिवर्तन पर दृष्टि डालनी होगी और यह विश्वास करना होगा कि यह पूरे मध्य एशिया में बदली? यदि कोई अवलोकन करता है तो पाएगा कि मुसलमान जो लकड़ी जलाने वाले थे, उन्होंने अपनी जियारत बचाने के लिए हर जगह उन वृक्षों को जला दिया, जिनकी पूजा गाय के कंडे जलाने वाले हिन्दू करते थे, यही मेरे विचार से देश में वनों के तेजी से कटने के लिए और वृक्षों के तेजी से गायब होने में वर्तमान आद्रता की सबसे सरल और स्पष्ट व्याख्या है!
अर्थात जहां का बीफईटर या गौ मांस खाने को लेकर रनबीर गर्व का अनुभव करते हैं, ऐतिहासिक तथ्य इस बात को प्रमाणित करते हैं, कि वहां की जलवायु का नाश इसलिए हुआ क्योंकि “गाय की पूजा करने वाले हिन्दू नहीं रहे और पेड़ों को काटने वाले बढ़ गए थे!”
यही सत्य है कि जब तक “गाय की पूजा करने वाले हिन्दू थे, तब तक भारत ज्ञान का केंद्र था, आर्थिक उन्नति का केंद्र था, परन्तु आज ऐसे लोग कथित पढ़ेलिखों में सम्मान पाते हैं, जो गर्व से गौ मांस खाते हैं!”
आम लोगों को यह सब शोध आदि की बातें नहीं पता है क्योंकि इन सभी को छिपा लिया गया है, जिससे गाय खाने वालों की “खाने की भावनाएं” आहत न हों, फिर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं खूब आहत होती रहें, इससे कि अंतर नहीं पड़ता, तभी कल बाबा महाकाल के मंदिर के बाहर हिन्दुओं पर लाठी चार्ज हो जाता है, और गौ मांस खाने वालों को सम्मान पूर्वक वहां से बाहर भेज दिया जाता है।
और उसके बाद जिनके गौ प्रेम के चलते प्रकृति तक सुरक्षित है, उन्हें ही खलनायक ठहराना आरम्भ हो चुका है! रणबीर कपूर जी, जिस गौ मांस के भक्षण को आप सगर्व कहते हैं, उसके लिए आज भी करोड़ों हिन्दुओं के घर की पहली रोटी निकाली जाती है, वह उस व्यक्ति को कभी माफ नहीं कर सकता है जो उसकी माँ को रोटी देने के स्थान पर रोटी में लपेट कर खाए!
Well done devotees at Mahakal Ujjain. Well done Bajrang Dal