रविवार को भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय भारत जोड़ो आन्दोलन में अंग्रेजों के समय के कानूनों को हटाने की मांग करने के लिए शामिल हुए थे और उन्होंने आह्वान किया था कि सच्ची आज़ादी हमें तब मिलेगी जब हम इन कानूनों से आज़ाद होंगे और एक समान कानून लागू होंगे। उसमे भाग लेने के लिए कई लोग बाहर से आए थे। इस आन्दोलन में बिहार, समस्तीपुर से एक साधु भी आए थे। जो रात को कहीं और ठिकाना न मिलने के कारण डासना में स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती के उसी मंदिर में आश्रय लेने चले गए थे, जो मंदिर इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर रहता है।
स्वामी यति नरसिंहानंद कट्टरपंथी मुस्लिमों के निशाने पर रहते हैं। उनका कहना है कि जो लोग आए थे, वह उन्हें मारने के लिए आए थे, मगर भगवा वस्त्रों में किसी और साधु को देखकर वह उन पर हमला कर बैठे। हमलावरों ने साधु नरेशानंद पर पेपर कटर से वार किया और उन्हें घायल अवस्था में छोड़कर भाग गए।
रक्त रंजित साधु को गाज़ियाबाद के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ पर उनकी स्थिति अभी स्थिर बताई जा रही है। उन पर आज सुबह तड़के साढ़े तीन बजे करीब हमला किया गया था। हमले के तुरंत बाद ही हमलावर फरार हो गए थे। मगर यह बहुत ही हैरान करने वाला मामला है कि जहाँ पर स्वामी नरसिंहानंद पर हमले के खतरे के कारण 24 घंटे पुलिस रहती है, फिर भी हमलावरों की इतनी हिम्मत हो गयी कि वह हमला करने के लिए आ जाएं।
स्वामी यति नरसिंहानन्द सरस्वती ने इस हमले के बाद कहा कि, जिहादी उनकी हत्या के लिए कटिबद्ध है:
हमारे मंदिर में हमारे स्वामी नरेशानन्द जी को रात के 3 बजे जहाँ मैं रहता हूँ उस जगह पर मुसलमान जिहादी आये और उन्होंने हमारे स्वामी जी को स्टेशनरी ब्लेड से गोद दिया और बाउंड्रीवाल से कूदकर भाग गये
जहाँ पुलिस का पहरा होता है ।
https://twitter.com/NarsinghUvach/status/1424945674273972231
वहीं इस आंदोलन में कथित रूप से भड़काऊ नारे लगाए जाने के आरोप में अश्विनी उपाध्याय और उनके पांच साथियों को रात को तीन बजे हिरासत में ले लिया है। अनौपचारिक रूप से अभी यही कहा जा रहा है कि उनसे केवल पूछताछ की जा रही है, गिरफ्तारी की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इसे लेकर भी जनता में आक्रोश है और मीडिया का एक हिस्सा भी आवाज़ उठा रहा है, अमन चोपड़ा ने ट्वीट किया कि अश्वनी उपाध्याय के कार्यक्रम में भड़काऊ नारेबाज़ी हुई तो कार्यक्रम का आयोजक ज़िम्मेदार और गिरफ्तार।
किसान आंदोलन में खालिस्तान ज़िंदाबाद से लेकर आतंकी भिंडरवाले जिंदाबाद के नारे लगे। वहां कोई एक्शन क्यों नहीं हुआ ? वहां कितने आयोजक गिरफ्तार हुए ?
अश्वनी उपाध्याय के कार्यक्रम में भड़काऊ नारेबाज़ी हुई तो कार्यक्रम का आयोजक ज़िम्मेदार और गिरफ्तार।
किसान आंदोलन में खालिस्तान ज़िंदाबाद से लेकर आतंकी भिंडरवाले जिंदाबाद के नारे लगे। वहां कोई एक्शन क्यों नहीं हुआ ? वहां कितने आयोजक गिरफ्तार हुए ?
— Aman Chopra (@AmanChopra_) August 10, 2021
इसके साथ ही कपिल मिश्रा भी अश्विनी उपाध्याय का समर्थन करते हुए नज़र आए, उन्होंने कहा
अश्विनी उपाध्याय का कसूर क्या हैं ?
जंतर मंतर पर ना उन्होंने भड़काऊं बयान दिया, ना उनके मंच से भड़काऊं बात हुई
आज एक ओर सरेआम एक स्वामी को चाकुओं से गोद दिया गया उस पर चुप्पी और जंतर मंतर को hate का प्रतीक
असली मुद्दे से भटकाना क्यों?
अश्विनी उपाध्याय का कसूर क्या हैं ?
जंतर मंतर पर ना उन्होंने भड़काऊं बयान दिया, ना उनके मंच से भड़काऊं बात हुई
आज एक ओर सरेआम एक स्वामी को चाकुओं से गोद दिया गया उस पर चुप्पी और जंतर मंतर को hate का प्रतीक
असली मुद्दे से भटकाना क्यों? #IsupportAshwiniUpadhyay pic.twitter.com/xxYly9fvdA
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) August 10, 2021
संदीप देव ने लिखा कि काश अश्विनी उपाध्याय मौलाना साद होते, तो रात के अंधेरे में उन्हें हिरासत में लेने दिल्ली पुलिस नहीं, उन्हें बचाने रात के अंधेरे में NSA अजित डोभाल पह़ुंचते!
काश अश्विनी उपाध्याय मौलाना साद होते, तो रात के अंधेरे में उन्हें हिरासत में लेने दिल्ली पुलिस नहीं, उन्हें बचाने रात के अंधेरे में NSA अजित डोभाल पह़ुंचते!#IsupportAshwiniUpadhyay
— संदीप देव #SandeepDeo (@sdeo76) August 10, 2021
पहले भी हो चुका है स्वामी यति नरसिंहानंद पर हमला
ऐसा नहीं है कि डासना के मंदिर पर हाल ही में हमला आरम्भ हुआ है। दरअसल उस मंदिर के आसपास का अधिकतर क्षेत्र मुस्लिम बहुत क्षेत्र है और अब कट्टरपंथियों की नज़र उस मन्दिर पर है। स्थानीय लोगों के अनुसार वह हर कीमत पर उस मंदिर को अपने कब्ज़े में लेना चाहते हैं।
सभी को याद होगा कि कैसे एक मुस्लिम बच्चे को पानी के लिए पीटने के आरोप में एकदम से स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती चर्चा में आए थे और उसके बाद उन्हें मारने की कोशिश और तेज हो गयी थी।
उसके बाद मई में भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में पुलवामा के जान मोहम्मद नामक व्यक्ति को हिरासत में लिया था, जो उनकी हत्या के लिए आया था। वह साधु भेष में आया था, और उसके कब्ज़े से पिस्तौल, 15 जिन्दा कारतूस सहित पूजा सामग्री और साधुओं के वस्त्र भी मिले थे।
उसके बाद जून 2021 को ही दो संदिग्ध डासना मंदिर परिसर में पकडे गए थे। और इसी घटना के बाद ही धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश हुआ था। क्योंकि इसी जांच प्रक्रिया में पाया गया था कि डॉक्टर विपुल विजयवर्गीय और काशी गुप्ता, जो स्वामी यति नरसिंहानन्द पर हमला करने आए थे, वह दरअसल मुस्लिम थे और अवैध धर्मांतरण गिरोह का हिस्सा था।
इसी घटना के बाद पता चला था, कि यह गिरोह अभी तक 1000 से ज्यादा लोगों को मुस्लिम बना लिया था।
हालांकि पुलिस के अनुसार जांच चल रही है और पुलिस के अनुसार अपराधी को जल्दी पकड़ा जाएगा, इस विषय में गाज़ियाबाद पुलिस ने कार्यवाही का आश्वासन दिया है:
— GHAZIABAD POLICE (@ghaziabadpolice) August 10, 2021
मगर यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहां पर हिन्दुओं को गाली देने वाले लोग अभी तक खुले आम घूम रहे हैं, और हिन्दू साधुओं पर हमले भी नित हो रहे हैं, शायद किसी कठोर कार्यवाही का न होना ही इनके हौसले बढ़ा रहा है।
क्या आप को यह लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।
हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है. हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें .