सैटेनिक वर्सिस लिखने वाले सलमान रुश्दी पर अमेरका में जानलेवा हमला हुआ है और वह अभी जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे हैं। उनकी किताब सैटेनिक वर्सिस को इस्लाम विरोधी बताया गया था और उसके बाद उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया था। हालांकि यह फतवा आज नहीं बल्कि तीन दशक पहले जारी किया गया था। पर हाँ, तीन दशक के बाद भी सिर तन से जुदा की बात करने वाले नहीं भूले कि कि किसका सिर तन से जुदा करना है!
अमरउजाला के अनुसार
“न्यूयॉर्क पुलिस ने बताया कि एक संदिग्ध कार्यक्रम के दौरान मंच पर चढ़ गया। घटना सुबह 11 बजे (स्थानीय समयानुसार) की है। सलमान रुश्दी और एक साक्षात्कारकर्ता पर चौटौक्वा में चौटौक्वा संस्थान में हमला किया गया। रुश्दी की गर्दन पर चाकू से वार किया गया था। उन्हें हेलीकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया। उनकी हालत के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी है।“
घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर और मीडिया पर वायरल हो रहा है:
सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोग स्तब्ध हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। परन्तु भारत का लिबरल वर्ग जो हर छोटी छोटी बात पर हिन्दुओं को तालिबान बताने लगता है, वह भी मात्र हमले की निंदा कर रहा है, वह उस मानसिकता का विरोध नहीं कर रहा है, जिसने सलमान रुश्दी पर हमला किया है। जैसे स्वरा भास्कर! स्वरा भास्कर ने ट्वीट किया कि यह हमला शर्मनाक है:
परन्तु यह हमला क्यों किया गया, किसने किया और किस मजहब के इंसान ने किया, स्वरा ने कुछ नहीं कहा
रोहिणी सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि
कट्टरपंथियों द्वारा दशकों से सलमान रुश्दी को उनकी बातों के लिए निशाना बनाया जाता रहा है, लेकिन इसके कारण भी वह रुके नहीं। उन पर हमला उन लोगों में डर फैलाने के लिए किया गया आतंकी हमला है जो खुलकर बोलना पसंद करते हैं। उसके ठीक होने की प्रार्थना।
परन्तु किसने हमला किया है? रोहिणी सिंह चुप हैं! जिसने हमला किया है उसकी मानसिकता पर और उसकी धार्मिक पहचान पर लोग चुप हैं? यह भी प्रश्न नहीं उठा रहे हैं कि आखिर सलमान रुश्दी पर आक्रमण कौन कर सकता है? यह पहचान वैसे करनी सरल है
इस पुस्तक का विरोध इस हद तक है कि इस पुस्तक का अनुवाद तक करने वालों को मौत के घाट उतारा जा चुका है और अब तक कुल 60 लोग इस विवाद में मारे गए हैं।
स्वाति गोयल शर्मा ने ट्वीट किया और लिखा कि इस पुस्तक को लेकर अमेरिका और यूके में किताबों की दुकान में बम विस्फोट हुए, इस पुस्तक के जापानी अनुवादक को गोली मारी गयी, इसके इटली अनुवादक को चाकू मारा गया, इसके तुर्की अनुवादक पर हमला हुआ, इसके नार्वेजियन प्रकाशक को गोली मारी गयी और फतवे के खिलाफ बोलने वाले दो मौलाना जिनमें एक सऊदी अरब का था और एक टयूनेशिया का, उन्हें गोली मारकर मार डाला गया।
इस विषय एन एक यूजर ने कहा कि ईरान की गोपनीय एजेंसी इन सब हत्याओं में शामिल थी
वहीं अब ग्रीट विल्डर्स को भी धमकी मिली है कि अगला नंबर उनका है। नुपुर शर्मा के मामले में उन्होंने इस्लामी कट्टरपंथ का विरोध किया था और सोशल मीडिया पर नुपुर का साथ दिया था। उन्होंने ट्वीट साझा करते हुए कहा कि “तो मैं अगला हूँ?”
यह गौर करने वाली बात है कि सलमान रुश्दी पर फतवा आज का जारी किया गया नहीं है, बल्कि यह तीन दशक पहले जारी किया गया था। मगर यह याद रखा गया और यह भी समझा जाए कि भारत में नुपुर शर्मा को लेकर अब खतरा कितना बड़ा है। आदित्य राज कौल ने भी लिखा कि कल्पना करें कि हम लोग कैसी दुनिया में रह रहे हैं?
क्योंकि जब एक ओर पूरा विश्व सलमान रुश्दी पर हुए इस हमले से आतंकित हो गया था, तो वहीं दूसरी ओर उसी दिन भारत में भी नुपुर शर्मा को मारने के लिए सहारनपुर में मोहम्मद नदीम को पकड़ा गया था, जिसे जैश-ए-मोहम्मद ने नुपुर शर्मा की हत्या करने का काम दिया था
सलमान रुश्दी पर हमले को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति ने भी अपने विचार व्यक्त किए हैं। परन्तु यह भी बात सत्य है कि जो लोग भारत में नुपुर शर्मा के खिलाफ थे वही सलमान रुश्दी पर हुए इस हमले का विरोध कर रहे है और कह रहे हैं कि हिंसा नहीं होनी चाहिए।
जबकि भारत के विरुद्ध इस्लामी आतंकवाद को जमीन पश्चिम ने ही उपलब्ध कराई है। एक नहीं कई मामले देखे हैं, और गाय को लेकर तो झूठ की सीमा ही पार कर दी गयी थी। सलमान रुश्दी के खिलाफ भी क्या पश्चिमी भूमि पर नारे नहीं लगाए गए थे? यूजर्स अब तस्वीरें साझा कर रहे हैं
इतना ही नहीं सलमान रुश्दी के बाद उस पूरे वर्ग में जश्न का वातावरण है जो काफिरों को मिटा देना चाहता है।
यह हमला नया नहीं है। वीर हकीकत राय से लेकर, पंडित लेखराम, महाशय राजपाल, स्वामी श्रद्धानंद, आदि नामों के साथ भारत में तो न जाने कब से इस प्रकार के हमले हो रहे थे और हो रहे हैं, नुपुर शर्मा का समर्थन करने तक पर हत्याएं हो रही हैं, अभी सिलसिला रुका नहीं है। परन्तु पश्चिम का अकादमिक एवं मीडिया वर्ग इस पर ध्यान नहीं देता है। भारत में इस्लामिक कट्टरता का विरोध करना इस्लामोफोबिया या भारत में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार के रूप में अनूदित कर दिया जाता है और वही इस्लामी कट्टपंथ जब पश्चिम में किसी पर हमला करता है तो उसका विरोध किया जाता है? यह कैसी दोहरी मानसिकता है?
अभी तक सलमान रुश्दी वेंटिलेटर पर हैं और और उनके शरीर के कई अंग इस हद तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं कि शायद वह ठीक होकर भी कुछ देख नहीं सकेंगे। दैनिक जागरण के अनुसार
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हमले के बाद सलमान रुश्दी की गर्दन में गंभीर चोटे आई हैं। घंटों तक चली सर्जरी के बाद उन्हें वेंटिलेटर स्पोर्ट पर रखा गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपने बुक एजेंट के हवाले से बताया है कि ऐसी आशंका है कि सलमान को अपनी एक आंख खोनी पड़ सकती है। रुश्दी के एजेंट एंड्रयू वायली ने उनकी स्थिति पर अपडेट देते हुए बताया कि वो अभी वेंटिलेटर पर हैं और बोल नहीं सकते। साथ ही उन्होंने आशंका जताई की सलमान को अपनी एक आंख खोनी पड़ सकती है। वायली ने बताया कि उनके हाथ की नसों को गंभीर चोट पहुंची है साथ ही उनके लीवर को भी भारी नुकसान हुआ है।
इस घटना को लेकर जहाँ एक वर्ग हिंसा की आलोचना कर है तो वहीं कट्टरपंथी वर्ग अभी भी यही कह रहा है कि पैगम्बर की आलोचना का अर्थ है मौत!
ईरान की निर्वासित महिला कार्यकर्त्ता मसीह अलीनेजाद ने एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि कैसे पढ़े लिखे लोग भी यही कह रहे हैं कि पैगम्बर की आलोचना का अर्थ केवल और केवल मौत है!
तसलीमा नसरीन ने कहा है कि सच्चाई यही है कि “सच्चे मुस्लिम” अपनी किताब का आँखें मूंदकर पालन करते हैं और वह इस्लाम के आलोचकों पर हमला करते है। झूठे मुस्लिम इंसानियत में विश्वास करते हैं और हिंसा के खिलाफ होते हैं। हम चाहते हैं कि झूठे मुस्लिम बढ़ें!
परन्तु एक बात सत्य है कि इस घटना ने लोगों को सिहरा दिया है क्योंकि यह बताती है कि कट्टरपंथ की जड़ें अब अमेरिका में भी कितनी तेजी से जम रही हैं या फिर कहा जाए कि पहले से ही थीं और अब फ़ैल रही हैं! जो भी हो, यह घटना साधारण नहीं है और देखना होगा कि विश्व इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है?
The West love to whine about islamophobia and “poor” Muslims in other countries specially in India.
Now they are not able to handle just 2%-5% percent population of the Muslims in their countries yet they except us Hindus to tolerate 25% of them around us in India!!