असम में अतिक्रमण को हटाए जाने को लेकर कल हिंसा हुई और उसमें दो प्रदर्शनकारी जहां मारे गए तो वहीं कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें कुछ पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हैं।
असम में धोलपुर में अतिक्रमण हटाने का कार्य चल रहा है। असम में धोलपुर में शिव मंदिर से जुड़ी जमीन पर अवैध लोगों ने अवैध रूप से कब्ज़ा जमा लिया था तथा जून में असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्व सरमा ने वहां का दौरा किया था और यह आश्वासन दिया था कि धोलपुर के शिव मंदिर को शीघ्र ही अतिक्रमण से मुक्त कर दिया जाएगा। इस पूरे क्षेत्र में घुसपैठियों ने कब्ज़ा कर रखा था।
मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्व सरमा ने यह वादा किया था कि मंदिरों की इस भूमि को अवैध कब्जों और घुसपैठियों से मुक्त कराएंगे और साथ ही यह भी आश्वासन दिया था कि वह इस मंदिर की पहचान सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
मुख्यमंत्री के अनुसार अतिक्रमण से मुक्त कराई गयी इस जमीन पर सामुदायिक खेती कराई जाएगी। यह अभियान पूर्वक चल रहा था और लोग शांतिपूर्वक वहां से किसी और स्थान पर जा रहे थे। तभी कल कुछ हथियारबंद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर आक्रमण कर दिया। पुलिस के अनुसार हमला प्रदर्शनकारियों द्वारा हुआ था। मीडिया के अनुसार भी स्थानीय लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया था और पुलिस वालों को दौड़ा दौड़ा कर पीटा गया। और उसके बाद पुलिस को भी आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी।
एक तस्वीर बहुत ही वायरल हुई, जिसमें एक आदमी लेटा हुआ है, और उसकी छाती में गोली लगी हुई है। और एक वीडियो में एक फोटोग्राफर भी उस शव के साथ बर्बरता करता हुआ दिखाई दे रहा था।
मीडिया के एक वर्ग ने प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई हिंसा को अनदेखा करके यही वीडियो बार बार दिखाया है। और इसी वीडियो के आधार पर सारा विपक्ष अब सरकार पर हमलावर है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लेकर दिल्ली में असम सरकार के खिलाफ मुस्लिम प्रदर्शन कर रहे हैं।
न केवल राहुल गांधी बल्कि साथ ही कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चे के इमरान प्रतापगढ़ी सहित समूचा विपक्ष हमलावर है। परन्तु अब जो नए वीडियो सामने आए हैं, वह पुलिस वालों के साथ जो भयावहता हुई, उसकी कहानी कहते हैं। प्रश्न कथित मुस्लिम राजनीति करने वाले राहुल गांधी से है, जो स्वयं को कश्मीरी पंडित कहते हैं, क्या वह नहीं जानते कि मंदिर पर अतिक्रमण क्या होता है?
अभिजित मजूमदार ने एक वीडियो पोस्ट किया है, उसमें स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि प्रदर्शनकारियों के पास हथियार थे और वह पूरी तरह से हथियारों से लैस थे
एक और वीडियो है, उसमें दिख रहा है कि कैसे बांग्लादेशी घुसपैठियों ने असम की पुलिस पर हमला किया:
पत्रकार अभिजित मजूमदार के वीडियो से यह स्पष्ट हो रहा है कि कैसे पुलिस का स्वागत घुसपैठी मुस्लिमों ने किया। और वह हथियार लेकर टूट पड़े। जबकि वह जमीन मंदिर की है, फिर भी उन्होंने वहां पर अतिक्रमण कर रखा है।
वहीं इस विषय में सरकार का दृष्टिकोण पूर्णतया स्पष्ट है। आज भी हिमंत बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया कि आप उस क्षेत्र को बदनाम नहीं कर सकते और उस क्षेत्र में वर्ष 1983 से ही लोग आकर अतिक्रमण कर रहे हैं, और तभी से ही वह क्षेत्र हत्याओं के लिए कुख्यात था। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं जाकर देखा था कि कैसे लोग वहां पर अतिक्रमण कर रहे हैं, और कैसे लोगों ने मंदिर की जमीन पर ही नहीं हजारों एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है, गैर कानूनी रूप से लोग वहां पर रह रहे हैं।
उन्होंने प्रश्न भी उठाया कि इतने दिनों से शांतिपूर्वक यह अभियान चल रहा था तो उसे किसने भड़काया?
और उन्होंने यह भी कहा कि असम की घटनाओं को केवल कुछ सेकण्ड के वीडियो के आधार पर तय नहीं कर सकते हैं, आपको पूरा देखना होगा। और यदि उनका कोई भी पुलिसकर्मी किसी भी प्रकार से संलग्न पाया जाता है तो वह कदम उठाएंगे, पर आप यह कैसे अनुमत कर सकते हैं कि हजारों एकड़ जमीन पर लोग अतिक्रमण कर लें।
जहां एक ओर राजनीति हावी है तो वहीं दूसरी ओर यह भी देखना आवश्यक है कि भारतीय विपक्ष को यह क्यों नहीं दिखाई देता है कि भारत के संसाधनों पर जो अधिकार भारतीयों का होना चाहिए, वह उसे उठाकर उन्हें दे रहे हैं, जो स्थानीय संस्कृति को ही नष्ट कर रहे हैं। मंदिरों की जमीन जो सामुदायिक जमीन है, क्या उस का अतिक्रमण अपनी राजनीति के लिए किया जा सकता है? या अपने वोटबैंक के लिए पुलिस के हाथ बांधे जा सकते हैं? जैसा कश्मीर में देखा था!
क्या पुलिस वालों के प्राणों का कोई मोल नहीं होता है? क्या पुलिस मात्र मार खाने के लिए ही होती है? उस वीडियो में यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि हमला करने वाला पुलिसवालों पर हमला करने आ रहा था एवं पुलिस ने जो किया आत्मरक्षा में किया। इस वीडियो में यह और स्पष्ट होता है, जिसे राणा अयूब जैसों ने अपनी हिन्दू घृणा में एडिट कर दिया था
वहीं असम के डीजीपी के अनुसार जो कैमरामैन वीडियो में दिख रहा है, उसे हिरासत में ले लिया गया है तथा मुख्यमंत्री के आदेशानुसार घटना की जांच के लिए सीआईडी जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
जहाँ एक ओर विपक्ष इस घटना को लेकर हमलावर है और मुस्लिम संगठन असम सरकार का विरोध कर रहे हैं, तो वहीं सरकार के एक मंत्री का यह कहना है कि लोगों को भड़काने में कहीं न कहीं पीएफआई का हाथ है:
और चूंकि देश का एक बड़ा वर्ग है जो घुसपैठियों द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण से परेशान है, इसलिए असम पुलिस और मुख्यमंत्री को पूरे देश से समर्थन मिल रहा है और असम पुलिस के समर्थन में ट्रेंड हो रहा है