spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
32.5 C
Sringeri
Thursday, March 28, 2024

डाबर के बाद अब सब्यसाची द्वारा विज्ञापन वापस लेना और डिजाइनर हिन्दुओं की पीड़ा!

बहुचर्चित फैशन डिज़ाईनर सब्यसाची ने पिछले दिनों मंगलसूत्र पर अत्यंत अश्लील विज्ञापन जारी किया था। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह किसी अंत:वस्त्रों का विज्ञापन हो।  और मॉडल का चेहरा भी भावविहीन था। मंगलसूत्र की पूरी अवधारणा को ध्वस्त करता हुआ यह विज्ञापन हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ ही कर रहा था। जब मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि वह ऐसे अपमानजनक विज्ञापन को वापस न लिए जाने पर कार्यवाही करेंगे!

मंगलसूत्र किसी कामुक उत्पाद का विज्ञापन था क्या? और यह विज्ञापन फिल्माते समय हिन्दू परम्पराओं के विषय में कितना विष भरा होगा, यह भी कल्पना से परे है? और जैसा अपेक्षित है, सोशल मीडिया पर उसका विरोध हुआ।

परन्तु कई पोर्टल्स थे जिन्होनें सब्यसाची के इस कुकृत्य का समर्थन किया। यह समर्थन आवश्यक किस कारण था, यह तो समझ नहीं आया, परन्तु यह निश्चित है कि इस विज्ञापन का समर्थन करने वाला एक बड़ा वर्ग प्रियंका चोपड़ा का विरोध करने के लिए उतर आया था।  पाठकों को याद होगा कि प्रियंका चोपड़ा ने पिछले दिनों एक मंगलसूत्र का विज्ञापन किया था, और वोग पत्रिका पर उनकी वह तस्वीर प्रकाशित हुई थी, जिसमें वह मंगलसूत्र पहने थीं।

Shethepeople जैसे पोर्टल्स, जिनमें प्रियंका चोपड़ा द्वारा BVLGARI के मंगलसूत्र के विज्ञापन पर विवाद किया था, और प्रश्न उठाए थे कि आखिर आधुनिक महिलाओं की चॉइस मंगलसूत्र कैसे हो सकता है और इतना महंगा मंगलसूत्र कैसे और कौन खरीदेगा? एक प्रकार से महिलाओं की गुलामी के साथ इसे जोड़कर देखा गया था और ऐसा दिखाया था जैसे कि गुलामी के महंगे प्रतीक को पहनेगा कौन? यदि फेमिनिस्ट और प्रगतिशीलों का यही स्टैंड है तो यही रहना चाहिए था। परन्तु प्रियंका चोपड़ा के मंगलसूत्र को पिछड़ा बताने वाले लोग सब्यसाची के मंगलसूत्र को प्रगतिशील कैसे बताने लगे? यह एक प्रश्न और जिज्ञासा है?

प्रियंका चोपड़ा यद्यपि हिन्दू त्योहारों पर आपत्ति उठाते हुए हिन्दू परम्पराओं का विरोध करती रहती हैं और प्राय: लिब्रल्स की प्रिय बनी रहती हैं, परन्तु लिब्रल्स का समर्थन किसी भी व्यक्ति को तब तक है जब तक वह हिन्दू पर्वों का विरोध कर रहा है, हिन्दुओं को गाली दे रहा है। जैसे ही कोई भी व्यक्ति हिन्दू पहचान के प्रति एक कदम भी बढ़ाता है वह उसे दुत्कार देते हैं, जैसे प्रियंका चोपड़ा के साथ उस मंगलसूत्र मामले में हुआ।

कई यूजर्स ने इस मामले पर सब्यसाची का साथ दिया और खुजराहो तक को लपेट लिया.  परन्तु हिन्दू संस्कृति में काम का अर्थ मात्र वासना खोजने वाले, हिन्दू धर्म में “काम” की पवित्रता को नहीं माप सकते! यही कारण है कि वह एक ही मामले में दो स्टैंड लेते हैं, दो मापदंड रखते हैं!

यही दोहरा मापदंड डाबर और सब्यसाची के विज्ञापनों में देखा गया।

लिब्रल्स के अनुसार करवाचौथ पितृसत्ता का त्यौहार है, गुलामी का त्यौहार है। और करवाचौथ पर खूब निबंध, लेख और कहानियां एवं कविताएँ लिखी जाती हैं, और करवाचौथ को स्त्री विरोधी बताया जाता है। भारतीय फेमिनिस्ट की सुबह हिन्दू त्योहारों को कोसने से आरम्भ होती है और हिन्दू त्योहारों को कोसने के साथ समाप्त होती है। 

करवाचौथ उनके लिए शोषण का प्रतीक है, करवाचौथ उनके लिए आतंक का प्रतीक है, करवाचौथ उनके लिए सदियों से चले आ रहे उत्पीडन का प्रतीक है, और करवाचौथ प्रतीक है बाजारवाद का। परन्तु डाबर ने जब फेम के विज्ञापन में समलैंगिक विवाह को दिखाते हुए करवाचौथ दिखाया तो लिब्रल्स उसके समर्थन में आ गए।

जब डाबर ने विज्ञापन वापस लिया तो पूजा भट्ट जैसे दुर्घटनावश और नामवश हिन्दुओं ने इसकी आलोचना की और कहा कि बस यही करते रहो

एक ओर फिल्म उद्योग की कई अभिनेत्रियों का कहना है कि उन्हें करवाचौथ पसंद नहीं है और वह करवाचौथ नहीं रखना चाहती हैं। फिर ऐसा अचानक से क्या हुआ कि उन्हें यह विज्ञापन वापस लेना चुभ गया?

फेमिनिस्ट वेबसाइट्स जो एक ओर करवाचौथ का विरोध करती हैं, दूसरी ओर वह इस विज्ञापन के समर्थन में चली आईं? आखिर इन सभी का कारण क्या था? फेमिनिज्मइनइंडिया भी ऐसे विज्ञापनों के बचाव में उतर आई, परन्तु एक बात का उत्तर न ही फेमिनिस्ट के पास है और न ही ऐसी वेबसाइट्स के पास कि जो परम्पराएं उनके लिए स्त्रीविरोधी और पितृसत्ता को पोषित करने वाली हैं, वह उस समय कैसे प्रगतिशील हो जाती हैं, जब उनके माध्यम से हिन्दू धर्म के विरोध में कुछ कहा गया है?

यह अत्यंत हैरान करने वाला तथ्य है कि जो लोग डाबर की फेम ब्लीच के विज्ञापन में समलैंगिक विवाह को सही मान रहे हैं, वही हिन्दुओं को पिछड़ा और उस इस्लाम को प्रगतिशील मानते हैं, जहाँ समलैंगिक सम्बन्ध स्थापित किए जाने पर मृत्यु का प्रावधान है।

तालिबान राज का विरोध न करने वाले और अप्रत्यक्ष रूप से उसका समर्थन करने वाले फेमिनिस्ट पोर्टल एवं फ़िल्मी कलाकार भारत में मात्र इस बात पर उबल जाते हैं, कि डाबर का समलैंगिक करवाचौथ का विज्ञापन वापस ले लिया गया, परन्तु वह तालिबान के शासनकाल में डर के साए में जीवित समलैंगिक समुदाय के विषय में नहीं बोलते, आवाज नहीं उठाते।

https://www.indiatoday.in/world/story/abandoned-and-angry-afghanistan-s-lgbtq-community-forced-to-live-in-hiding-under-taliban-regime-1854177-2021-09-18

यह इनका दोगलापन है।

एक बात इन डिजाइनर हिन्दुओं को समझ में स्पष्ट रूप से आनी चाहिए कि दीपावली, करवाचौथ, मंगलसूत्र, पायल और शेष आभूषण जो भी हिन्दू स्त्रियाँ पहनती हैं, उनका एक धार्मिक इतिहास है, वह हमारी संस्कृति इसीलिए हैं क्योंकि वह हिन्दू धर्म से सम्बन्धित हैं। जो संस्कृति है वह धार्मिक संस्कृति है, संस्कृति और पर्व में से धार्मिकता छीनने का अपराध यह लोग अब न करें।

विवाह में हमारी परम्पराएं हिन्दू हैं, हमारे पर्व हिन्दू हैं, प्रभु श्री राम को धर्म नहीं संस्कृति मानने वाले डिजाइनर और छद्म हिन्दुओं द्वारा अब यह प्रवचन नहीं चलेगा कि हमें अपने त्यौहार पर क्या करना है और क्या नहीं?

डिजाइनर हिन्दुओं की एक सीमा है और उन्हें यह सीमा समझनी ही होगी!

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.